पर्यटन दिवस पर पर्यटक झांसी स्टेशन तक तो आए पर यहां के ऐतिहासिक स्थानों को देखने के बजाय सीधे ओरछा का रुख कर लिया। उनका कहना है कि झांसी और आसपास के पर्यटक स्थलों के बारे में सुना तो है, लेकिन संपर्क और सुविधाएं न होने से इन्हें देखने नहीं जा पा रहे। गाइडों का कहना है कि यदि सुविधाएं मिले तो झांसी में भी पर्यटकों का आवागमन बढ़ जाएगा।
सितंबर में मौसम की तल्खी कम होते ही बुंदेलखंड के ऐतिहासिक मंदिरों को देखने के लिए विदेशी मेहमानों का आवागमन शुरू हो गया है। अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, जापान, कोरिया आदि देशों के पर्यटकों को बुंदेलखंड में ओरछा और खजुराहो के मंदिर अधिक लुभाते हैं। झांसी रेलवे स्टेशन पर दिल्ली से आने वाली गाड़ियों से रोजाना पर्यटकों के जत्थे उतर रहे हैं। हालांकि, सुविधाओं के अभाव में वे झांसी में नहीं ठहरते हैं। बल्कि, यहां से सीधे ओरछा व खजुराहो के लिए रवाना हो जाते हैं।
गौरतलब है कि विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो, ओरछा के दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए पंद्रह जुलाई से पंद्रह सितंबर तक स्पेनिस व इटेलियन ग्रुप भारत आते हैं। इसी तरह अक्तूबर से फरवरी तक अमेरिकन, ब्रिटिश, चाइना, जापान, कोरिया के ग्रुप आते हैं। अधिकतर विदेशी सैलानी निर्धारित कार्यक्रम के हिसाब से शताब्दी एक्सप्रेस से आगरा से झांसी आते हैं और एक दिन खजुराहो में गुजारने के बाद वापस शताब्दी एक्सप्रेस से लौट जाते हैं। कुछ यात्री एक दिन ओरछा व एक दिन खजुराहो में बिताने के बाद लौटते हैं। टूर आपरेटरों ने झांसी का किला व संग्रहालय को चार्ट में शामिल कर रखा है, मगर सुविधाओं के अभाव में यहां पर्यटक नहीं ठहरते हैं।
फोटो
बहुत सुंदर यहां का टूरिज्म
यात्रा में जो अनुभव किया, वो शब्दों में बया नहीं कर सकती। यहां का टूरिज्म बहुत सुंदर है। यहां की धरोहर को बदलना नहीं चाहिए। यही भारत की पहचान है। झांसी का नाम भी मैंने सुना है, लेकिन उनको यहां नहीं घुमाया गया। बताया गया कि यहां ठहरने और अन्य सुविधाओं की कमी हैं।
फ्रांका, स्पेन
फोटो
संस्कृति का अनोखा संगम
भारत विभिन्न संस्कृतियों का अनोखा संगम हैं। अलग-अलग धर्मों के लोग व रहन सहन देखना उनके लिए एक अलग अनुभव रहा। झांसी का किला देखने की मेरी बहुत इच्छा थी, लेकिन वह टूर प्लान में शामिल नहीं था। ऐसे दर्शनीय स्थलों को भी टूर प्लान में शामिल करना चाहिए।
रिकार्डों, इटली।
तैयार कर रहे लोकल टूर पैकेज
क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी डॉ. कल्याण सिंह यादव ने बताया कि लोकल टूर पैकेज बनाने की तैयारी कर जा रही है। वे टूर ऑपरेटर, परिवहन, जिला प्रशासन, नगर निगम और रेलवे को पत्र लिख कर रहे हैं। उनके प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर लोकल टूर पैकेज तैयार किया जाएगा। टूर पैकेज इस तरह होगा कि शताब्दी एक्सप्रेस से सुबह पर्यटक आए और दिन भर यहां के दर्शनीय स्थलों को देखकर वापस उसी ट्रेन से लौट जाए। साथ ही बस का संचालन भी होगा, जिसमें सभी दर्शनीय पर्यटक स्थलों के रेट तय होंगे, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। दीवाली से पहले बैठक कर यह कार्यक्रम तय हो जाएगा।
