अल्फाबेट कंपनी के गूगल के खिलाफ यूरोपीय संघ (ईयू) की प्रतिस्पर्धा नियामक एजेंसी इस साल के अंत तक सबसे व्यापक जांच शुरू करने जा रही है। यह जांच गूगल के एड टेक कारोबार को लेकर होगी। इसके जरिए गूगल ने पूरी ऑनलाइन विज्ञापन व्यवस्था बना रखी है।
यूरोपीय संघ जांच विज्ञापनदाताओं, प्रकाशकों अन्य इंटरमीडियरी व गूगल के प्रतिद्वंद्वियों आदि की कमाई को गूगल द्वारा हासिल एकाधिकार के दुरुपयोग से प्रभावित करने पर होगी। विशेषज्ञों के अनुसार, पहले से ही अमेरिका व भारत सहित कई देशों की नियामक एजेंसियों की जांच से गुजर रहे गूगल के लिए यूरोप में एक नया मोर्चा खुलने जा रहा है।
पिछले एक दशक में उस पर 800 करोड़ यूरो (70,374 करोड रुपये) के जुर्माने ऑनलाइन शॉपिंग, एंड्रॉयड स्मार्टफोन और ऑनलाइन विज्ञापन में अपने प्रतिद्वंद्वियों को रोकने के मामलों में लग चुके हैं। हालांकि यह पिछले एक साल की उसकी कमाई का सात प्रतिशत भी नहीं है।
10.89 लाख करोड़ पिछले साल
ऑनलाइन विज्ञापन गूगल की कमाई का सबसे अहम जरिया है। पिछले साल उसने 10.90 लाख करोड़ रुपये इस व्यवस्था से कमाए। यह विज्ञापन उसके सर्च इंजन, यूट्यूब जीमेल, और इनसे लिंक अन्य प्लेटफार्म पर दिए जाते हैं। करीब 16 फीसदी कमाई प्रकाशकों के प्लेटफार्म से हुई है। इनमें समाचार प्रकाशकों की वेबसाइट्स व एप प्रमुख हैं, जिनमें गूगल की तकनीक का इस्तेमाल कर विज्ञापन दिए जा रहे हैं।
फ्रांस में पिछले हफ्ते ही लगा जुर्माना
पिछले हफ्ते फ्रांस में करीब 1980 करोड़ रुपये का जुर्माना गूगल पर लगाया गया। यहां भी यूरोपीय संघ के मामले की तरह गूगल के विज्ञापन कारोबार पर आरोप थे। इसी प्रकार के आरोपों पर ब्रिटिश प्रतिस्पर्धा नियामक एजेंसी भी जांच कर रही है, जिस पर जल्द समझौता हो सकता है।
विज्ञापन कारोबार साम्राज्य
- विश्व के 27% ऑनलाइन विज्ञापनों पर गूगल का नियंत्रण है।
- सर्च इंजन के 57% और विभिन्न प्लेटफार्म पर दिखने वाले 10 % विज्ञापन गूगल के नियंत्रण में हैं।
- आरोप लगाने वाली एजेंसियों का कहना है कि गूगल ने तकनीक ऐसे विकसित की हैं कि मार्केट में उसको नजरअंदाज करना असंभव है।
- विक्रेता, खरीदार व उनके बीच में मौजूद प्लेटफार्म गूगल पर निर्भर हैं।
- इसका फायदा उठा गूगल सभी पक्षों से ऊंची फीस वसूल रहा है। गूगल के कहे अनुसार नहीं चलते, उन्हें ब्लॉक करवाता है, तकनीकी प्लेटफार्म पर ब्लॉक होने का मतलब कारोबार से हाथ धो बैठना है।
विस्तार
अल्फाबेट कंपनी के गूगल के खिलाफ यूरोपीय संघ (ईयू) की प्रतिस्पर्धा नियामक एजेंसी इस साल के अंत तक सबसे व्यापक जांच शुरू करने जा रही है। यह जांच गूगल के एड टेक कारोबार को लेकर होगी। इसके जरिए गूगल ने पूरी ऑनलाइन विज्ञापन व्यवस्था बना रखी है।
यूरोपीय संघ जांच विज्ञापनदाताओं, प्रकाशकों अन्य इंटरमीडियरी व गूगल के प्रतिद्वंद्वियों आदि की कमाई को गूगल द्वारा हासिल एकाधिकार के दुरुपयोग से प्रभावित करने पर होगी। विशेषज्ञों के अनुसार, पहले से ही अमेरिका व भारत सहित कई देशों की नियामक एजेंसियों की जांच से गुजर रहे गूगल के लिए यूरोप में एक नया मोर्चा खुलने जा रहा है।
पिछले एक दशक में उस पर 800 करोड़ यूरो (70,374 करोड रुपये) के जुर्माने ऑनलाइन शॉपिंग, एंड्रॉयड स्मार्टफोन और ऑनलाइन विज्ञापन में अपने प्रतिद्वंद्वियों को रोकने के मामलों में लग चुके हैं। हालांकि यह पिछले एक साल की उसकी कमाई का सात प्रतिशत भी नहीं है।
10.89 लाख करोड़ पिछले साल
ऑनलाइन विज्ञापन गूगल की कमाई का सबसे अहम जरिया है। पिछले साल उसने 10.90 लाख करोड़ रुपये इस व्यवस्था से कमाए। यह विज्ञापन उसके सर्च इंजन, यूट्यूब जीमेल, और इनसे लिंक अन्य प्लेटफार्म पर दिए जाते हैं। करीब 16 फीसदी कमाई प्रकाशकों के प्लेटफार्म से हुई है। इनमें समाचार प्रकाशकों की वेबसाइट्स व एप प्रमुख हैं, जिनमें गूगल की तकनीक का इस्तेमाल कर विज्ञापन दिए जा रहे हैं।
फ्रांस में पिछले हफ्ते ही लगा जुर्माना
पिछले हफ्ते फ्रांस में करीब 1980 करोड़ रुपये का जुर्माना गूगल पर लगाया गया। यहां भी यूरोपीय संघ के मामले की तरह गूगल के विज्ञापन कारोबार पर आरोप थे। इसी प्रकार के आरोपों पर ब्रिटिश प्रतिस्पर्धा नियामक एजेंसी भी जांच कर रही है, जिस पर जल्द समझौता हो सकता है।
विज्ञापन कारोबार साम्राज्य
- विश्व के 27% ऑनलाइन विज्ञापनों पर गूगल का नियंत्रण है।
- सर्च इंजन के 57% और विभिन्न प्लेटफार्म पर दिखने वाले 10 % विज्ञापन गूगल के नियंत्रण में हैं।
- आरोप लगाने वाली एजेंसियों का कहना है कि गूगल ने तकनीक ऐसे विकसित की हैं कि मार्केट में उसको नजरअंदाज करना असंभव है।
- विक्रेता, खरीदार व उनके बीच में मौजूद प्लेटफार्म गूगल पर निर्भर हैं।
- इसका फायदा उठा गूगल सभी पक्षों से ऊंची फीस वसूल रहा है। गूगल के कहे अनुसार नहीं चलते, उन्हें ब्लॉक करवाता है, तकनीकी प्लेटफार्म पर ब्लॉक होने का मतलब कारोबार से हाथ धो बैठना है।