भारत की अग्रिम पंक्ति गोल तो करने तरस ही रही है उसे पेनाल्टी कार्नर बनाने में भी पसीना आ रहा है। भारत हॉकी वर्ल्ड लीग फाइनल में पूल-बी में अपने तीनों लीग मैच खेल केवल जर्मनी के खिलाफ मैच ड्रॉ करा पाया। भारत को अपनी पहली जीत की तलाश है। भारत तीन मैचों में महज दो गोल कर पाया है।
फिलहाल भारत के फॉरवर्ड में यहां गोल करने वाले अकेले फॉरवर्ड हैं आकाशदीप। भारत केवल जर्मनी के खिलाफ मैच ड्रॉ करा पाया। भारत को यहां अब तक तीन मैचों में कुल तीन पेनाल्टी कार्नर मिले, जिसमें से केवल एक पर इनडायरेक्ट चिंगलेनसाना ही गोल कर पाए।
भारत के खिलाफ लीग में अर्जेंटीना ने नौ में से दो और नीदरलैंड ने सात में एक पेनाल्टी कार्नर को गोल में बदला जबकि जर्मनी ने चारों को भुनाने में नाकाम रहा। भारत के लिए अपनी अग्रिम पंक्ति की नाकामी चिंता का सबब है। इस टूर्नामेंट का फॉर्मेट ऐसा है इसमें शिरकत करने वाली सभी आठों टीमें क्वार्टर फाइनल खेलेंगी।
ऐसे में लीग मैच टीमों के लिए अपनी ताकत और खामियों को आंकने का बढ़िया मौका थे। अब सभी टीमों के लिए प्रयोग करने का दौर खत्म।
बुधवार से शुरू हो रहे क्वार्टर फाइनल असल इम्तिहान की घड़ी हैं, खासतौर पर भारत के लिए। भारत इस इम्तिहान में पास होकर अंतिम चार में स्थान बनाने में कामयाब रहा तो लीग चरण की निराश को हॉकी प्रेमी भूल जाएंगे।
भारत के चीफ रोलैंट ओल्टमैंस कहते हैं, "दुनिया की टॉप टीमों के खिलाफ अपनी योजना को अमली जामा पहनाने के लिए हमें धैर्य दिखाना होगा। मेरा पूरी फोकस फिलहाल भारत के क्वार्टर फाइनल में प्रदर्शन पर है। मेरा ध्यान है टीम के रूप में भारत का प्रदर्शन सुधारने पर है। तभी मैं कहता हूं कि अग्रिम पंक्ति की आलोचना मुनासिब नहीं है। दुनिया के सबसे मजबूत डिफेंस वाली टीमों के खिलाफ फॉरवर्ड तभी कामयाब हो सका है जब सही वक्त पर उसे सही पास मिले।"
उन्होंने कहा, "हमारी टीम तभी निरंतर अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी जब वह छोटी-छोटी गलतियां न करें। मेरा ध्यान इस बात पर है कि हमारी टीम क्वार्टर फाइनल में छोटी छोटी गलतियां न करें। हमें अपनी पासिंग और बेहतर संवाद की जरूरत है। तभी हम बड़ी टीमों के खिलाफ बड़े मैच में निरंतर कामयाबी हासिल कर पाएंगे। जरूरत गेंद को क्षण भर की देरी किए बिना गोल में डालने की है। मैं यहां लीग में भारत के अर्जेंटीना के खिलाफ मैच में प्रदर्शन से जरूर नाखुश था। जर्मनी के खिलाफ हमने बेहतरीन हॉकी खेली। नीदरलैंड के खिलाफ हम टुकड़ों-टुकड़ों में अच्छा खेल पाए। मैं यह जरूर चाहता हूं कि हमें ज्यादा से ज्यादा पेनाल्टी कार्नर मिले क्योंकि हमारे पास रुपिंदर और रघुनाथ के रूप में दुनिया के दो बेहतरीन ड्रैग फ्लिकर हैं।"
