मेडिकल कॉलेज के कोविड-19 वार्ड में भर्ती मरीज के ब्लड सैंपल बंदरों के हाथ में जाने का मामला सोशल मीडिया पर चर्चा में है। अब इस बात पर चिंता व्यक्त की जा रही है कि अगर बंदर संक्रमित हो गया तो फिर क्या होगा।
कहीं बंदर कोरोना की नई और लंबी चेन न बना दें, क्योंकि शहर का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है जहां बंदर उत्पात नहीं मचाते। जिस बंदर ने सैंपल छीना था उसका पता लगाने का कोई मकैनिज्म फिलहाल विकसित नहीं हुआ है। इसको लेकर प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग भी में भी खलबली मची हुई है।
बंदरों ने कोरोना के तीन मरीजों के सैंपल छीन लिए। बाद में सैंपल दोबारा लिए गए थे। इसका गुरुवार को एक वीडियो वायरल हो गया। जिसमें बंदर पेड़ पर बैठे हैं और सैंपल कलेक्शन किट को चबा रहे हैं। वीडियो के वायरल होने के बाद से मेडिकल में हलचल मची है।
मेडिकल कॉलेज के प्रमुख अधीक्षक डॉ. धीरज बालियान ने वीडियो मेडिकल का होने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि जांच में पता चला है कि वह कोरोना मरीजों के ब्लड सैंपल थे। रूटीन जांच के लिए ले जाया जा रहा था, इन्हें रास्ते में बंदरों ने छीन लिया था। जिस जगह बंदर पेड़ पर चढ़े थे उसके आसपास छानबीन की गई लेकिन वहां रक्त का कोई निशान नहीं मिला।
हालांकि उनका कहना है कि अभी ऐसा कोई शोध भी नहीं हुआ है जिसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संक्रमित व्यक्ति के चपेट में आकर बंदर संक्रमित हुए हैं। उधर, इस मामले को लेकर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी प्रदेश सरकार को घेरा है।
किसी शोध में स्पष्ट नहीं
मेडिकल प्राचार्य डॉ. एसके गर्ग का कहना है कि अभी किसी भी अध्ययन में यह नहीं दिखाया गया कि कोरोना पॉजिटिव रोगी के संपर्क में आने से बंदर संक्रमित हो सकते हैं। वहीं एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट का मानना है कि अभी तक ऐसी कोई स्टडी नहीं हुई है जिसमें साफ हो सके कि बंदर से संक्रमण फैल सकता है या नहीं।
कहीं ऐसा भी तो नहीं हुआ होगा
मान लिया गया कि किसी शोध में बंदरों के कोरोना वायरस के संक्रमण किए चपेट में आने की बात अभी तक सामने नहीं आई लेकिन अभी तक किसी बंदर के कोरोना संक्रमित मरीज का सैंपल छीनने का मामला भी तो सामने नहीं आया था। फिलहाल, तीर कमान से निकल जाने जैसी स्थिति है। मुसीबत यह है कि सैंपल छीनने वाले बंदरों को मेडिकल प्रबंधन कहीं ढूंढने भी नहीं जा सकता।
प्रशासनिक महकमे में हलचल
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने मामले में जांच बैठा दी है। प्रयोगशाला तकनीशियन से लिखित स्पष्टीकरण मांगा गया है। वहीं एक अन्य वीडियो में भी सामने आया है जिसमें कर्मचारी कह रहा है कि उसने अधिकारियों को सूचना दे दी है। उन्होंने कहा है कि टेंशन न लें, जबकि मेडिकल कॉलेज के प्रमुख अधीक्षक डॉ. धीरज बालियान का कहना है कि कोई सूचना नहीं दी गई।
दूसरी तरफ जिलाधिकारी ने भी इस मामले में जांच कराने की बात कही है। सीएमओ और एडीएम सिटी ने शुक्रवार को मेडिकल के पदाधिकारियों लैब टेक्नीशियन और कर्मचारियों से बयान लिए। उन्होंने अपनी रिपोर्ट जिला अधिकारी को सौंपी है। सूत्रों का कहना है कि वीडियो मेडिकल के ही एक कर्मचारी ने बनाया था वहीं मेडिकल के अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें लैब टेक्नीशियन और कर्मचारियों ने सूचना नहीं दी थी।
मेडिकल कॉलेज में बंदरों का उत्पात नया नहीं है। इससे पहले भी यहां बंदर उत्पात मचा चुके हैं। लाॅकडाउन के कारण मेरठ नगर निगम द्वारा लंगूर नहीं भेजा जा सका जिससे बंदरों पर नजर रखी जा सके। अब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने नगर निगम को इसके लिए पत्र लिखा है।
जनवरी 2019 में शूकर ने एक मृत बच्चे को मुंह में ले लिया था। यहां अव्यवस्थाएं पसरी हुई हैं। कोविड-19 वार्ड के भी कई वीडियो वायरल हो चुके हैं जिसमें मरीजों ने वार्ड में साफ-सफाई न होने और इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था।
विस्तार
मेडिकल कॉलेज के कोविड-19 वार्ड में भर्ती मरीज के ब्लड सैंपल बंदरों के हाथ में जाने का मामला सोशल मीडिया पर चर्चा में है। अब इस बात पर चिंता व्यक्त की जा रही है कि अगर बंदर संक्रमित हो गया तो फिर क्या होगा।
कहीं बंदर कोरोना की नई और लंबी चेन न बना दें, क्योंकि शहर का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है जहां बंदर उत्पात नहीं मचाते। जिस बंदर ने सैंपल छीना था उसका पता लगाने का कोई मकैनिज्म फिलहाल विकसित नहीं हुआ है। इसको लेकर प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग भी में भी खलबली मची हुई है।
बंदरों ने कोरोना के तीन मरीजों के सैंपल छीन लिए। बाद में सैंपल दोबारा लिए गए थे। इसका गुरुवार को एक वीडियो वायरल हो गया। जिसमें बंदर पेड़ पर बैठे हैं और सैंपल कलेक्शन किट को चबा रहे हैं। वीडियो के वायरल होने के बाद से मेडिकल में हलचल मची है।