पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की टीम खुद राहुल गांधी ने तय की है। पहली बार मंत्री बने विधायक राहुल की पसंद के हैं और उनके लगातार संपर्क में थे। इससे एक बात साफ हो गई है कि पंजाब की सरकार का रिमोट दिल्ली के हाथों में होगा। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राहुल गांधी के पास जो सूची गई थी, उसमें काफी चेहरे बदले गए हैं। सूची में तीन बार मंथन किया गया और फिर राहुल ने उस पर फाइनल मुहर लगाई।
कैप्टन कैबिनेट में भी शामिल रहे ब्रह्म मोहिंदरा, मनप्रीत बादल, तृप्त राजिंदर बाजवा, अरुणा चौधरी, सुख सरकारिया, राणा गुरजीत, रजिया सुल्ताना, विजय इंदर सिंगला, भारत भूषण आशु ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें अरुणा चौधरी व विजय इंदर सिंगला सीधे दिल्ली संपर्क में थे। सिंगला राहुल की टीम के ही सदस्य हैं और राहुल ने उन्हें लोकसभा सांसद से लेकर पंजाब के मंत्री पद तक बैठाया। अरुणा चौधरी को भी दो दिन पहले दिल्ली का चक्कर लगवाया गया था। पहली बार मंत्री बन रहे रणदीप नाभा, राजकुमार वेरका, संगत सिंह गिलजियां, परगट सिंह, अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, गुरकीरत कोटली भी राहुल की पसंद हैं।
यह भी पढ़ें - विश्व पर्यटन दिवस: शीशे में रखकर सहेजे जाएंगे हड़प्पा काल के तंदूर और बर्तन, राखीगढ़ी में दोबारा शुरू होगी खोदाई
डॉ. राजकुमार वेरका
डॉ. राजकुमार वेरका पहली बार वर्ष 2002 में विधानसभा चुनाव में उतरे। वह हलका वेरका से अकाली दल के प्रत्याशी दलबीर सिंह को हराकर विधानसभा पहुंचे। 2007 में वह दलबीर से चुनाव हार गए। इसके बाद वेरका हलका खत्म हो गया और इसका नाम विधानसभा हलका पूर्वी हो गया। राजकुमार ने विधानसभा हलका पश्चिमी में 2012 और 2017 में भाजपा के राकेश गिल को हराया। वह 2010 से 2016 तक एससी/एसटी कमीशन के वाइस चेयरमैन रहे हैं। राहुल गांधी ने ही उन्हें राष्ट्रीय आयोग के उपचेयरमैन की कुर्सी पर बैठाया था। इतना ही नहीं, कैप्टन अमरिंदर सिंह वेरका को वेयर हाउस कारपोरेशन का चेयरमैन बनाने में भी देरी कर रहे थे लेकिन दिल्ली की सख्त घंटी के कारण ही कैप्टन को रातों रात वेरका को चेयरमैन नियुक्त करना पड़ा था।
राजा वड़िंग
राजा वड़िंग श्री मुक्तसर साहिब जिले के विधानसभा हलका गिद्दड़बाहा से दूसरी बार विधायक बने हैं। पहली बार वर्ष 2012 में पीपीपी से प्रत्याशी मनप्रीत सिंह बादल को हराकर विधायक बने थे, जबकि दूसरी बार 2017 में शिअद के हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को हराकर विधायक बने। करीब 43 वर्षीय राजा वड़िंग आल इंडिया यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह लंबे समय तक राहुल गांधी के साथ संगठन में काम कर चुके हैं। राहुल ने उन्हें लोकसभा की टिकट पर मैदान में उतारा था लेकिन वह छोटे से अंतर में हार गए थे। राजा वड़िंग नवजोत सिंह सिद्धू के निकटवर्ती भी माने जाते हैं, लेकिन दिल्ली में उनकी सीधी बात है।
संगत सिंह गिलजियां
संगत सिंह गिलजियां ने पहली बार कांग्रेस के टिकट पर वर्ष 2002 में चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए। 2012 में पार्टी ने एक बार फिर उन्हें टिकट दिया, जिसमें उन्होंने शानदार जीत दर्ज की। 2017 में भी वह जीते। लगातार राष्ट्रीय अध्यक्ष व राहुल के संपर्क में चल रहे थे। राहुल गांधी ने ही उनको नवजोत सिंह सिद्धू के साथ कार्यकारी प्रधान लगाया था।
काका रणदीप सिंह
फतेहगढ़ साहिब जिले के अमलोह क्षेत्र से विधायक काका रणदीप सिंह के दादा जनरल शिवदेव सिंह सेहत मंत्री थे। पिता गुरदर्शन सिंह चार बार विधायक और दो बार मंत्री बने। माता सतिंदर कौर पंजाब महिला कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष रहे। खुद दो बार नाभा और दो बार अमलोह से विधायक चुने जा चुके हैं, उनका परिवार गांधी परिवार के काफी निकटवर्ती माना जाता रहा है।
