ढालपुर में मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के लिए 20 दिन बचे हैं, अभी तक तैयारियों को लेकर अभी एक भी बैठक नहीं हो पाई है। कोरोना के चलते इस बार अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के आयोजन को लेकर असमंजस की स्थिति है। दशहरा उत्सव के आयोजन के लिए सबसे पहले मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में शिमला में बैठक होती थी। इसके बाद स्थानीय स्तर पर दशहरा उत्सव कमेटी बैठकें कर कई निर्णय लेती थी, लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया है।
बताया जा रहा है कि अभी तक प्रशासन अटल टनल रोहतांग उद्घाटन के कार्यक्रम में उलझा था। अब एक सप्ताह के अंदर दशहरे को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सकती है। दशहरा का स्वरूप इस बार कैसा होगा। दशहरे में कौन-कौन से देवता शामिल होंगे। यह अभी तक तय नहीं हुआ है। देव समाज से जुड़े लोगों की मानें तो इस बार दशहरा वर्ष 1962 की तर्ज पर मनाने की तैयारी चल रही है। देव समाज ने अंदरखाते इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। जिस तरह कोरोना प्रदेश और जिले में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में इस बार दशहरे में पिछली साल की तरह रौनक नहीं दिखेगी।
कलाकेंद्र में होने वाली सांस्कृतिक संध्या और अन्य आकर्षण के कार्यक्रम शायद ही इस बार देखने को मिलेंगे। भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि दशहरे में देव परंपरा का निर्वहन जरूर किया जाएगा। अब देखना यह है कि दशहरे को लेकर सरकार व प्रशासन क्या निर्णय लेते हैं। दूसरी ओर, देव समाज के जुुड़े लोग भी सरकार की ओर टकटकी लगाए हैं।
ढालपुर में मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के लिए 20 दिन बचे हैं, अभी तक तैयारियों को लेकर अभी एक भी बैठक नहीं हो पाई है। कोरोना के चलते इस बार अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के आयोजन को लेकर असमंजस की स्थिति है। दशहरा उत्सव के आयोजन के लिए सबसे पहले मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में शिमला में बैठक होती थी। इसके बाद स्थानीय स्तर पर दशहरा उत्सव कमेटी बैठकें कर कई निर्णय लेती थी, लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया है।
बताया जा रहा है कि अभी तक प्रशासन अटल टनल रोहतांग उद्घाटन के कार्यक्रम में उलझा था। अब एक सप्ताह के अंदर दशहरे को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सकती है। दशहरा का स्वरूप इस बार कैसा होगा। दशहरे में कौन-कौन से देवता शामिल होंगे। यह अभी तक तय नहीं हुआ है। देव समाज से जुड़े लोगों की मानें तो इस बार दशहरा वर्ष 1962 की तर्ज पर मनाने की तैयारी चल रही है। देव समाज ने अंदरखाते इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। जिस तरह कोरोना प्रदेश और जिले में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में इस बार दशहरे में पिछली साल की तरह रौनक नहीं दिखेगी।
कलाकेंद्र में होने वाली सांस्कृतिक संध्या और अन्य आकर्षण के कार्यक्रम शायद ही इस बार देखने को मिलेंगे। भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि दशहरे में देव परंपरा का निर्वहन जरूर किया जाएगा। अब देखना यह है कि दशहरे को लेकर सरकार व प्रशासन क्या निर्णय लेते हैं। दूसरी ओर, देव समाज के जुुड़े लोग भी सरकार की ओर टकटकी लगाए हैं।