शिवम सिंह, अमर उजाला, गोरखपुर।
Updated Fri, 27 Apr 2018 12:04 AM IST
बच्चों का हाल जानने घरवाले मेडिकल कॉलेज पहुंच गए थे।
- फोटो : Amar Ujala
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अपनी दो बेटी साजिदा और तमन्ना को गंवा चुके हसन घायल बेटे समीर की जिंदगी की दुआ मांग रहे हैं। दो बेटियों कोखोने का दर्द उनकी आंखों में साफ दिखा लेकिन वेंटीलेटर पर रखे गए समीर का हाल जानने के लिए हसन हर डॉक्टर के पीछे भागते नजर आए। उन्होंने डॉक्टर से कहा कि समीर ही बचा है। उसकी जिंदगी बचा दीजिए। इमरजेंसी वार्ड से निकले एक डॉक्टर का तो वह पैर पकड़कर रो पड़े। बोले, किसी तरह से समीर को बचा लीजिए, दो औलाद को खो चुका हूं। अब और गम सहने की शक्ति नहीं। बार-बार हसन के परिजन फोन कर समीर की कुशलता पूछ रहे हैं लेकिन हसन उनसे भी यही कह रहे हैं कि आप सब उसके लिए दुआ कीजिए।
कृष्णा बोला, मेरे सभी साथी मर गए, मैं अकेले स्कूल कैसे जाऊंगा
कुशीनगर हादसे में घायल कक्षा दो में पढ़ने वाला कृष्ण बदहवास है। वह एक ही सवाल पूछ रहा है कि मेरी बहन रोशनी कहां है?। इस हादसे में रोशनी भी गंभीर रूप से घायल हुई है। उसका भी मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। कृष्णा को सभी झूठा दिलासा दे रहे हैं कि बहन घर पर सुरक्षित है, लेकिन वह बार-बार बहन से बात कराने और मिलने की जिद कर रहा है, जबकि डॉक्टरों ने सिर पर चोट लगने से उसे कम बात करने की सलाह दी है। छोटी सी उम्र में बड़ा हादसा देखा कृष्णा सहम गया है। पिता कैलाश ने बताया कि कृष्णा कह रहा था कि पिता जी, मेरे सभी साथी मर गए। अब मैं स्कूल अकेले कैसे जाऊंगा। कृष्णा का कहना था कि ड्राइवर अंकल ईयर फोन पर किसी से बात कर रहे थे। रेलवे ट्रैक को पार करने से पहले उन्होंने अगल-बगल नहीं देखा और वैन को आगे बढ़ा दिया। वैन में बैठेबच्चों ने वैन चालक को आवाज भी दी थी लेकिन उन्होंने नहीं सुना।
कभी बेटे तो कभी बेटी के पास दौड़ता रहा पिता
कुशीनगर के दुदही गांव निवासी कैलास का बेटा कृष्णा और बेटी रोशनी दोनों ही हादसे के शिकार हुए हैं। मेडिकल कॉलेज में भर्ती दोनों बच्चों को लेकर परेशान पिता एक बेड से दूसरे बेड पर दौड़ते नजर आए। वहीं मां बदहवास हो गई हैं। बच्चों को मेडिकल कॉलेज में देखने के बाद उनकी आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहा है। लोग उन्हें समझाने और ढांढस बंधाने में जुटे हैं।
अपनी दो बेटी साजिदा और तमन्ना को गंवा चुके हसन घायल बेटे समीर की जिंदगी की दुआ मांग रहे हैं। दो बेटियों कोखोने का दर्द उनकी आंखों में साफ दिखा लेकिन वेंटीलेटर पर रखे गए समीर का हाल जानने के लिए हसन हर डॉक्टर के पीछे भागते नजर आए। उन्होंने डॉक्टर से कहा कि समीर ही बचा है। उसकी जिंदगी बचा दीजिए। इमरजेंसी वार्ड से निकले एक डॉक्टर का तो वह पैर पकड़कर रो पड़े। बोले, किसी तरह से समीर को बचा लीजिए, दो औलाद को खो चुका हूं। अब और गम सहने की शक्ति नहीं। बार-बार हसन के परिजन फोन कर समीर की कुशलता पूछ रहे हैं लेकिन हसन उनसे भी यही कह रहे हैं कि आप सब उसके लिए दुआ कीजिए।
कृष्णा बोला, मेरे सभी साथी मर गए, मैं अकेले स्कूल कैसे जाऊंगा
कुशीनगर हादसे में घायल कक्षा दो में पढ़ने वाला कृष्ण बदहवास है। वह एक ही सवाल पूछ रहा है कि मेरी बहन रोशनी कहां है?। इस हादसे में रोशनी भी गंभीर रूप से घायल हुई है। उसका भी मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। कृष्णा को सभी झूठा दिलासा दे रहे हैं कि बहन घर पर सुरक्षित है, लेकिन वह बार-बार बहन से बात कराने और मिलने की जिद कर रहा है, जबकि डॉक्टरों ने सिर पर चोट लगने से उसे कम बात करने की सलाह दी है। छोटी सी उम्र में बड़ा हादसा देखा कृष्णा सहम गया है। पिता कैलाश ने बताया कि कृष्णा कह रहा था कि पिता जी, मेरे सभी साथी मर गए। अब मैं स्कूल अकेले कैसे जाऊंगा। कृष्णा का कहना था कि ड्राइवर अंकल ईयर फोन पर किसी से बात कर रहे थे। रेलवे ट्रैक को पार करने से पहले उन्होंने अगल-बगल नहीं देखा और वैन को आगे बढ़ा दिया। वैन में बैठेबच्चों ने वैन चालक को आवाज भी दी थी लेकिन उन्होंने नहीं सुना।
कभी बेटे तो कभी बेटी के पास दौड़ता रहा पिता
कुशीनगर के दुदही गांव निवासी कैलास का बेटा कृष्णा और बेटी रोशनी दोनों ही हादसे के शिकार हुए हैं। मेडिकल कॉलेज में भर्ती दोनों बच्चों को लेकर परेशान पिता एक बेड से दूसरे बेड पर दौड़ते नजर आए। वहीं मां बदहवास हो गई हैं। बच्चों को मेडिकल कॉलेज में देखने के बाद उनकी आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहा है। लोग उन्हें समझाने और ढांढस बंधाने में जुटे हैं।
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