आगे पढ़ने के लिए लॉगिन या रजिस्टर करें
अमर उजाला प्रीमियम लेख सिर्फ रजिस्टर्ड पाठकों के लिए ही उपलब्ध हैं
विस्तार
खुंब अनुसंधान निदेशालय (डीएमआर) पॉलीहाउस में गुच्छी उगाने का सफल परीक्षण करने के बाद अब इसे इंडोर यानी कमरे में भी उगाने के लिए शोध करेगा। इसको लेकर डीएमआर के वैज्ञानिकों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। शोध सफल रहा तो किसी भी मौसम में गुच्छी की फसल तैयार की जा सकेगी। अभी फरवरी से मई तक पॉलीहाउस में गुच्छी तैयार होती है। पॉलीहाउस में प्रथम चरण के शोध में गुच्छी की 350 फ्रूटबॉडी तैयार की हैं। डीएमआर पिछले चार वर्षों से इस पर कार्य कर रहा है।
इसमें यह पाया गया है कि प्राकृतिक और अप्राकृतिक रूप से पॉलीहाउस में तैयार की गई गुच्छी की गुणवत्ता एक समान है। प्रदेश के जंगलों में प्राकृतिक तौर पर गुच्छी उग रही है। यही गुच्छी करीब 30 हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रही है। गुच्छी का निर्यात भी किया जाता है। अभी तक प्रदेश में गुच्छी करीब 6,500 फीट से अधिक की ऊंचाई पर देवदार, कायल आदि के जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगती है। इस गुच्छी को इकट्ठा करके ग्रामीण इसे बाजार में बेचकर अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत करते हैं। संवाद
कई बीमारियों से लड़ने में सहायक
गुच्छी में विटामिन डी, सी, के, आयरन, कॉपर, जिंक व फॉसफोरस अधिक मात्रा में पाया जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसका सेवन गठिया, थायराइड, बोन हेल्थ व मानसिक तनाव खत्म करने में सहायक होता है। यह दिल के रोगों और शरीर की किसी भी चोट को जल्द भरने में लाभकारी है।
व्यावसायिक स्तर पर गुच्छी के उत्पादन के लिए तकनीक विकसित कर रहे हैं। पॉलीहाउस में गुच्छी तैयार करने में डीएमआर के वैज्ञानिक सफल रहे हैं। अब इसे इंडोर में तैयार किया जाएगा, जिस पर जल्द शोध शुरू करेंगे। -डॉ. वीपी शर्मा, निदेशक, डीएमआर, सोलन