पर्यटन दिवस पर पर्यटक झांसी स्टेशन तक तो आए पर यहां के ऐतिहासिक स्थानों को देखने के बजाय सीधे ओरछा का रुख कर लिया। उनका कहना है कि झांसी और आसपास के पर्यटक स्थलों के बारे में सुना तो है, लेकिन संपर्क और सुविधाएं न होने से इन्हें देखने नहीं जा पा रहे। गाइडों का कहना है कि यदि सुविधाएं मिले तो झांसी में भी पर्यटकों का आवागमन बढ़ जाएगा।
सितंबर में मौसम की तल्खी कम होते ही बुंदेलखंड के ऐतिहासिक मंदिरों को देखने के लिए विदेशी मेहमानों का आवागमन शुरू हो गया है। अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, जापान, कोरिया आदि देशों के पर्यटकों को बुंदेलखंड में ओरछा और खजुराहो के मंदिर अधिक लुभाते हैं। झांसी रेलवे स्टेशन पर दिल्ली से आने वाली गाड़ियों से रोजाना पर्यटकों के जत्थे उतर रहे हैं। हालांकि, सुविधाओं के अभाव में वे झांसी में नहीं ठहरते हैं। बल्कि, यहां से सीधे ओरछा व खजुराहो के लिए रवाना हो जाते हैं।
गौरतलब है कि विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो, ओरछा के दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए पंद्रह जुलाई से पंद्रह सितंबर तक स्पेनिस व इटेलियन ग्रुप भारत आते हैं। इसी तरह अक्तूबर से फरवरी तक अमेरिकन, ब्रिटिश, चाइना, जापान, कोरिया के ग्रुप आते हैं। अधिकतर विदेशी सैलानी निर्धारित कार्यक्रम के हिसाब से शताब्दी एक्सप्रेस से आगरा से झांसी आते हैं और एक दिन खजुराहो में गुजारने के बाद वापस शताब्दी एक्सप्रेस से लौट जाते हैं। कुछ यात्री एक दिन ओरछा व एक दिन खजुराहो में बिताने के बाद लौटते हैं। टूर आपरेटरों ने झांसी का किला व संग्रहालय को चार्ट में शामिल कर रखा है, मगर सुविधाओं के अभाव में यहां पर्यटक नहीं ठहरते हैं।
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बहुत सुंदर यहां का टूरिज्म
यात्रा में जो अनुभव किया, वो शब्दों में बया नहीं कर सकती। यहां का टूरिज्म बहुत सुंदर है। यहां की धरोहर को बदलना नहीं चाहिए। यही भारत की पहचान है। झांसी का नाम भी मैंने सुना है, लेकिन उनको यहां नहीं घुमाया गया। बताया गया कि यहां ठहरने और अन्य सुविधाओं की कमी हैं।
फ्रांका, स्पेन
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संस्कृति का अनोखा संगम
भारत विभिन्न संस्कृतियों का अनोखा संगम हैं। अलग-अलग धर्मों के लोग व रहन सहन देखना उनके लिए एक अलग अनुभव रहा। झांसी का किला देखने की मेरी बहुत इच्छा थी, लेकिन वह टूर प्लान में शामिल नहीं था। ऐसे दर्शनीय स्थलों को भी टूर प्लान में शामिल करना चाहिए।
रिकार्डों, इटली।
तैयार कर रहे लोकल टूर पैकेज
क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी डॉ. कल्याण सिंह यादव ने बताया कि लोकल टूर पैकेज बनाने की तैयारी कर जा रही है। वे टूर ऑपरेटर, परिवहन, जिला प्रशासन, नगर निगम और रेलवे को पत्र लिख कर रहे हैं। उनके प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर लोकल टूर पैकेज तैयार किया जाएगा। टूर पैकेज इस तरह होगा कि शताब्दी एक्सप्रेस से सुबह पर्यटक आए और दिन भर यहां के दर्शनीय स्थलों को देखकर वापस उसी ट्रेन से लौट जाए। साथ ही बस का संचालन भी होगा, जिसमें सभी दर्शनीय पर्यटक स्थलों के रेट तय होंगे, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। दीवाली से पहले बैठक कर यह कार्यक्रम तय हो जाएगा।