कालका-शिमला एनएच पर जाबली में शुक्रवार को भूस्खलन की वजह से स्कूल भवन खतरे की जद में आ गया है। इस स्कूल में आसपास के करीब 500 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इन्हें डेढ़ माह की छुट्टी के बाद शनिवार को स्कूल आना था।
लेकिन स्कूल भवन के भूस्खलन की चपेट में आने से सभी छात्रों को वैकल्पिक व्यवस्था तक अवकाश घोषित कर दिया है। शिक्षा विभाग ने मंगलवार तक दूसरी जगह की तलाश कर लेने की बात कही है। इसके बाद स्कूल शुरू हो पाएगा जबकि यहां अब कक्षाएं नहीं लगाई जाएंगी।
करीब छह माह पहले भी स्कूल भवन में पहाड़ की कटिंग के दौरान भूस्खलन हुआ था। उस समय प्रशासन ने भवन को असुरक्षित घोषित कर इसे खाली करने के आदेश दिए थे।
उस समय स्कूल के कार्यालय भवन और एक ब्लॉक को खतरा पैदा हो गया था। इस बार पूरा स्कूल भवन की खतरे की जद में आ गया था। लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था न हो पाने की वजह से स्कूल असुरक्षित भवन में ही चलता रहा।
शुक्रवार को जाबली स्कूल भवन का निरीक्षण करने पहुंचे तहसीलदार कसौली कपिल तोमर, जाबली पंचायत प्रधान दुनी चंद धीमान, उपप्रधान विनय अत्रि, एसएमसी भूपेंद्र ठाकुर, हलका पटवारी जीआर कंपनी के डिप्टी मैनेजर उमेश कुमार ने भवन में बच्चों को न बैठाने की सलाह दी है।
एडीएम रोहित राठौर ने तहसीलदार कसौली और पटवारी को नुकसान का जायजा और भवन का आकलन करने के भी आदेश दिए हैं। वहीं सनवारा में सुबह करीब सवा दस बजे पर हेरिटेज कालका-शिमला रेलमार्ग पर मलबा गिर गया। इससे करीब ढाई घंटे तक मार्ग बाधित रहा।
अप मिक्स ट्रेन में 200 यात्री फंसे रहे। एक ट्रेन को कालका में रोका गया। जेसीबी मशीन और कर्मचारियों ने मार्ग बहाल कर 12:45 बजे ट्रेनों की आवाजाही बहाल की।
स्कूल प्रबंधन समिति के प्रधान भूपेंद्र ठाकुर ने बताया कि स्कूल भवन पूरी तरह से खतरे की जद में आ गया है। उन्होंने एनएचएआई और जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि एसएमसी ने कई बार मौखिक और लिखित अपील की है लेकिन इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया। समय रहते अगर डंगे लग जाते तो स्कूल भवन खतरे की जद से बाहर होता।
अब स्कूल भवन में विद्यार्थियों और शिक्षकों का पढ़ना मुश्किल है। स्थानीय लोगों ने बताया कि स्कूल के नीचे फोरलेन निर्माण कंपनी डंगे लगा रही थी कि अचानक पहाड़ से भूस्खलन होने से डंगे गिर गए।मिट्टी व मलबा हाईवे पर आ गया। स्कूल के नीचे पहाड़ से भूस्खलन होने से स्कूल भवन के एक किनारे को खतरा हो गया है।
वैकल्पिक व्यवस्था होने तक बंद रहेगा स्कूल : मखैक
उच्च शिक्षा उपनिदेशक योगेंद्र मखैक ने कहा कि जाबली स्कूल का दौरा कर लिया गया है। मंगलवार या बुधवार तक वैकल्पिक व्यवस्था कर ली जाएगी। इसके लिए स्कूल स्टाफ और एसएमसी को वैकल्पिक स्थान देखने के आदेश दिए गए हैं। 5-6 कमरों में स्कूल स्टाफ को जरूरी सामान और बच्चों को बैठने का प्रबंध करने के लिए कहा है। मौके की रिपोर्ट आला अधिकारियों को बता दी गई है।
कालका-शिमला एनएच पर जाबली में शुक्रवार को भूस्खलन की वजह से स्कूल भवन खतरे की जद में आ गया है। इस स्कूल में आसपास के करीब 500 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इन्हें डेढ़ माह की छुट्टी के बाद शनिवार को स्कूल आना था।
लेकिन स्कूल भवन के भूस्खलन की चपेट में आने से सभी छात्रों को वैकल्पिक व्यवस्था तक अवकाश घोषित कर दिया है। शिक्षा विभाग ने मंगलवार तक दूसरी जगह की तलाश कर लेने की बात कही है। इसके बाद स्कूल शुरू हो पाएगा जबकि यहां अब कक्षाएं नहीं लगाई जाएंगी।
करीब छह माह पहले भी स्कूल भवन में पहाड़ की कटिंग के दौरान भूस्खलन हुआ था। उस समय प्रशासन ने भवन को असुरक्षित घोषित कर इसे खाली करने के आदेश दिए थे।
उस समय स्कूल के कार्यालय भवन और एक ब्लॉक को खतरा पैदा हो गया था। इस बार पूरा स्कूल भवन की खतरे की जद में आ गया था। लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था न हो पाने की वजह से स्कूल असुरक्षित भवन में ही चलता रहा।
शुक्रवार को जाबली स्कूल भवन का निरीक्षण करने पहुंचे तहसीलदार कसौली कपिल तोमर, जाबली पंचायत प्रधान दुनी चंद धीमान, उपप्रधान विनय अत्रि, एसएमसी भूपेंद्र ठाकुर, हलका पटवारी जीआर कंपनी के डिप्टी मैनेजर उमेश कुमार ने भवन में बच्चों को न बैठाने की सलाह दी है।
एडीएम रोहित राठौर ने तहसीलदार कसौली और पटवारी को नुकसान का जायजा और भवन का आकलन करने के भी आदेश दिए हैं। वहीं सनवारा में सुबह करीब सवा दस बजे पर हेरिटेज कालका-शिमला रेलमार्ग पर मलबा गिर गया। इससे करीब ढाई घंटे तक मार्ग बाधित रहा।
अप मिक्स ट्रेन में 200 यात्री फंसे रहे। एक ट्रेन को कालका में रोका गया। जेसीबी मशीन और कर्मचारियों ने मार्ग बहाल कर 12:45 बजे ट्रेनों की आवाजाही बहाल की।