फिरोजाबाद। स्वास्थ्य इकाइयों पर तैनात आशाएं अब नवजात में खतरे के लक्षण को पहचानकर उनका इलाज कराने के लिए प्रेरित करेंगी। इसके लिए आशाओं को प्रशिक्षण देकर नवजात में होने वाली बीमारी और पहचान व बचाव के बारे बताया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों का भ्रमण कर आशाएं नवजात के खानपान, स्वास्थ्य, उनके वजन, साफ-सफाई व स्तनपान के लिए महिलाओं को प्रेरित करेंगी। इतना ही नहीं वह नवजात को इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्रों ले जाने के लिए भी जागरूक करेंगी।
एसीएमओ डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि जब शिशु स्तनपान करने में असमर्थ हो, खानपान पर उल्टी कर दें, शरीर में ऐंठन हो, सुस्त या बेहोश हो तो यह स्थितियां खतरे का संकेत करती है। ऐसी स्थिति स्थिति में उसे तुरंत सीएचसी रेफर कर देना चाहिए। नवजात के घर पहुंचने पर आशा कार्यकर्ता की सबसे पहली जिम्मेदारी साबुन व पानी से अपना हाथ धुलने की है। बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी लेकर उम्र के हिसाब उनके शरीर का वजन आदि कराकर उचित सलाह देंगी।