गुरकीरत सिंह कोटली
गुरकीरत सिंह कोटली को सियासत विरासत में मिली। दादा बेअंत सिंह 1992 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने। बाद में एक बम धमाके में उनकी हत्या कर दी गई। पिता तेज प्रकाश सिंह कोटली 2002 की कैप्टन सरकार में ट्रांसपोर्ट मंत्री रहे। चचेरे भाई रवनीत सिंह बिट्टू लुधियाना से मौजूदा सांसद हैं। गुरकीरत सिंह 2012 में पहली बार खन्ना से विधानसभा चुनाव लड़े। उन्होंने शिअद के रणजीत सिंह तलवंडी को हराया। 2017 में उन्होंने आप के अनिल दत्त फल्ली को हराया। कैप्टन सरकार के दूसरे कैबिनेट विस्तार में जगह नहीं मिलने पर वे नाराज हो गए थे। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शहीद बेअंत सिंह के परिवार को पंजाब में कोई नुमाइंदगी नहीं दी थी। लेकिन रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब में राहुल गांधी की पहली पसंद हैं। रवनीत सिंह बिट्टू ने राहुल गांधी से खुलकर बात की कि उनके परिवार को क्या मिला? वह तीन बार खुद सांसद बन चुके हैं और उनके परिवार का मुखिया पंजाब में आतंकवाद को खत्म करते शहीद हो गया। ऐसे में राहुल ने गुरकीरत की एंट्री पंजाब मंत्रिमंडल में खुद की।
परगट सिंह
परगट सिंह का नाम भी राहुल गांधी ने डलवाया, क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले नवजोत सिंह सिद्धू व परगट सिंह जब कांग्रेस में शामिल हुए थे तो राहुल गांधी ने परगट सिंह को मंत्री बनाने की बात की थी, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह परगट सिंह के खिलाफ अड़ गए और आखिरकार राहुल को चुप्पी साधनी पड़ी थी लेकिन अब राहुल गांधी ने परगट सिंह को स्थान देकर अपनी जुबान पूरी कर दी है।
विस्तार
पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की टीम खुद राहुल गांधी ने तय की है। पहली बार मंत्री बने विधायक राहुल की पसंद के हैं और उनके लगातार संपर्क में थे। इससे एक बात साफ हो गई है कि पंजाब की सरकार का रिमोट दिल्ली के हाथों में होगा। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राहुल गांधी के पास जो सूची गई थी, उसमें काफी चेहरे बदले गए हैं। सूची में तीन बार मंथन किया गया और फिर राहुल ने उस पर फाइनल मुहर लगाई।
कैप्टन कैबिनेट में भी शामिल रहे ब्रह्म मोहिंदरा, मनप्रीत बादल, तृप्त राजिंदर बाजवा, अरुणा चौधरी, सुख सरकारिया, राणा गुरजीत, रजिया सुल्ताना, विजय इंदर सिंगला, भारत भूषण आशु ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें अरुणा चौधरी व विजय इंदर सिंगला सीधे दिल्ली संपर्क में थे। सिंगला राहुल की टीम के ही सदस्य हैं और राहुल ने उन्हें लोकसभा सांसद से लेकर पंजाब के मंत्री पद तक बैठाया। अरुणा चौधरी को भी दो दिन पहले दिल्ली का चक्कर लगवाया गया था। पहली बार मंत्री बन रहे रणदीप नाभा, राजकुमार वेरका, संगत सिंह गिलजियां, परगट सिंह, अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, गुरकीरत कोटली भी राहुल की पसंद हैं।
यह भी पढ़ें - विश्व पर्यटन दिवस: शीशे में रखकर सहेजे जाएंगे हड़प्पा काल के तंदूर और बर्तन, राखीगढ़ी में दोबारा शुरू होगी खोदाई
डॉ. राजकुमार वेरका
डॉ. राजकुमार वेरका पहली बार वर्ष 2002 में विधानसभा चुनाव में उतरे। वह हलका वेरका से अकाली दल के प्रत्याशी दलबीर सिंह को हराकर विधानसभा पहुंचे। 2007 में वह दलबीर से चुनाव हार गए। इसके बाद वेरका हलका खत्म हो गया और इसका नाम विधानसभा हलका पूर्वी हो गया। राजकुमार ने विधानसभा हलका पश्चिमी में 2012 और 2017 में भाजपा के राकेश गिल को हराया। वह 2010 से 2016 तक एससी/एसटी कमीशन के वाइस चेयरमैन रहे हैं। राहुल गांधी ने ही उन्हें राष्ट्रीय आयोग के उपचेयरमैन की कुर्सी पर बैठाया था। इतना ही नहीं, कैप्टन अमरिंदर सिंह वेरका को वेयर हाउस कारपोरेशन का चेयरमैन बनाने में भी देरी कर रहे थे लेकिन दिल्ली की सख्त घंटी के कारण ही कैप्टन को रातों रात वेरका को चेयरमैन नियुक्त करना पड़ा था।
राजा वड़िंग
राजा वड़िंग श्री मुक्तसर साहिब जिले के विधानसभा हलका गिद्दड़बाहा से दूसरी बार विधायक बने हैं। पहली बार वर्ष 2012 में पीपीपी से प्रत्याशी मनप्रीत सिंह बादल को हराकर विधायक बने थे, जबकि दूसरी बार 2017 में शिअद के हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को हराकर विधायक बने। करीब 43 वर्षीय राजा वड़िंग आल इंडिया यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह लंबे समय तक राहुल गांधी के साथ संगठन में काम कर चुके हैं। राहुल ने उन्हें लोकसभा की टिकट पर मैदान में उतारा था लेकिन वह छोटे से अंतर में हार गए थे। राजा वड़िंग नवजोत सिंह सिद्धू के निकटवर्ती भी माने जाते हैं, लेकिन दिल्ली में उनकी सीधी बात है।
संगत सिंह गिलजियां
संगत सिंह गिलजियां ने पहली बार कांग्रेस के टिकट पर वर्ष 2002 में चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए। 2012 में पार्टी ने एक बार फिर उन्हें टिकट दिया, जिसमें उन्होंने शानदार जीत दर्ज की। 2017 में भी वह जीते। लगातार राष्ट्रीय अध्यक्ष व राहुल के संपर्क में चल रहे थे। राहुल गांधी ने ही उनको नवजोत सिंह सिद्धू के साथ कार्यकारी प्रधान लगाया था।
काका रणदीप सिंह
फतेहगढ़ साहिब जिले के अमलोह क्षेत्र से विधायक काका रणदीप सिंह के दादा जनरल शिवदेव सिंह सेहत मंत्री थे। पिता गुरदर्शन सिंह चार बार विधायक और दो बार मंत्री बने। माता सतिंदर कौर पंजाब महिला कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष रहे। खुद दो बार नाभा और दो बार अमलोह से विधायक चुने जा चुके हैं, उनका परिवार गांधी परिवार के काफी निकटवर्ती माना जाता रहा है।
गुरकीरत सिंह कोटली
गुरकीरत सिंह कोटली को सियासत विरासत में मिली। दादा बेअंत सिंह 1992 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने। बाद में एक बम धमाके में उनकी हत्या कर दी गई। पिता तेज प्रकाश सिंह कोटली 2002 की कैप्टन सरकार में ट्रांसपोर्ट मंत्री रहे। चचेरे भाई रवनीत सिंह बिट्टू लुधियाना से मौजूदा सांसद हैं। गुरकीरत सिंह 2012 में पहली बार खन्ना से विधानसभा चुनाव लड़े। उन्होंने शिअद के रणजीत सिंह तलवंडी को हराया। 2017 में उन्होंने आप के अनिल दत्त फल्ली को हराया। कैप्टन सरकार के दूसरे कैबिनेट विस्तार में जगह नहीं मिलने पर वे नाराज हो गए थे। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शहीद बेअंत सिंह के परिवार को पंजाब में कोई नुमाइंदगी नहीं दी थी। लेकिन रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब में राहुल गांधी की पहली पसंद हैं। रवनीत सिंह बिट्टू ने राहुल गांधी से खुलकर बात की कि उनके परिवार को क्या मिला? वह तीन बार खुद सांसद बन चुके हैं और उनके परिवार का मुखिया पंजाब में आतंकवाद को खत्म करते शहीद हो गया। ऐसे में राहुल ने गुरकीरत की एंट्री पंजाब मंत्रिमंडल में खुद की।
परगट सिंह
परगट सिंह का नाम भी राहुल गांधी ने डलवाया, क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले नवजोत सिंह सिद्धू व परगट सिंह जब कांग्रेस में शामिल हुए थे तो राहुल गांधी ने परगट सिंह को मंत्री बनाने की बात की थी, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह परगट सिंह के खिलाफ अड़ गए और आखिरकार राहुल को चुप्पी साधनी पड़ी थी लेकिन अब राहुल गांधी ने परगट सिंह को स्थान देकर अपनी जुबान पूरी कर दी है।