जुब्बल-कोटखाई में भाजपा में बगावत का दौर थमने के बजाय और बढ़ गया है। मंडल से लेकर बूथ तक के पदाधिकारियों, मोर्चों के सदस्यों के इस्तीफों के बाद अब भाजपा के लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया है। मतदान से 15 दिन पहले सत्ताधारी पार्टी को जुब्बल कोटखाई में शून्य से संगठन खड़ा करना होगा।
बगावत ने भाजपा के पन्ना प्रमुख से लेकर त्रिदेव और संगठनात्मक कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। टीम चेतन के इस्तीफे के बाद आलम यह हो गया है कि भाजपा विस क्षेत्र में अर्श से फर्श पर पहुंच गई है। चुनावी दौर में अब भाजपा के लिए नए सिरे से बूथ से लेकर मंडल स्तर तक संगठन खड़ा करने की कवायद शुरू करनी पड़ रही है। वरिष्ठ नेता दावा तो कर रहे हैं कि दो से तीन दिन में पूरा संगठन खड़ा हो जाएगा, लेकिन आलम यह है कि कार्यकर्ता ही नहीं मिल रहे हैं।
उधर, सियासी भगदड़ के चलते पार्टी के वरिष्ठ नेता जुब्बल-कोटखाई में चुनाव प्रचार करने से कतरा रहे हैं। हालात संभालने के लिए शहरी विकास मंत्री व चुनाव क्षेत्र के प्रभारी सुरेश भारद्वाज और सुखराम चौधरी को अकेले छोड़ दिया गया है। उनके ऊपर प्रचार को जारी रखने से लेकर पार्टी को खड़ा करने के लिए कार्यकर्ता तलाशने तक की जिम्मेदारी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री, प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष तक किसी का भी वहां दौरा नहीं बनाया जा रहा।
संसदीय क्षेत्र प्रभारी पुरुषोत्तम गुलेरिया भी इस भीषण सियासी संघर्ष के बीच ग्राउंड से गायब हैं। जाहिर है स्वर्गीय नरेंद्र बरागटा के परिवार की बगावत से भाजपा के लिए ऐसा गैप पैदा हो गया है, जिसे चुनावी दौर में भरना भाजपा के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।
भाजपा के प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना कहते हैं कि किसी के जाने से पार्टी का काम नहीं रुकता है और अगले दो दिन के भीतर बूथ स्तर तक का संगठन खड़ा कर लिया जाएगा। नेताओं के दौरे पर कहा कि फिलहाल दो मंत्री वहां चुनाव प्रचार संभालने के लिए डटे हुए हैं और जरूरत के अनुसार पार्टी अन्य नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए बुलाएगी।
चेतन के लिए बोले खन्ना, खुद में दम है तो भाजपा के प्लेटफार्म और नाम का इस्तेमाल करना बंद करें
पार्टी पर धोखा देने के आरोप लगाने वाले चेतन बरागटा पर खन्ना ने जबरदस्त हमला बोला। कहा कि अगर वह इतने ही बड़े नेता हैं तो पार्टी के संसाधनों और नाम का इस्तेमाल करना बंद कर सीधे चुनाव मैदान में आएं। कहा कि पार्टी का हर कार्यकर्ता प्रत्याशी नीलम सरैइक के साथ है और उन्हें जिताने के लिए काम कर रहा है।
बता दें, जुब्बल-कोटखाई में अभी भी पार्टी के कई सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से चेतन बरागटा का प्रचार किया जा रहा है। यह सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पार्टी के हैं, लेकिन पार्टी के पदाधिकारी ही बागी बनकर उनका पार्टी के खिलाफ उपयोग कर रहे हैं।
भाजपा प्रभारी ने सुरेश भारद्वाज के साथ की कोटखाई सीट की बूथ वाइज समीक्षा
पूर्व भाजपा नेता चेतन बरागटा के बागी होने के बाद से जुब्बल-कोटखाई में सियासी संकट का सामना कर रही भाजपा ने प्रचार के लिए नई रणनीति पर मंथन शुरू कर दिया है। शुक्रवार को भाजपा के प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने सुरेश भारद्वाज के साथ उनके आवास पर समीक्षा बैठक की। हर बूथ स्तर पर पन्ना प्रमुख से लेकर मंडल तक के पदाधिकारियों की सक्रियता को लेकर रिपोर्ट सौंपी गई।