भारत के चीफ कोच रोलैंट ओल्टमैंस स्ट्रक्चर हॉकी की बात बहुत करते हैं लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि क्या टीम में हकीकत ऐसा करने की कूवत है? केवल आकाशदीप सिंह और एसवी सुनील जैसे फॉरवर्ड के बूते भारत की दुनिया की ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसी टीमों से पार करने की तमन्ना जानते बूझते हकीकत से आंख बंद करने जैसा है।
भारत को अग्रिम पंक्ति में डी के भीतर जिस तरह रमणदीप सिंह मौके गंवा रहे हैं यह उनकी टीम में मौजूदगी पर बराबर सवाल खड़े करता है। रमणदीप ने खासतौर पर आकाशदीप और आक्रामक मिडफील्डर धर्मवीर सिंह, मनप्रीत सिंह और दानिश मुज्तबा के पास पर डी के भीतर दर्जन भर से ज्यादा गोल करने के मौके गंवाएं। इस पर रोलैंट ओल्टमैंस का मौके गंवाने के बावजूद रमणदीप का बचाव करना किसी के भी गले नहीं उतरता है।
भारत की मध्यपंक्ति में कप्तान सरदार सिंह, मनप्रीत, धर्मवीर, चिंगलेनसाना और दानिश मुज्तबा के अभियानों पर अकेले आकाशदीप सिंह डी के भीतर पूरे विश्वास से गेंद को ट्रैप कर पा रहे हैं। प्रैक्टिस सत्र में प्रतिद्वंद्वी टीम पर दबाव बनाने के लिए रणनीतिक कोच रॉजर वान जेंट के मार्गदर्शन में मंगलवार को 3-ए साइड हॉकी खेली। रॉजर की भारतीय टीम को सीख कितनी कारगर रही इसका इम्तिहान क्वार्टर फाइनल में ही होगा।
भारत की अग्रिम पंक्ति गोल तो करने तरस ही रही है उसे पेनाल्टी कार्नर बनाने में भी पसीना आ रहा है। भारत हॉकी वर्ल्ड लीग फाइनल में पूल-बी में अपने तीनों लीग मैच खेल केवल जर्मनी के खिलाफ मैच ड्रॉ करा पाया। भारत को अपनी पहली जीत की तलाश है। भारत तीन मैचों में महज दो गोल कर पाया है।
फिलहाल भारत के फॉरवर्ड में यहां गोल करने वाले अकेले फॉरवर्ड हैं आकाशदीप। भारत केवल जर्मनी के खिलाफ मैच ड्रॉ करा पाया। भारत को यहां अब तक तीन मैचों में कुल तीन पेनाल्टी कार्नर मिले, जिसमें से केवल एक पर इनडायरेक्ट चिंगलेनसाना ही गोल कर पाए।
भारत के खिलाफ लीग में अर्जेंटीना ने नौ में से दो और नीदरलैंड ने सात में एक पेनाल्टी कार्नर को गोल में बदला जबकि जर्मनी ने चारों को भुनाने में नाकाम रहा। भारत के लिए अपनी अग्रिम पंक्ति की नाकामी चिंता का सबब है। इस टूर्नामेंट का फॉर्मेट ऐसा है इसमें शिरकत करने वाली सभी आठों टीमें क्वार्टर फाइनल खेलेंगी।
ऐसे में लीग मैच टीमों के लिए अपनी ताकत और खामियों को आंकने का बढ़िया मौका थे। अब सभी टीमों के लिए प्रयोग करने का दौर खत्म।
बुधवार से शुरू हो रहे क्वार्टर फाइनल असल इम्तिहान की घड़ी हैं, खासतौर पर भारत के लिए। भारत इस इम्तिहान में पास होकर अंतिम चार में स्थान बनाने में कामयाब रहा तो लीग चरण की निराश को हॉकी प्रेमी भूल जाएंगे।
