प्रयागराज मई इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रमजान में ईद उल फितर की सामूहिक नमाज व दुआ पढने के लिए प्रदेश के ईदगाहो को खोलने एवं,जून माह में अलविदा जुमे की नमाज पढने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने इस आशय का समादेश जारी करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि याची अपनी मांगो को लेकर सक्षम अधिकारी के समक्ष आवेदन दे।यदि कोई आदेश नही होता है या लटकाये,रखा जाता है तो वह हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकता है। बिना सरकार को अर्जी दिये सीधे हाईकोर्ट में याचिका दायर नही की जा सकती यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने शाहिद अली सिद्दीकी के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र पर कायम जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। ोर्ट ने कहा है कि समादेश जारी करने के लिए याची को अपनी मांग शासन में रखनी चाहिए। कोई आदेश न होने या खिलाफ आदेश होने के बाद याचिका दाखिल की जा सकती है। याची ने सरकार के समक्ष अपनी मांग रखे बगैर जनहित याचिका कायम कर समादेश जारी करने की मांग की है। जिसपर कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
प्रयागराज मई इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रमजान में ईद उल फितर की सामूहिक नमाज व दुआ पढने के लिए प्रदेश के ईदगाहो को खोलने एवं,जून माह में अलविदा जुमे की नमाज पढने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने इस आशय का समादेश जारी करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि याची अपनी मांगो को लेकर सक्षम अधिकारी के समक्ष आवेदन दे।यदि कोई आदेश नही होता है या लटकाये,रखा जाता है तो वह हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकता है। बिना सरकार को अर्जी दिये सीधे हाईकोर्ट में याचिका दायर नही की जा सकती यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने शाहिद अली सिद्दीकी के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र पर कायम जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। ोर्ट ने कहा है कि समादेश जारी करने के लिए याची को अपनी मांग शासन में रखनी चाहिए। कोई आदेश न होने या खिलाफ आदेश होने के बाद याचिका दाखिल की जा सकती है। याची ने सरकार के समक्ष अपनी मांग रखे बगैर जनहित याचिका कायम कर समादेश जारी करने की मांग की है। जिसपर कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकती।