बहराइच। आयुष्मान कार्ड के माध्यम से सिजेरियन प्रसव की सुविधा पा रही गर्भवती महिलाओं को सरकार ने करारा झटका दिया है। अब इसका भुगतान कार्ड से नहीं होगा। ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कत निजी अस्पतालों में सिजेरियन प्रसव कराने में आएगी क्योंकि यहां भारीभरकम खर्च आता है। ऐसे में खर्च वहन कर सकने में असमर्थ लोगों के लिए अब सरकारी अस्पताल ही सहारा हैं। मेडिकल कॉलेज में इसकी सुविधा जरूर है, लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत ग्रामीण क्षेत्रों में होगी। दअरसल, 14 सीएचसी में से सिर्फ पांच में ही सिजेरियन प्रसव की सुविधा है।
जिले में आठ निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड के माध्यम से लोगों का इलाज किया जा रहा है। इनमें से पांच अस्पतालों में सिजेरियन प्रसव की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इन निजी अस्पतालों में हर दिन 30 से 35 सिजेरियन प्रसव आयुष्मान कार्ड के माध्यम से किए जा रहे थे। अब आयुष्मान कार्ड से सिजेरियन प्रसव का भुगतान बंद कर दिया गया है। जिले में आयुष्मान कार्ड धारकों की संख्या चार लाख 65 हजार है। इनमें से लगभग दो लाख महिलाएं आयुष्मान कार्ड धारक हैं।
निजी अस्पतालों में सिजेरियन का खर्च 30 से 35 हजार रुपये के बीच आता है। इसमें ऑपरेशन शुल्क, दवाओं का खर्च, रूम चार्ज व चिकित्सक का शुल्क शामिल है। हालांकि, नर्सिंग होम के स्तर के हिसाब से यह शुल्क दस हजार रुपये तक बढ़ भी सकता है।
जिला मुख्यालय पर सिजेरियन की सुविधा मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध है। यहां सभी सुविधाएं लगभग निशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र में हालात ज्यादा अच्छे नहीं हैं। जिले में संचालित 14 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में से अब तक मात्र कैसरगंज, मोतीपुर, पयागपुर, नानपारा व महसी में ही सिजेरियन की सुविधा उपलब्ध है। जनपद के अन्य ब्लॉकों के आयुष्मान कार्ड धारक अब भी निजी अस्पतालों पर ही निर्भर हैं। बड़ी रकम खर्च कर सिजेरियन की सुविधा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को काफी परेशान करेगी।
सिजेरियन प्रसव के लिए मेडिकल कॉलेज व पांच सीएचसी केंद्रों पर सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाली किसी भी गर्भवती को सिजेरियन की आवश्यकता पड़ने पर पास के केंद्र पर पहुंचाया जा सकता है। मेडिकल कॉलेज भी लाया जा सकता है।
- डॉ. एसके सिंह, सीएमओ।