ब्रह्मचारयितुम् शीलम् यस्या सा ब्रह्मचारिणीम/ सच्चिदानंद सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते। वासंतिक नवरात्रि के दूसरे दिन बृहस्पतिवार को सनातनधर्मी परिवारों में घर-घर मां दुर्गा के द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी देवी की इन्हीं मंत्रों से सविधि आराधना की गई। इस दौरान दुर्गासप्तशती के पाठ के अलावा दुर्गा कवच की भी स्तुति की गई। मंदिरों में सिर्फ पुजारियों ने ही प्रवेश किया। मंदिर पहुंचे श्रद्धालुओं को सेवादारों ने बाहर से ही वापस कर दिया।
वासंतिक नवरात्रि के दूसरे दिन बृहस्पतिवार को मीरापुर स्थित शक्तिपीठ मां ललिता देवी का ब्रह्मचारिणी स्वरूप में रंग-बिरंगे फूलों से पुजारियों ने शृंगार किया। मां तो तरह-तरह के आभूषण भी सजाए गए। इस दिन मंदिर प्रबंधन समिति के पदाधिकारी भी भीतर प्रवेश नहीं कर सके। मंदिर पुजारी पं शिव मूरत मिश्रा के मुताबिक दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप उस देवी का है, जिन्होंने भगवान शिव को अपने स्वामी स्वरूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इसी तपस्या के कारण ही उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा है।
वासंतिक नवरात्रि के दूसरे दिन बृहस्पतिवार को मीरापुर स्थित शक्तिपीठ मां ललिता देवी का ब्रह्मचारिणी स्वरूप में रंग-बिरंगे फूलों से पुजारियों ने शृंगार किया। मां तो तरह-तरह के आभूषण भी सजाए गए। इस दिन मंदिर प्रबंधन समिति के पदाधिकारी भी भीतर प्रवेश नहीं कर सके। मंदिर पुजारी पं शिव मूरत मिश्रा के मुताबिक दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप उस देवी का है, जिन्होंने भगवान शिव को अपने स्वामी स्वरूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इसी तपस्या के कारण ही उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा है।