यह भी देखा गया कि किन जगहों पर पार्टी की स्थिति कमजोर और कहां मजबूत है। सूत्रों के अनुसार बैठक में तय हुआ है कि जल्द नए पदाधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी और सोमवार से प्रचार को धार दी जाएगी। इस फैसले को चुनाव प्रचार की सुस्ती को दूर करने और कार्यकर्ताओं के बीच के असमंजस को दूर करने के तौर पर देखा जा रहा है। इसके बाद उन्होंने प्रदेश चुनाव समिति की बैठक ली।
कांग्रेस नेताओं को हो गया है फौजियों का फोबिया: खन्ना
कारगिल युद्ध लड़ने वाले सेना के जवानों से भले ही मंडी से कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह ने माफी मांग ली हो, लेकिन भाजपा अभी भी इस मुद्दे पर सियासी सीजफायर के मूड में नहीं है। भाजपा प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने शुक्रवार को रिज स्थित होटल आशियाना में प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि कांग्रेस के नेताओं को फौजियों का फोबिया हो गया है। उनके सपने में भी फौजी आते हैं।
कहा कि कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 लोग शहीद हुए थे। प्रतिभा सिंह ने माफी तो मांगी है, पर इससे काम नहीं चलेगा और उन्हें और माफी मांगनी पड़ेगी। कहा कि कांग्रेस को ब्रिगेडियर कुशाल ठाकुर की टोपी और मेडल से परेशानी हो रही है। उनके शौर्य पर प्रश्न उठाना दर्शाता है कि कांग्रेस को फौजियों का फोबिया हो चुका है। कहा कि हमें गर्व है कि हमारे अध्यक्ष सुरेश कश्यप भी एक फौजी हैं।
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जुब्बल-कोटखाई में भाजपा में बगावत का दौर थमने के बजाय और बढ़ गया है। मंडल से लेकर बूथ तक के पदाधिकारियों, मोर्चों के सदस्यों के इस्तीफों के बाद अब भाजपा के लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया है। मतदान से 15 दिन पहले सत्ताधारी पार्टी को जुब्बल कोटखाई में शून्य से संगठन खड़ा करना होगा।
बगावत ने भाजपा के पन्ना प्रमुख से लेकर त्रिदेव और संगठनात्मक कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। टीम चेतन के इस्तीफे के बाद आलम यह हो गया है कि भाजपा विस क्षेत्र में अर्श से फर्श पर पहुंच गई है। चुनावी दौर में अब भाजपा के लिए नए सिरे से बूथ से लेकर मंडल स्तर तक संगठन खड़ा करने की कवायद शुरू करनी पड़ रही है। वरिष्ठ नेता दावा तो कर रहे हैं कि दो से तीन दिन में पूरा संगठन खड़ा हो जाएगा, लेकिन आलम यह है कि कार्यकर्ता ही नहीं मिल रहे हैं।
उधर, सियासी भगदड़ के चलते पार्टी के वरिष्ठ नेता जुब्बल-कोटखाई में चुनाव प्रचार करने से कतरा रहे हैं। हालात संभालने के लिए शहरी विकास मंत्री व चुनाव क्षेत्र के प्रभारी सुरेश भारद्वाज और सुखराम चौधरी को अकेले छोड़ दिया गया है। उनके ऊपर प्रचार को जारी रखने से लेकर पार्टी को खड़ा करने के लिए कार्यकर्ता तलाशने तक की जिम्मेदारी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री, प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष तक किसी का भी वहां दौरा नहीं बनाया जा रहा।
संसदीय क्षेत्र प्रभारी पुरुषोत्तम गुलेरिया भी इस भीषण सियासी संघर्ष के बीच ग्राउंड से गायब हैं। जाहिर है स्वर्गीय नरेंद्र बरागटा के परिवार की बगावत से भाजपा के लिए ऐसा गैप पैदा हो गया है, जिसे चुनावी दौर में भरना भाजपा के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।
भाजपा के प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना कहते हैं कि किसी के जाने से पार्टी का काम नहीं रुकता है और अगले दो दिन के भीतर बूथ स्तर तक का संगठन खड़ा कर लिया जाएगा। नेताओं के दौरे पर कहा कि फिलहाल दो मंत्री वहां चुनाव प्रचार संभालने के लिए डटे हुए हैं और जरूरत के अनुसार पार्टी अन्य नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए बुलाएगी।