इटावा निवासी रंजीत सिंह अपने चार महीने के मासूम को बृहस्पतिवार अपराह्न तीन बजे सिनर्जी प्लस हॉस्पिटल में वेंटिलेटर पर छोड़कर चला गया। उसका कहना था कि बच्चा मर गया है और तुम बिल बनाने के लिए वेंटिलेटर पर रखे हो। शुक्रवार को सुबह पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने पिता से संपर्क किया और उसे बताया कि बच्चा जिंदा है और ठीक हो रहा है। तब 29 घंटे बाद शुक्रवार शाम आठ बजे वह अपने बच्चे को लेकर गया।
अस्पताल के संचालक डॉ. रनवीर त्यागी ने बताया कि 19 जनवरी की सुबह करीब 11 बजे धरवार जैनई, इटावा निवासी रंजीत सिंह अपने पुत्र राघव यादव (चार महीने 26 दिन) को लेकर आया। बच्चे को उल्टी-दस्त और मलद्वार से रक्तस्राव हो रहा था। 20 जनवरी को शिशु को तेज बुखार और मिर्गी के दौरे भी आने लगे। इसके चलते शिशु को अपराह्न करीब तीन बजे वेंटिलेटर पर रखा गया। बच्चे के पिता को पूरी जानकारी दी, इस पर पिता ने कहा कि बच्चे में जान नहीं है, बिल बनाने के लिए वेंटिलेटर पर रखा हुआ है। इसके कुछ देर बाद से ही पिता अस्पताल में नजर नहीं आया। शाम तक भी कोई नहीं आया। शुक्रवार की सुबह बच्चे की हालत में सुधार हुआ और वेंटिलेटर भी हट गया। स्टाफ ने पिता को फोन मिलाया, लेकिन उसने रिसीव नहीं किया। इस कारण थाना सिकंदरा, डीएम, एसएसपी और सीएमओ के यहां इसकी जानकारी दी।
थाना सिकंदरा के एसआई निशामक त्यागी ने बताया कि इटावा निवासी रंजीत सिंह ने अपने चार महीने के बच्चे को अस्पताल में 19 जनवरी को भर्ती कराया था। अस्पताल प्रबंधन की सूचना पर पिता के बारे में जानकारी जुटाई। उससे संपर्क हो गया। शाम को आठ बजे वो बच्चे को लेकर चला गया।
विस्तार
इटावा निवासी रंजीत सिंह अपने चार महीने के मासूम को बृहस्पतिवार अपराह्न तीन बजे सिनर्जी प्लस हॉस्पिटल में वेंटिलेटर पर छोड़कर चला गया। उसका कहना था कि बच्चा मर गया है और तुम बिल बनाने के लिए वेंटिलेटर पर रखे हो। शुक्रवार को सुबह पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने पिता से संपर्क किया और उसे बताया कि बच्चा जिंदा है और ठीक हो रहा है। तब 29 घंटे बाद शुक्रवार शाम आठ बजे वह अपने बच्चे को लेकर गया।
अस्पताल के संचालक डॉ. रनवीर त्यागी ने बताया कि 19 जनवरी की सुबह करीब 11 बजे धरवार जैनई, इटावा निवासी रंजीत सिंह अपने पुत्र राघव यादव (चार महीने 26 दिन) को लेकर आया। बच्चे को उल्टी-दस्त और मलद्वार से रक्तस्राव हो रहा था। 20 जनवरी को शिशु को तेज बुखार और मिर्गी के दौरे भी आने लगे। इसके चलते शिशु को अपराह्न करीब तीन बजे वेंटिलेटर पर रखा गया। बच्चे के पिता को पूरी जानकारी दी, इस पर पिता ने कहा कि बच्चे में जान नहीं है, बिल बनाने के लिए वेंटिलेटर पर रखा हुआ है। इसके कुछ देर बाद से ही पिता अस्पताल में नजर नहीं आया। शाम तक भी कोई नहीं आया। शुक्रवार की सुबह बच्चे की हालत में सुधार हुआ और वेंटिलेटर भी हट गया। स्टाफ ने पिता को फोन मिलाया, लेकिन उसने रिसीव नहीं किया। इस कारण थाना सिकंदरा, डीएम, एसएसपी और सीएमओ के यहां इसकी जानकारी दी।
थाना सिकंदरा के एसआई निशामक त्यागी ने बताया कि इटावा निवासी रंजीत सिंह ने अपने चार महीने के बच्चे को अस्पताल में 19 जनवरी को भर्ती कराया था। अस्पताल प्रबंधन की सूचना पर पिता के बारे में जानकारी जुटाई। उससे संपर्क हो गया। शाम को आठ बजे वो बच्चे को लेकर चला गया।