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विस्तार
ट्विटर का निदेशक मंडल सोमवार को इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को दुनिया के सबसे धनी कारोबारी एलन मस्क के हाथों बेचने पर सहमत हो गया। ये सौदा 44 बिलियन डॉलर में तय हुआ है। मस्क ने कुछ समय पहले ट्विटर को खरीदने की ठोस पेशकश की थी। लेकिन ऐसा करने की मंशा वे कई साल से जताते रहे हैं। तभी से वे इस बात की चर्चा करते रहे हैं कि अगर उनके हाथ में ये सोशल मीडिया साइट आई, तो वे इसमें क्या बदलाव करेंगे।
क्या मिलेगा एडिट बटन?
अब मीडियाकर्मी मस्क की उन बातों की सूची तैयार कर रहे हैं। मसलन, मस्क ने 2019 में एक ट्विट में कहा था कि ट्विटर पर एडिट बटन की कमी है। इसी महीने टेड कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था कि वे ट्विटर पर एडिट बटन जोड़ना चाहते हैँ। उन्होंने कहा था- ट्विटर की जिन समस्याओं को लेकर आलोचना होती है, एडिट बटन जोड़ कर उसका हल निकाला जा सकता है। ऐसा किया जा सकता है कि ट्विट करने के बाद कुछ समय तक ट्विट को एडिट करने की सुविधा दी जाए। अगर कोई अपने ट्विट को एडिट करता है, तो उसके पहले उसके जो री-ट्विट हुए हों या उसे जो लाइक मिले हों, उसे शून्य कर दिया जाना चाहिए।
इसी महीने मस्क ने अपने ट्विटर फॉलोवर्स के बीच इस सवाल पर सर्वे किया कि क्या यूजर एडिट बटन चाहते हैं। 44 लाख लोगों ने इस सर्वे में हिस्सा लिया। उनमें 76 फीसदी ने एडिट बटन जोड़ने के पक्ष में राय जताई। उसके बाद ट्विटर ने कहा था कि वह इस बारे में विचार कर रहा है, हालांकि उसके बयान में यह भी कहा गया कि एडिट बटन जोड़ने का आइडिया उसे मस्क के सर्वे से नहीं मिला है।
मस्क ट्विटर पर लंबी पोस्ट डालने की सुविधा देने के भी समर्थक रहे हैं। ट्विटर पर अभी अधिकतम 280 अक्षरों का एक ट्विट किया जा सकता है। 2017 तक सिर्फ 140 अक्षरों के ट्विट की सुविधा थी। मस्क स्पैम बॉट्स को हटाने के भी समर्थक हैं। इसी महीने एक ट्विट में उन्होंने कहा था कि अगर ट्विटर को खरीदने की उनकी कोशिश सफल रही, तो स्पैम बॉट्स ट्विटर से हटा दिए जाएंगे। उन्होंने कहा था- मेरे स्वामित्व में ट्विटर हर वास्तविक मनुष्य की पुष्टि करेगा।
एल्गोरिद्म में भी लाएंगे बदलाव!
मस्क पूर्वाग्रह आधारित ट्विटर एल्गोरिद्म को लेकर चिंता जताते रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वे ओपन सोर्स एल्गोरिद्म के जरिए इस समस्या का समाधान निकालेंगे। पिछले महीने उन्होंने एक ट्विट में कहा- ट्विटर के पूर्वाग्रह आधारित एल्गोरिद्म का सार्वजनिक विमर्श पर खराब असर पड़ता है। क्या ट्विटर पर ओपन सोर्स एल्गोरिद्म होना चाहिए, इस बारे में उन्होंने एक सर्वे भी कराया। उसमें 11 लाख लोगों ने भाग लिया, जिनमें से 83 फीसदी ने ओपन सोर्स एल्गोरिद्म का समर्थन किया।
एल्गोरिद्म यह तय करते हैं कि किसी यूजर के टाइमलाइन पर कौन से ट्विट प्राथमिकता से दिखेंगे। ओपन सोर्स एल्गोरिद्म उन ट्विट्स को भी समान प्राथमिकता से दिखाएगा, जिनके बारे में यूजर की पसंद या नापसंद सामने नहीं आई हो।
मस्क ट्विटर को स्वतंत्र अभिव्यक्ति का माध्यम बनाना चाहते हैं। टेड कांफ्रेंस में उन्होंने कहा था कि ट्विटर के कंटेंट को उसी सीमा तक रेगुलेट करना चाहिए, जितना संबंधित देश के कानून के तहत अनिवार्य हो। जनवरी 2021 में उन्होंने इसको लेकर नाराजगी जताई थी कि हाई टेक कंपनियां अभिव्यक्ति की स्वंत्रतता की परिभाषा तय करने लगी हैं। तब ट्विटर ने अपने प्लैटफॉर्म से तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हटा दिया था।
अब ये सवाल पूछा जा रहा है कि क्या मस्क सचमुच ऐसे बदलाव लाएंगे। वेबसाइट एक्सियोस.कॉम की एक टिप्पणी में कहा गया है कि बाहर से रह कर किसी नीति की वकालत आसान काम है। लेकिन अंदर उसे लागू करना मुश्किल साबित हो सकता है। साथ ही ये भी ध्यान में रखना चाहिए कि मस्क एक मूडी व्यक्ति हैं। वे आज जो कहते हैं, उससे कल ही मुकर जा सकते हैं।