डीआईजी अजय मोहन शर्मा ने गुरुवार को रेंज की अपराध समीक्षा की तो एक बड़ी ही चौंकाने वाली बात सामने आई। सैंकड़ों ऐसे मामले निकले जिनमें चार्जशीट के बाद पुलिस केस को ही भूल गई। यही नहीं पता कि आरोप पत्र के बाद केस कोर्ट में चल रहा है या नहीं। इस पर डीआईजी ने सवाल किया तो चारों जिलों के कप्तान टेंशन में आ गए। डीआईजी ने निर्देश दिए गएं कि इनकी समीक्षा की जाए। रजिस्टर बनाकर हर केस का विवरण दर्ज करना होगा।
रेंज कार्यालय पर आयोजित मीटिंग में डीआईजी तैयारी के साथ आए। उन्होंने उन चार्जशीट का ब्योरा कप्तानों के सामने रखा जिनमें पुलिस पैरवी करना ही भूल गई। यह भी नहीं पता कि पुलिस ने जो आरोपी बनाए, उन पर आरोप तय हुए या नहीं। इस पर डीआईजी ने निर्देश दिए कि ऐसे तमाम केस पर फिर से काम किया जाए।
इन मामलों की सूचीबद्ध कर कोर्ट से मालूम किया जाए कि केस किस स्थिति में है। अगर चार्ज फ्रेम नहीं हुए हैं तो पैरवी कर इसे कराया जाए। अगर केस चल रहा है तो इसकी पैरवी ठीक से जाए ताकि मुल्जिम को सजा मिल सके। आगरा, मैनपुरी, फीरोजाबाद और मथुरा के एसएसपी मौजूद रहे।
तीन चालान होते ही डीएल निरस्त करो
आगरा। डीआईजी ने निर्देश दिए हैं कि एमवी एक्ट के प्रावधानों को अमल में लाकर यातायात नियम तोड़े जाने के मामलों में सख्ती की जाए। उन्होंने कहा कि अगर किसी चालक के एमवी एक्ट में तीन चालान कट जाते हैं, तो आरटीओ को रिपोर्ट देकर उसका ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त कराया जाए।
इसी तरह अगर किसी गाड़ी के तीन चालान कट जाए या उसका इस्तेमाल तीन बार अपराध में किया गया हो तो उसका रजिस्ट्रेशन कैंसिल कराया जाए। इसके अलावा सड़क दुर्घटना के मामलों में एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल केमाध्यम से पीड़ितों को मुआवजा दिलाया जाए।
इसमें आरोप पत्र दाखिल न होने पर भी पीड़ितों को आर्थिक मदद मिल सकती है। हिट एंड रन केमामलों में भी मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। इस ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष जिला जज हैं। मुआवजा पुलिस की रिपोर्ट पर दिया जाता है।
एमवी एक्ट का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं। इससे न केवल हादसे कम होंगे, बल्कि वाहन चलाने में लापरवाही करने वालों को सबक भी मिलेगा - अजय मोहन शर्मा ( डीआईजी )
डीआईजी अजय मोहन शर्मा ने गुरुवार को रेंज की अपराध समीक्षा की तो एक बड़ी ही चौंकाने वाली बात सामने आई। सैंकड़ों ऐसे मामले निकले जिनमें चार्जशीट के बाद पुलिस केस को ही भूल गई। यही नहीं पता कि आरोप पत्र के बाद केस कोर्ट में चल रहा है या नहीं। इस पर डीआईजी ने सवाल किया तो चारों जिलों के कप्तान टेंशन में आ गए। डीआईजी ने निर्देश दिए गएं कि इनकी समीक्षा की जाए। रजिस्टर बनाकर हर केस का विवरण दर्ज करना होगा।
रेंज कार्यालय पर आयोजित मीटिंग में डीआईजी तैयारी के साथ आए। उन्होंने उन चार्जशीट का ब्योरा कप्तानों के सामने रखा जिनमें पुलिस पैरवी करना ही भूल गई। यह भी नहीं पता कि पुलिस ने जो आरोपी बनाए, उन पर आरोप तय हुए या नहीं। इस पर डीआईजी ने निर्देश दिए कि ऐसे तमाम केस पर फिर से काम किया जाए।
इन मामलों की सूचीबद्ध कर कोर्ट से मालूम किया जाए कि केस किस स्थिति में है। अगर चार्ज फ्रेम नहीं हुए हैं तो पैरवी कर इसे कराया जाए। अगर केस चल रहा है तो इसकी पैरवी ठीक से जाए ताकि मुल्जिम को सजा मिल सके। आगरा, मैनपुरी, फीरोजाबाद और मथुरा के एसएसपी मौजूद रहे।
तीन चालान होते ही डीएल निरस्त करो
आगरा। डीआईजी ने निर्देश दिए हैं कि एमवी एक्ट के प्रावधानों को अमल में लाकर यातायात नियम तोड़े जाने के मामलों में सख्ती की जाए। उन्होंने कहा कि अगर किसी चालक के एमवी एक्ट में तीन चालान कट जाते हैं, तो आरटीओ को रिपोर्ट देकर उसका ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त कराया जाए।
इसी तरह अगर किसी गाड़ी के तीन चालान कट जाए या उसका इस्तेमाल तीन बार अपराध में किया गया हो तो उसका रजिस्ट्रेशन कैंसिल कराया जाए। इसके अलावा सड़क दुर्घटना के मामलों में एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल केमाध्यम से पीड़ितों को मुआवजा दिलाया जाए।
इसमें आरोप पत्र दाखिल न होने पर भी पीड़ितों को आर्थिक मदद मिल सकती है। हिट एंड रन केमामलों में भी मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। इस ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष जिला जज हैं। मुआवजा पुलिस की रिपोर्ट पर दिया जाता है।
एमवी एक्ट का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं। इससे न केवल हादसे कम होंगे, बल्कि वाहन चलाने में लापरवाही करने वालों को सबक भी मिलेगा - अजय मोहन शर्मा ( डीआईजी )