मंडी जोनल अस्पताल में नवजात बच्ची की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की नींद टूटी है। विभाग ने अब प्रसव के मामलों को निपटाने के लिए नया निर्णय लिया है।
हिमाचल के अस्पतालों में जरूरत पड़ने पर निजी स्त्री रोग विशेषज्ञों की सेवाएं ली जाएंगी। मंडी की घटना के बाद राज्य सरकार का स्वास्थ्य महकमा एकाएक जाग गया है।
प्रधान सचिव स्वास्थ्य प्रबोध सक्सेना ने अधीनस्थ अधिकारियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग से ये आदेश जारी किए हैं कि कुल्लू, सुंदरनगर और जोगिंद्रनगर अस्पतालों में हर रोज प्रसव मामलों का ब्योरा निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं को भेजा जाए।
ये भी सुनिश्चित करने को कहा कि वहां से सामान्य प्रसूति के किसी भी मामले को अन्य अस्पतालों को हस्तांतरित नहीं किया जाए। उन्होंने ये भी निर्देश दिए हैं कि यदि आवश्यक हो तो उस स्थिति में निजी स्त्री विशेषज्ञ की सेवाएं भी ली जांए।
इस मामले को ‘अमर उजाला’ ने प्रमुखता से उठाया, जिसके बाद राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग हरकत में आए। प्रधान सचिव स्वास्थ्य प्रबोध सक्सेना ने शनिवार को राज्य सचिवालय से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधीश मंडी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी मंडी, कुल्लू और राजकीय आयुर्विज्ञान महाविद्यालय
नेरचौक मंडी के प्रधानाचार्य से चर्चा कर इनके यहां स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कुल्लू और सुंदरनगर के अस्पतालों में आयुर्विज्ञान महाविद्यालय नेरचौक से एक एक स्त्री रोग विशेषज्ञ को रोटेशन के आधार पर तैनात करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि मंडी अस्पताल में मरीजों को बिस्तर उपलब्ध करवाने का इस तरह का प्रावधान किया जाए कि किसी भी अन्य वार्ड में जहां बिस्तर खाली हों, उसे अन्य वार्ड के मरीजों को भी प्रदान किया जाए। साथ ही मरीजों को ठंड से बचाव के लिए उचित प्रबंध किए जाएं।
मंडी जोनल अस्पताल में नवजात बच्ची की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की नींद टूटी है। विभाग ने अब प्रसव के मामलों को निपटाने के लिए नया निर्णय लिया है।
हिमाचल के अस्पतालों में जरूरत पड़ने पर निजी स्त्री रोग विशेषज्ञों की सेवाएं ली जाएंगी। मंडी की घटना के बाद राज्य सरकार का स्वास्थ्य महकमा एकाएक जाग गया है।
प्रधान सचिव स्वास्थ्य प्रबोध सक्सेना ने अधीनस्थ अधिकारियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग से ये आदेश जारी किए हैं कि कुल्लू, सुंदरनगर और जोगिंद्रनगर अस्पतालों में हर रोज प्रसव मामलों का ब्योरा निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं को भेजा जाए।
ये भी सुनिश्चित करने को कहा कि वहां से सामान्य प्रसूति के किसी भी मामले को अन्य अस्पतालों को हस्तांतरित नहीं किया जाए। उन्होंने ये भी निर्देश दिए हैं कि यदि आवश्यक हो तो उस स्थिति में निजी स्त्री विशेषज्ञ की सेवाएं भी ली जांए।