अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में इस बार कई परंपराएं नहीं निभाई जाएंगी। विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली कुल्लू की पारंपरिक नाटी भी नहीं होगी। सात साल बाद नाटी की परंपरा टूटने जा रही है। कुल्लू नाटी दुनिया भर में विख्यात हो गई है। पिछले सात साल से हर बार दशहरे में कुल्लवी नाटी ढोल-नगाड़ों की थाप पर होती आई है।
सबसे पहले नाटी 2014 से ढालपुर के रथ मैदान में हुई। उस साल बेटी बचाओ थीम पर ही दशहरा महोत्सव के दौरान करीब 8540 महिलाओं ने एक साथ नाटी डाली थी, जिसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान मिला था। अगले साल इसे और बेहतर किया गया, जिससे 26 अक्तूबर 2015 को प्राइड ऑफ कुल्लू के नाम पर बेटी बचाओ थीम पर एक साथ 9892 महिलाओं की नाटी (लोकनृत्य) को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था।
इसके बाद दशहरा में हर साल ग्रामीण महिलाएं नाटी का आयोजन करती आई हैं। दशहरा उत्सव समिति के अध्यक्ष एवं शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि कोरोना को लेकर जारी गाइडलाइन को देखते हुए इस बार नाटी का आयोजन नहीं होगा।
अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में जिला कुल्लू के देवी-देवताओं को दशहरा उत्सव कमेटी की ओर से निमंत्रण नहीं दिया जाएगा। दशहरा उत्सव कमेटी ने कोरोना को देखते हुए यह निर्णय लिया है। ऐसे में इस बार देवी-देवताओं का लाव-लश्कर देखने को नहीं मिलेगा।
इससे पहले यह परंपरा रही है कि करीब दो महीने पहले ही जिले के मुआफीदार और गैर मुआफीदार 300 देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया जाता रहा है। इसके बाद ये देवी-देवता अपने देवालय से लाव-लश्कर के साथ ढालपुर मैदान के लिए कूच करते हैं। ढालपुर मैदान में आने से पहले सभी देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी लगाते हैं।
इसके बाद सात दिनों तक ढालपुर मैदान में ही डेरा लगाए रखते हैं। कमेटी की ओर से देवताओं को नजराना भी दिया जाता है। लेकिन, इस बार नजराना दिया जाएगा या नहीं, इसका पता आने वाले दिनों में चल पाएगा। कोरोना के चलते इस बार दशहरे को अलग तरीके से मनाया जा रहा है। दशहरा में सिर्फ देव परंपरा का निर्वहन करने पर ही जोर दिया जा रहा है। दशहरा में आने वाले देवी-देवताओं की संख्या में हर साल इजाफा हो रहा है।
कई देवता बिना निमंत्रण के भी अपने खर्चे पर ढालपुर मैदान पहुंचने लगे हैं। पिछले साल कुल्लू दशहरा में करीब 280 देवी-देवता पहुंचे थे। इस बार यह संख्या और बढ़ भी सकती थी। लेकिन कोरोना के चलते दशहरे में इस बार देवी-देवता शामिल नहीं हो पाएंगे। शिक्षा मंत्री एवं दशहरा उत्सव कमेटी के अध्यक्ष गोविंद ठाकुर ने कहा कि दशहरे में आने के लिए इस बार देवी-देवताओं को निमंत्रण नहीं दिया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में इस बार कई परंपराएं नहीं निभाई जाएंगी। विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली कुल्लू की पारंपरिक नाटी भी नहीं होगी। सात साल बाद नाटी की परंपरा टूटने जा रही है। कुल्लू नाटी दुनिया भर में विख्यात हो गई है। पिछले सात साल से हर बार दशहरे में कुल्लवी नाटी ढोल-नगाड़ों की थाप पर होती आई है।
सबसे पहले नाटी 2014 से ढालपुर के रथ मैदान में हुई। उस साल बेटी बचाओ थीम पर ही दशहरा महोत्सव के दौरान करीब 8540 महिलाओं ने एक साथ नाटी डाली थी, जिसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान मिला था। अगले साल इसे और बेहतर किया गया, जिससे 26 अक्तूबर 2015 को प्राइड ऑफ कुल्लू के नाम पर बेटी बचाओ थीम पर एक साथ 9892 महिलाओं की नाटी (लोकनृत्य) को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था।
इसके बाद दशहरा में हर साल ग्रामीण महिलाएं नाटी का आयोजन करती आई हैं। दशहरा उत्सव समिति के अध्यक्ष एवं शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि कोरोना को लेकर जारी गाइडलाइन को देखते हुए इस बार नाटी का आयोजन नहीं होगा।
अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में जिला कुल्लू के देवी-देवताओं को दशहरा उत्सव कमेटी की ओर से निमंत्रण नहीं दिया जाएगा। दशहरा उत्सव कमेटी ने कोरोना को देखते हुए यह निर्णय लिया है। ऐसे में इस बार देवी-देवताओं का लाव-लश्कर देखने को नहीं मिलेगा।
इससे पहले यह परंपरा रही है कि करीब दो महीने पहले ही जिले के मुआफीदार और गैर मुआफीदार 300 देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया जाता रहा है। इसके बाद ये देवी-देवता अपने देवालय से लाव-लश्कर के साथ ढालपुर मैदान के लिए कूच करते हैं। ढालपुर मैदान में आने से पहले सभी देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी लगाते हैं।
इसके बाद सात दिनों तक ढालपुर मैदान में ही डेरा लगाए रखते हैं। कमेटी की ओर से देवताओं को नजराना भी दिया जाता है। लेकिन, इस बार नजराना दिया जाएगा या नहीं, इसका पता आने वाले दिनों में चल पाएगा। कोरोना के चलते इस बार दशहरे को अलग तरीके से मनाया जा रहा है। दशहरा में सिर्फ देव परंपरा का निर्वहन करने पर ही जोर दिया जा रहा है। दशहरा में आने वाले देवी-देवताओं की संख्या में हर साल इजाफा हो रहा है।
कई देवता बिना निमंत्रण के भी अपने खर्चे पर ढालपुर मैदान पहुंचने लगे हैं। पिछले साल कुल्लू दशहरा में करीब 280 देवी-देवता पहुंचे थे। इस बार यह संख्या और बढ़ भी सकती थी। लेकिन कोरोना के चलते दशहरे में इस बार देवी-देवता शामिल नहीं हो पाएंगे। शिक्षा मंत्री एवं दशहरा उत्सव कमेटी के अध्यक्ष गोविंद ठाकुर ने कहा कि दशहरे में आने के लिए इस बार देवी-देवताओं को निमंत्रण नहीं दिया जाएगा।