आज पूरे देश में
ईद-उल-फितर का त्यौहार बड़े ही जोश और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। रमजान के महीने के आखिरी दिन जब
चांद का दीदार होता है तो उसके अगले दिन ईद मनाई जाती हैं। लोग इस मौके पर एक दूसरे को ईद की बधाईंया देने के साथ ही अल्लाह का शुक्रिया भी अदा करते हैं।
इस्लाम धर्म में ईद सबसे बड़ा त्यौहार होता है। दुनिया भर के
मुसलमानों के लिए ये एक खास त्यौहार होता है, जिसका इंतजार उन्हें रहता है। रमजान के महीने का आखिरी रोजा यानि 30वें रोजे के बाद चांद देखकर ईद मनाई जाती हैं, जो हिजरी कैलेंडर के 10वें महीने की पहली तारीख है। ऐसा माना जाता है कि कुरान का अवतरण रमजान के महीने में ही हुआ था। इसी वजह से इस माह में ज्यादा कुरान पढ़ने का फर्ज है।
ईद क्यों मनाई जाती है
-हिजरी कैलेण्डर के अनुसार ईद साल में दो बार आती है। एक ईद होती है ईद-उल-फितर और दूसरी ईद-उल-जुहा। ईद-उल-फितर को मीठी ईद भी कहा जाता है, जबकि ईद-उल-जुहा को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है।
- रमजान में रोजेदार पूरे महीने अल्लाह की इबादत करने के साथ पूरी तरह से संयम बरते हुए रोजे रखते हैं। आखिर रोजे के बाद चांद के दीदार होने के साथ रोजे रखने की ताकत देने के लिए इस दिन अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं।
- फितर को अरबी भाषा में फितरा कहा जाता है, जिसका मतलब एक दान होता है। दान या जकात किए बिना ईद की नमाज नहीं होती। कहते हैं कि ईद की नमाज से जरूरमंद लोगों को दान दिया जाता है।माना जाता है कि रमजान के महीने की 27वीं रात, जिसे शब-ए-क़द्र को कहा जाता है। जिस दिन क़ुरान का नुज़ूल यानी अवतरण हुआ था।
-भारत समेत पूरी दुनिया में इस समय ईद बड़े जोश और उमंग के साथ बड़ी धूमधाम के साख मनाया जाता है । इस दिन मुस्लिम दो रक्आत नमाज शुक्राने अदा करते हैं।
- मस्जिदों में मुलमान फितरा यानि की जान व माल का सदका करते है। सदका अल्लाह ने गरीबों की इमदाद का एक तरीका दिया है। गरीब आदमी भी इस दिन साफ कपड़े पहनकर सबके साथ मिलकर नमाज पढ़ते हैं।
- रमजान में मुस्लिमों के द्वारा रोजा,तरावीह और तिलावते कुरआन के जरिए विशेष इबादत की जाती हैं। रमजान का पवित्र महीना मुसलमानों की जीवन शैली में संतुलन बनाने का अच्छा जरिया होता है।
आज पूरे देश में ईद-उल-फितर का त्यौहार बड़े ही जोश और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। रमजान के महीने के आखिरी दिन जब चांद का दीदार होता है तो उसके अगले दिन ईद मनाई जाती हैं। लोग इस मौके पर एक दूसरे को ईद की बधाईंया देने के साथ ही अल्लाह का शुक्रिया भी अदा करते हैं।
इस्लाम धर्म में ईद सबसे बड़ा त्यौहार होता है। दुनिया भर के
मुसलमानों के लिए ये एक खास त्यौहार होता है, जिसका इंतजार उन्हें रहता है। रमजान के महीने का आखिरी रोजा यानि 30वें रोजे के बाद चांद देखकर ईद मनाई जाती हैं, जो हिजरी कैलेंडर के 10वें महीने की पहली तारीख है। ऐसा माना जाता है कि कुरान का अवतरण रमजान के महीने में ही हुआ था। इसी वजह से इस माह में ज्यादा कुरान पढ़ने का फर्ज है।