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Drone will fly daily from Mandi to the remote areas of Saraj carrying medicines
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हिमाचल: मंडी से सराज के दुर्गम क्षेत्रों के लिए रोज दवाएं लेकर उड़ान भरेगा ड्रोन
संवाद न्यूज एजेंसी, मंडी
Published by: Krishan Singh
Updated Thu, 01 Dec 2022 11:30 AM IST
सार
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स्वास्थ्य विभाग नियमित रूप से फ्लाइट शुरू करने के लिए शेड्यूल बनाने के लिए जुट गया है। वहीं, उड्डयन एवं वन विभाग से नियमित उड़ानों के परमिट के लिए भी अप्लाई कर दिया गया है।
हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के दुर्गम क्षेत्र सराज के लिए जल्द ही नियमित रूप से दवाइयों की सप्लाई देने और वहां से टेस्ट के लिए सैंपल लाने के लिए ड्रोन की उड़ान शुरू होगी। उड़ानों की मंजूरी के बाद स्वास्थ्य विभाग नियमित रूप से फ्लाइट शुरू करने के लिए शेड्यूल बनाने के लिए जुट गया है। वहीं, उड्डयन एवं वन विभाग से नियमित उड़ानों के परमिट के लिए भी अप्लाई कर दिया गया है। जल्द ही परमिट मिलने के बाद नियमित उड़ानें शुरू कर दी जाएंगी। हालांकि, सितंबर और अक्तूबर में भी यह प्रक्रिया शुरू की जा रही थी, मगर चुनाव के चलते यह कार्य पूरा नहीं हो पाया था।
अब इस कार्य को गति दी जा रही है और विभाग का प्रयास रहेगा कि बर्फबारी शुरू होने से पहले क्षेत्र में दवाइयों को भेजने और सैंपल लाने की प्रक्रिया को नियमित किया जा सके। जिला स्वास्थ्य कार्यक्रम समन्वयक डॉ. विशाल ने बताया कि ड्रोन के माध्यम से सराज में नियमित उड़ानों को मंजूरी मिल गई है और विभाग की ओर से जल्द उड़ानों के लिए शेड्यूल तय किया जा रहा है। वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी मंडी डॉ. देवेंद्र शर्मा कहते हैं कि ड्रोन से दवाएं भेजने और सैंपल लाने की तकनीक को नियमित शुरू करने के लिए विभाग काम कर रहा है।
10 किलोग्राम तक वजन ले जाने में सक्षम है ड्रोन
बता दें कि स्वास्थ्य विभाग मंडी की ओर से आईआईटी चेन्नई के साथ पहले तीन चरण में ट्रायल किए थे, जो पूरी तरह से सफल रहे थे। इसके बाद ड्रोन से दस किलोग्राम तक दवाइयों को सफलतापूर्वक जिले के दुर्गम इलाकों जंजैहली, गाड़ागुशैणी, सरोआदेवी, बाडू, कांगणीधार व बरोट में पहुंचाने का ट्रायल हुआ। गाढ़ागुशैणी को 5,000 दवा की गोलियां भेजी गई थी, जबकि वहां से सात मरीजों के टीबी के सैंपल लाए गए।
समय और बजट दोनों की होगी बचत
बर्फबारी और बरसात के दिनों में दुर्गम इलाकों के लोग अस्पतालों तक नहीं पहुंच पाते और कई बार मरीज उपचार से पहले ही दम तोड़ देते हैं। ड्रोन इनके लिए वरदान साबित होगा। इसके जरिये इन इलाकों में दवाइयों सहित अन्य जीवन रक्षक सामग्री पहुंच पाएगी। इस ड्रोन को दो से तीन घंटे तक आसानी से उड़ाया जा सकता है। इस तकनीक से समय व बजट दोनों की बचत तो होगी ही, साथ ही दुर्गम इलाकों में आपात स्थिति में लोगों को समय पर उपचार व दवाएं भी मुहैया हो जाएंगी।
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