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तरक्की की ओर रामनगरी : छह दिसंबर पर मुस्लिम नहीं मना रहे यौम-ए-गम, साधु-संतों ने शौर्य दिवस से किया परहेज
संवाद न्यूज एजेंसी, अयोध्या
Published by: पंकज श्रीवास्तव
Updated Tue, 06 Dec 2022 10:23 AM IST
सार
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अयोध्या पूरी तरह शांत और आस्था से सराबोर नजर आ रही है। छह दिसंबर यानि आज मंगलवार को नगर में कहीं कोई तनाव या भय का माहौल नहीं है। राम की नगरी अब हर विवाद को पीछे छोड़कर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ चली है।
हनुमान गढ़ी में दर्शन-पूजन करते भक्त
- फोटो : अमर उजाला
छह दिसंबर दिन मंगलवार को राम की नगरी अयोध्या पूरी तरह से गुलजार नजर आ रही है। मठ-मंदिरों में जयकारे गूंज रहे हैं। कहीं कोई भय व तनाव का माहौल नहीं है। जगह-जगह विकास के काम चल रहे हैं। मुस्लिम न तो यौम-ए-गम मनाने की तैयारी में हैं न ही विहिप व साधु-संत शौर्य दिवस की बात कर रहे हैं। हर वर्ग का कहना है कि इस तारीख को भूल जाना ही बेहतर है।
छह दिसंबर 1992 की तारीख दो समुदायों के बीच तल्खी का स्याह इतिहास बन गई थी। मुस्लिम समुदाय घरों-कारोबार, इबादत स्थलों पर काला झंडा लगाकर यौम-ए-गम का इजहार करता था। वहीं हिंदू समाज, विहिप व साधु-संत भी शौर्य दिवस मनाते थे।
मंदिर के हक में फैसला आते ही और मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ ही अयोध्या अब विवाद को भूलकर सौहार्द की नई परिभाषा गढ़ती दिखती है। नयाघाट पर रामपथ निर्माण के लिए चौड़ीकरण का काम सोमवार को चलता दिखा। सुग्रीव किला से रामजन्मभूमि जाने वाले रामजन्मभूमि पथ के निर्माण का भी काम जोरों पर था।
सुग्रीव किला के पास मिले ज्योतिषी साकेत शरण बोले कि कभी मंदिर-मस्जिद विवाद के लिए अयोध्या जानी जाती रही, आज अयोध्या की नई पहचान बन रही है। मंदिर निर्माण के साथ रामनगरी का वनवास खत्म और विकास का मार्ग शुरू हो चुका है।
हनुमानगढ़ी में मिले संत मामा दास बोले कि अब शौर्य, न गम, बज सृजन ही धर्म...को अपनाने की जरूरत है। विवाद का काल और आज के काल की तुलना करके देख लीजिए फर्क आपको स्वयं महसूस होगा। विवाद के चलते जहां कोई अयोध्या आना नहीं चाहता था, आज पूरी दुनिया अयोध्या में उमड़ पड़ी है।
कई बार पार्षद रहे हाजी असद ने कहा कि अब गम व गुस्से की जरूरत क्या है। नई अयोध्या में रोजगार की चाहत है, ताकि युवाओं को बाहर न जाना पड़े। महताब अहमद ने कहा कि दुकानें क्यों बंद करेंगे, अब अयोध्या का गम दूर हो रहा है, तरक्की का सपना सच होते हम सभी देख रहे हैं।
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अतीत भूलकर हम कर नई शुरूआत : इकबाल अंसारी
यौम-ए-गम का प्रमुख केंद्र मुद्दई मरहूम हाशिम अंसारी के घर पर सोमवार को सब कुछ सामान्य दिखा। हाशिम के पुत्र इकबाल अपने सुरक्षाकर्मी के साथ घर के सामने मैदान में टहल रहे थे। कहा कि श्रीराम जन्मस्थान होने के निर्णय के बाद यौम-ए-गम की कोई जरूरत ही नहीं है। हम अतीत भूलकर नई शुरूआत की तैयारी में है। इस विवाद ने अयोध्या को बहुत दर्द दिया है और दर्द को कौन याद रखना चाहता है। मुस्लिम समाज भी सब भूल चुका है और अयोध्या की तरक्की चाहता है।
मारे गए लोगों के लिए होगी कुरानख्वानी
बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे हाजी महबूब दोपहर की नमाज के बाद घर पर धूप सेंक रहे थे। हाजी महबूब के घर पर ही 1992 के बाद से छह दिसंबर को लेकर यौम-ए-गम के इजहार का कार्यक्रम होता रहा है। यहां लखनऊ-दिल्ली से नेता, मौलाना आते थे और छह दिसंबर 1992 की घटना पर विरोध जताते थे। हाजी महबूब ने कहा कि अब कोई गम नहीं मनाएंगे। बताया कि सिर्फ हिंसा में मारे गए लोगों के लिए कुरानख्वानी होगी। उसके बाद फातिहा पढ़ा जाएगा।
छह दिसंबर को किसी आयोजन की जानकारी नहीं : विहिप
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा कहते हैं कि छह दिसंबर को किसी तरह के आयोजन की कोई जानकारी हमारे पास नहीं है। करोड़ों हिंदुओं का संकल्प राममंदिर निर्माण शुरू होने के साथ ही पूरा हो चुका है। विहिप व साधु-संतों ने हमेशा से ही जिम्मेदारी का परिचय दिया है। इसलिए अबकी बार भी छह दिसंबर को किसी आयोजन की जानकारी नहीं है। अब अयोध्या का पुरातन गौरव लौट रहा है। नई अयोध्या के निर्माण में अपना सहयोग करने की हम सब की भी जिम्मेदारी है।
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