न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मैनपुरी
Published by: Abhishek Saxena
Updated Fri, 14 Aug 2020 12:02 AM IST
बेवर के क्रांतिकारियों ने 14 अगस्त 1942 को एक दिन के लिए बेवर को आजाद कराया। क्रांतिकारियों ने अंग्रेज पुलिस को खदेड़कर नारेबाजी करके थाने पर तिरंगा फहराया था। 15 अगस्त 1942 को अंग्रेज पुलिस और सेना द्वारा क्रांतिकारियों पर की गई गोलीबारी में बेवर के एक छात्र सहित तीन क्रांतिकारी शहीद हुए।
देश को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली, लेकिन प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन से ही क्षेत्र में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ चिंगारी भड़कने लगी। अगस्त 1942 की राष्ट्रीय क्रांति में महात्मा गांधी द्वारा करो या मरो और अंग्रेजो भारत छोड़ो के आह्वान पर बेवर क्षेत्र की जनता आजादी की लड़ाई में दीवानी होकर उमड़ी। 14 अगस्त 1942 को बेवर थाने पर कब्जा करके अंग्रेज पुलिस को खदेड़कर थाने पर तिरंगा फहरा दिया। एक दिन के लिए बेवर अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ।
ये भी पढ़ें- अगस्त क्रांति के दौरान धधक उठी थी ताजनगरी, क्रांतिकारियों ने फूंक दिए थे अंग्रेजों के दफ्तर
15 अगस्त 1942 को बाहर से आई अंग्रेज पुलिस और सेना ने बेवर थाने पर मौजूद क्रांतिकारियों पर अंधाधुंध फायरिंग की। अंग्रेज पुलिस और सेना का मुकाबला करते हुए बेवर के क्रांतिकारी छात्र कृष्ण कुमार, सीताराम गुप्ता, जमुना प्रसाद त्रिपाठी सीने पर गोलियां खाकर शहीद हुए। हर साल 14 अगस्त को बेवर में आजादी के दीवाने तीनों क्रांतिकारियों को हर मौके पर याद किया जाता है।
शहीद स्मारक दिलाता है याद
बेवर को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने वाले अमर शहीदों की याद में बेवर में शहीद स्मारक का निर्माण कराया गया है। शहीद स्मारक में तीनों शहीदों की प्रतिमाएं और अंग्रेजों से लोहा लेते हुए शहीद हुए जिलेभर के शहीदों के चित्र लगाए गए हैं। 14 अगस्त को बेवर में क्रांतिकारियों को याद किया जाता है।
शहीदों की याद में लगता है मेला
बेवर में शहीदों के बलिदान स्थल पर वर्ष 1948 से 15 अगस्त को बलिदान दिवस मनाने का सिलसिला शुरू हुआ। वर्ष 1986 में 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन से मेले की शुरुआत हुई। हर साल लगने वाले शहीद मेला में देशभर के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों का मेला संयोजक राज त्रिपाठी द्वारा सम्मान किया जा चुका है।
विस्तार
बेवर के क्रांतिकारियों ने 14 अगस्त 1942 को एक दिन के लिए बेवर को आजाद कराया। क्रांतिकारियों ने अंग्रेज पुलिस को खदेड़कर नारेबाजी करके थाने पर तिरंगा फहराया था। 15 अगस्त 1942 को अंग्रेज पुलिस और सेना द्वारा क्रांतिकारियों पर की गई गोलीबारी में बेवर के एक छात्र सहित तीन क्रांतिकारी शहीद हुए।
देश को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली, लेकिन प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन से ही क्षेत्र में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ चिंगारी भड़कने लगी। अगस्त 1942 की राष्ट्रीय क्रांति में महात्मा गांधी द्वारा करो या मरो और अंग्रेजो भारत छोड़ो के आह्वान पर बेवर क्षेत्र की जनता आजादी की लड़ाई में दीवानी होकर उमड़ी। 14 अगस्त 1942 को बेवर थाने पर कब्जा करके अंग्रेज पुलिस को खदेड़कर थाने पर तिरंगा फहरा दिया। एक दिन के लिए बेवर अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ।
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15 अगस्त 1942 को बाहर से आई अंग्रेज पुलिस और सेना ने बेवर थाने पर मौजूद क्रांतिकारियों पर अंधाधुंध फायरिंग की। अंग्रेज पुलिस और सेना का मुकाबला करते हुए बेवर के क्रांतिकारी छात्र कृष्ण कुमार, सीताराम गुप्ता, जमुना प्रसाद त्रिपाठी सीने पर गोलियां खाकर शहीद हुए। हर साल 14 अगस्त को बेवर में आजादी के दीवाने तीनों क्रांतिकारियों को हर मौके पर याद किया जाता है।