मऊ। विशेष न्यायाधीश एससी/ एसटी एक्ट ललिता गुप्ता ने मारपीट कर गंभीर चोट पहुंचाने के मामले में नामजद तीन सगे भाइयों को सुनवाई के बाद दोषी पाया। सात-सात वर्ष की सजा के साथ ही तीनों पर पांच-पांच हजार रुपये अर्थदंड निर्धारित किया। अर्थदंड न देने पर एक-एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
अभियोजन के अनुसार सरायलखंसी थाना क्षेत्र के बारीगांव सरवां गांव निवासी रामविलास पुत्र मुनेश्वर की तहरीर पर एफआईआर दर्ज हुई। इसमें गांव के ही मुमताज, मुश्ताक और इश्तियाक पुत्रगण चांद खां को आरोपी बनाया गया। वादी का कथन है कि नाली के पानी के विवाद को लेकर 9 मई 2013 की सुबह नौ बजे आरोपीगण ने लाठी डंडा से हमला कर उसके भाई सुनील को घायल कर दिया।
पुलिस ने वादी की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर विवेचना के बाद आरोपपत्र कोर्ट में प्रेषित किया। कोर्ट में अभियोजन की ओर से पैरवी करते हुए विशेष लोक अभियोजक सत्येंद्र नाथ राय और अखिलेश कुमार सिंह ने कुल दस गवाहों को पेश कर अभियोजन का पक्ष रखा।
विशेष न्यायाधीश ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद आरोपीगण मुमताज, मुश्ताक और इश्तियाक अहमद को मारपीट कर गंभीर चोट पहुंचाने और एससी- एसटी के तहत दोषी पाया। दोषी पाए जाने के बाद तीनों सात- सात वर्ष की सजा सुनाई। एक-एक हजार रुपये का अर्थदंड भी सुनाया।
मारपीट गाली और धमकी देने के मामले में क्रमश: एक-एक वर्ष की सजा के साथ ही 1-1 हजार रुपये अर्थदंड निर्धारित किया गया। वहीं एससी-एसटी एक्ट के मामले में 2-2 वर्ष की सजा के साथी ही एक-एक हजार रुपया अर्थदंड निर्धारित किया। अर्थदंड न देने पर एक-एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।