रमजान में महीने भर तक इबादत के बाद सोमवार को ईद का मुबारक मौका आया तो खुशियों की चमक से कोना-कोना खिल उठा। सभी मस्जिदों-ईदगाहों में ईद की नमाज अदा की गई। खुशनुमा माहौल में सुबह से ही नमाजी पहुंचने शुरू गए। लकदक लिबास में बड़ों के साथ बच्चों की टोलियां भी नमाज अदा करने पहुंचीं। आगे की सलाइड्स में देखें तस्वीरें..
बारगाहे इलाही में मुल्क में अमन-चैन और बरक्कत के लिए दुआएं की गईं। फिर गले मिलकर एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी गई। नूरानी माहौल में लोगों की खुशियां देखते ही बनती थीं। रमजान के रोज़े और इबादत के बदले रोजेदारों को सोमवार को ईद की खुशियां तोहफे में मिलीं। नए लिबास और इत्र की खुशबू से माहौल ही नूरानी हो उठा।
सोमवार को काशी विद्यापीठ ईदगाह, नई सड़क, नदेसर, चौक, लाटसरैया, मदनपुरा, रेवड़ी तालाब, शक्कर तालाब, बादशाह बाग आदि स्थानों पर सुबह सात बजे से करीब 11 बजे तक नमाज अदा की गई। कई ईदगाहों पर तो इतनी भीड़ थी कि लोगों को सड़क पर ही नमाज अदा करनी पड़ी। नमाजियों को कोई असुविधा न हो, इसके लिए जगह-जगह बैरीकेडिंग भी की गई थी।
गरीबी-अमीरी का भेदभाव भुलाते हुए सभी ने अकीदत के साथ नमाज अदा की। रामनगर, शिवाला, बजरडीहा, मदनपुरा, भेलूपुर, औरंगाबाद, पितरकुं डा, दरगाह फातमान, शिवपुर, दोषीपुरा, नक्खीघाट में नमाजियों की भीड़ उमड़ी रही। ईद के खास मौके पर शहर में कई जगह मजलिसें हुईं। इस दौरान शहीदाने कर्बला इमाम हुसैन को भी याद किया गया।
ईद-उल-फितर के पर्व पर सेवई की मिठास में सब एक ही रंग में रंगे नजर आए और वह रंग था इंसानियत का। ईद की नमाज के बाद शुरू हुआ दावतों का सिलसिला। हर मजहब के लोगों ने अपने परिचितों के घर जाकर उन्हें ईद की मुबारकबाद दी और तरह-तरह की सेवइयों का लुत्फ उठाया। दोपहर बाद से शुरू हुआ दावतों का दौर देर रात तक चलता रहा। यह त्योहार गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बन गया।