भारत के चीफ रोलैंट ओल्टमैंस कहते हैं, "दुनिया की टॉप टीमों के खिलाफ अपनी योजना को अमली जामा पहनाने के लिए हमें धैर्य दिखाना होगा। मेरा पूरी फोकस फिलहाल भारत के क्वार्टर फाइनल में प्रदर्शन पर है। मेरा ध्यान है टीम के रूप में भारत का प्रदर्शन सुधारने पर है। तभी मैं कहता हूं कि अग्रिम पंक्ति की आलोचना मुनासिब नहीं है। दुनिया के सबसे मजबूत डिफेंस वाली टीमों के खिलाफ फॉरवर्ड तभी कामयाब हो सका है जब सही वक्त पर उसे सही पास मिले।"
उन्होंने कहा, "हमारी टीम तभी निरंतर अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी जब वह छोटी-छोटी गलतियां न करें। मेरा ध्यान इस बात पर है कि हमारी टीम क्वार्टर फाइनल में छोटी छोटी गलतियां न करें। हमें अपनी पासिंग और बेहतर संवाद की जरूरत है। तभी हम बड़ी टीमों के खिलाफ बड़े मैच में निरंतर कामयाबी हासिल कर पाएंगे। जरूरत गेंद को क्षण भर की देरी किए बिना गोल में डालने की है। मैं यहां लीग में भारत के अर्जेंटीना के खिलाफ मैच में प्रदर्शन से जरूर नाखुश था। जर्मनी के खिलाफ हमने बेहतरीन हॉकी खेली। नीदरलैंड के खिलाफ हम टुकड़ों-टुकड़ों में अच्छा खेल पाए। मैं यह जरूर चाहता हूं कि हमें ज्यादा से ज्यादा पेनाल्टी कार्नर मिले क्योंकि हमारे पास रुपिंदर और रघुनाथ के रूप में दुनिया के दो बेहतरीन ड्रैग फ्लिकर हैं।"
भारत के चीफ कोच रोलैंट ओल्टमैंस स्ट्रक्चर हॉकी की बात बहुत करते हैं लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि क्या टीम में हकीकत ऐसा करने की कूवत है? केवल आकाशदीप सिंह और एसवी सुनील जैसे फॉरवर्ड के बूते भारत की दुनिया की ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसी टीमों से पार करने की तमन्ना जानते बूझते हकीकत से आंख बंद करने जैसा है।
भारत को अग्रिम पंक्ति में डी के भीतर जिस तरह रमणदीप सिंह मौके गंवा रहे हैं यह उनकी टीम में मौजूदगी पर बराबर सवाल खड़े करता है। रमणदीप ने खासतौर पर आकाशदीप और आक्रामक मिडफील्डर धर्मवीर सिंह, मनप्रीत सिंह और दानिश मुज्तबा के पास पर डी के भीतर दर्जन भर से ज्यादा गोल करने के मौके गंवाएं। इस पर रोलैंट ओल्टमैंस का मौके गंवाने के बावजूद रमणदीप का बचाव करना किसी के भी गले नहीं उतरता है।
भारत की मध्यपंक्ति में कप्तान सरदार सिंह, मनप्रीत, धर्मवीर, चिंगलेनसाना और दानिश मुज्तबा के अभियानों पर अकेले आकाशदीप सिंह डी के भीतर पूरे विश्वास से गेंद को ट्रैप कर पा रहे हैं। प्रैक्टिस सत्र में प्रतिद्वंद्वी टीम पर दबाव बनाने के लिए रणनीतिक कोच रॉजर वान जेंट के मार्गदर्शन में मंगलवार को 3-ए साइड हॉकी खेली। रॉजर की भारतीय टीम को सीख कितनी कारगर रही इसका इम्तिहान क्वार्टर फाइनल में ही होगा।