बहराइच। आए दिन बसों में हो रहे हादसों से प्रशासन सबक नहीं ले रहा। ताजा उदाहरण गत दिवस बाराबंकी में बस में लगी आग का है जिसकेे बाद कई यात्रियों ने किसी तरह कूद कर जान बचाई। अगर जिले में बसों का सूरत-ए-हाल देखें तो कुछ खास संतोषजनक नहीं। यहां रोडवेज बस अड्डे से संचालित ज्यादातर बसों में अग्निशमन यंत्र या तो नदारद हैं या फिर मात्र शोपीस बने हैं। करीब 20 फीसदी बसों की सीटों का भी खराब हाल है। बसों की खराब बैकलाइट व इंडीकेटर कोहरे में कभी हादसे का सबब बन सकते हैं। निगम प्रशासन यात्रियों की सुरक्षा को लेकर संजीदा नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे में कभी कोई बड़ी दुर्घटना से इंकार नहीं किया जा सकता।
जिले के रोडवेज बस अड्डे से विभिन्न मागों पर फर्राटे भर रही निगम की बसें यात्रियों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहीं हैं। निगम प्रशासन यात्रियों की सुरक्षा के प्रति कतई संजीदा नहीं दिखाई दे रहा है। बता दें कि बस अड्डे से सौ बसों का संचालन कागजों पर किया जा रहा है। जाड़े आ गए हैं लेकिन कई बसों की खिड़की के शीशे टूटे हैं। निगम के उच्चाधिकारी व्यवस्थाओं को दुरुस्त कराने का दावा तो करते हैं, लेकिन जिले के अधिकारियों के सामने उच्चाधिकारियों के आदेश बौने साबित दिखाई दे रहे हैं।
बसों की हालत ठीक नहीं रहती है। शिकायत करने पर अधिकारी व कर्मचारी सुनते नहीं हैं। अभद्रता कर भगा देते हैं। मजबूरीवश टूटी-फूटी सीटों के बीच यात्रा करना पड़ रहा है।
विजेंद्र, यात्री
अक्सर लखनऊ आना-जाना रहता है, लेकिन हमने बसों में अग्निशमन यंत्र नहीं देखा। ठंड शुरू हो गई है। इसके बावजूद बसों के शीशों व सीटों को दुरुस्त नहीं कराया जा रहा है। कोई भी अधिकारी सुनने को तैयार नहीं।
जमील, यात्री
बसों के किराए में वृद्धि तो कर दी गई है, लेकिन यात्रियों की सुविधाओं के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है। निगम की बसों पर यात्रियों का सबसे ज्यादा भरोसा रहता है। इसके बावजूद निगम प्रशासन यात्रियों की सुविधा के प्रति उदासीन बना हुआ है।
हरिकेश, यात्री
रोडवेज से संचालित होने वाली सरकार बस की सेवा एक समय काफी सुरक्षित मानी जाती थी। सरकार यात्रियों की सुविधा के लिए तमाम प्रयास करती रहती है, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों के आगे सरकार की सुविधा महज कागजों में ही सिमटकर रह जाती है।
कांशीराम, यात्री
जिले में बहराइच डिपो से विभिन्न प्रदेश व जिलो में करीब सौ बसों का संचालन होता है। इसके साथ ही अब सरकार के नए फरमान के बाद यहां पचास से अधिक बसों के बढ़ने की उम्मीद है। ज्यादातर बसों में अग्निशमन उपकरण भी नहीं दिखाई देते है। ऐसे में यात्रियों की जान जोखिम में रहती है।
बसों में यात्रियों की सुरक्षा के सभी मापदंडों की बारीकी से निरंतर जांच की जाती रहती है। सभी बसों में सिलिंडरों की व्यवस्था है। इनकी मानक अवधि एक साल होती है। इसलिए अगर एक दो बसों में सिलिंडर नहीं मिले हैं, तो रिफलिंग के लिए कानपुर भेजे गए होंगे। दो दिनों में वापस आ जायेंगे। रोडवेज बस अड्डे से चलने वाली बसों में यात्रियों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाता है। स्टेशन के सेवा प्रबंधक निरंतर बसों पर अपनी निगरानी बनाए रहते हैं।
प्रेमकुमार, एआरएम