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corona epidemic Impact: Production of glass products stalled due to lack of oxygen in firozabad
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फिरोजाबाद: ऑक्सीजन की कमी से कांच उत्पादों का उत्पादन ठप, नहीं हो पा रही चूड़ी कटाई
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, फिरोजाबाद
Published by: मुकेश कुमार
Updated Sat, 22 May 2021 12:07 AM IST
सार
मानवीय जरूरत के मद्देनजर ऑक्सीजन नहीं लेने वाले कांच उद्योग को अभी तक 10 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। उद्योगपतियों का कहना है कि माहौल सही होने के बाद ही औद्योगिक इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन की मांग करेंगे।
ठेल पर चूड़ी लादकर ले जाते श्रमिक
- फोटो : अमर उजाला
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फिरोजाबाद के कांच उद्योग जगत को अब ऑक्सीजन गैस की कमी खल रही है। कोविड संक्रमण के कारण इकाइयों में ऑक्सीजन गैस की खपत नहीं करने वाला कांच उद्योग जगत अब ऑक्सीजन सप्लाई लेने की जुगत में है। खास तौर पर चूड़ी कटाई, माउथ ब्लोइंग इकाइयों में बनने वाले कांच उत्पादों की डेनिया कटाई, हस्तशिल्प के जरिये बनने वाले कांच की मूर्ति एवं खिलौनों में ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
ऑक्सीजन के अभाव में बंद उक्त सभी कार्य ठप हैं। इस कारण से माउथ ब्लोइंग उत्पाद, चूड़ी एवं हस्तशिल्प कारोबार को करीब दस करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लग चुकी है। कांच चूड़ी की कटाई, माउथ ब्लोइंग कारखानों में बनने वाले उत्पादों की डेनिया कटाई के अलावा कांच की मूर्ति एवं खेल-खिलौना निर्माण में हस्तशिल्पियों द्वारा अन्य गैसों के साथ ऑक्सीजन का प्रयोग किया जाता है।
मार्च-अप्रैल के शुरूआती दौर में कोविड मरीजों व सामान्य को ऑक्सीजन की किल्लत के चलते फिरोजाबाद के उद्योग जगत ने ऑक्सीजन का इस्तेमाल बंद कर दिया था। कांच उद्योग जगत में ऑक्सीजन के इस्तेमाल नहीं होने के कारण तमाम तरह के कांच उत्पादों का निर्माण भी बंद है। कांच मूर्तियां, माउथ ब्लोइंग के जरिये बनने वाले कांच उत्पाद एवं चूड़ी कटाई नहीं होने के कारण फिरोजाबाद के कांच उद्योग जगत को दो माह में अभी तक करीब दस करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लग चुकी है।
सैकड़ों श्रमिकों की आजीविका पर संकट
कारखानों में चूड़ी कटाई, डेनिया एवं मूर्ति निर्माण आदि का काम ठप होने के कारण से इस कार्य में संलग्न हजारों कारीगर फिलहाल अपने घरों पर बेकार बैठे हैं अथवा अन्य कार्यों के जरिये दैनिक मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश ग्लास मैन्यूफैक्चर्स सिंडीकेट (यूपीजीएमएस) के अध्यक्ष राजकुमार मित्तल ने बताया कि मानवीय दृष्टिकोण से अभी कुछ दिन और ऑक्सीजन सप्लाई के लिए इंतजार करने का निर्णय लिया है। हालांकि ऑक्सीजन के अभाव में कांच से जुडे़ कई कार्य प्रभावित हैं। लेकिन हमारा मानना है कि प्राणवायु ऑक्सीजन का प्रयोग पहले मरीजों के हित में किया जाए। माहौल सही होने पर ही औद्योगिक गतिविधियां बढ़ाने की कवायद तेज करेंगे।
विस्तार
फिरोजाबाद के कांच उद्योग जगत को अब ऑक्सीजन गैस की कमी खल रही है। कोविड संक्रमण के कारण इकाइयों में ऑक्सीजन गैस की खपत नहीं करने वाला कांच उद्योग जगत अब ऑक्सीजन सप्लाई लेने की जुगत में है। खास तौर पर चूड़ी कटाई, माउथ ब्लोइंग इकाइयों में बनने वाले कांच उत्पादों की डेनिया कटाई, हस्तशिल्प के जरिये बनने वाले कांच की मूर्ति एवं खिलौनों में ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
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ऑक्सीजन के अभाव में बंद उक्त सभी कार्य ठप हैं। इस कारण से माउथ ब्लोइंग उत्पाद, चूड़ी एवं हस्तशिल्प कारोबार को करीब दस करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लग चुकी है। कांच चूड़ी की कटाई, माउथ ब्लोइंग कारखानों में बनने वाले उत्पादों की डेनिया कटाई के अलावा कांच की मूर्ति एवं खेल-खिलौना निर्माण में हस्तशिल्पियों द्वारा अन्य गैसों के साथ ऑक्सीजन का प्रयोग किया जाता है।
मार्च-अप्रैल के शुरूआती दौर में कोविड मरीजों व सामान्य को ऑक्सीजन की किल्लत के चलते फिरोजाबाद के उद्योग जगत ने ऑक्सीजन का इस्तेमाल बंद कर दिया था। कांच उद्योग जगत में ऑक्सीजन के इस्तेमाल नहीं होने के कारण तमाम तरह के कांच उत्पादों का निर्माण भी बंद है। कांच मूर्तियां, माउथ ब्लोइंग के जरिये बनने वाले कांच उत्पाद एवं चूड़ी कटाई नहीं होने के कारण फिरोजाबाद के कांच उद्योग जगत को दो माह में अभी तक करीब दस करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लग चुकी है।
सैकड़ों श्रमिकों की आजीविका पर संकट
कारखानों में चूड़ी कटाई, डेनिया एवं मूर्ति निर्माण आदि का काम ठप होने के कारण से इस कार्य में संलग्न हजारों कारीगर फिलहाल अपने घरों पर बेकार बैठे हैं अथवा अन्य कार्यों के जरिये दैनिक मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश ग्लास मैन्यूफैक्चर्स सिंडीकेट (यूपीजीएमएस) के अध्यक्ष राजकुमार मित्तल ने बताया कि मानवीय दृष्टिकोण से अभी कुछ दिन और ऑक्सीजन सप्लाई के लिए इंतजार करने का निर्णय लिया है। हालांकि ऑक्सीजन के अभाव में कांच से जुडे़ कई कार्य प्रभावित हैं। लेकिन हमारा मानना है कि प्राणवायु ऑक्सीजन का प्रयोग पहले मरीजों के हित में किया जाए। माहौल सही होने पर ही औद्योगिक गतिविधियां बढ़ाने की कवायद तेज करेंगे।
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