न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सहारनपुर
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Tue, 08 Jan 2019 08:25 PM IST
केंद्र सरकार की सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की घोषणा के बाद अब मुसलमानों को आरक्षण देने की मांग उठने लगी है। देवबंदी उलमा का कहना है कि आरक्षण की सबसे अधिक जरूरत मुसलमानों को है क्योंकि पूर्व में सच्चर कमेटी व रंगनाथ मिश्र की जांच रिपोर्ट से यह साबित हो चुका है कि मुसलमानों की हालत अनुसूचित जाति के लोगों से भी बदतर है।
ऑल इंडिया जमीयत राजपूत के अध्यक्ष मौलाना कारी मुस्तफा ने कहा कि केंद्र सरकार सोची समझी साजिश के तहत मुसलमानों को तीन तलाक जैसे मुद्दों में उलझा कर तरक्की के रास्ते से हटाने का काम कर रही है जबकि पूर्व में सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा की जांच रिपोर्ट से यह साफ हो चुका है कि मुल्क में रहने वाले मुसलमान की हालत दलितों से भी बदतर है।
सरकार को चाहिए कि कमेटी की सिफारिशों को लागू करते हुए मुसलमानों को भी आरक्षण दिया जाए। उन्होंने कहा कि जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं तो इस लिहाज से उन्हें मुसलमानों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए आरक्षण देना चाहिए। मौलाना मुस्तफा ने यह भी कहा कि सवर्णों के पास पहले से सब कुछ है उन्हें आरक्षण की जरूरत क्या है। आरक्षण की असल जरूरत मुसलमानों को है जिसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।
कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं ने कौम को हमेशा धोखा दिया: हाशमी
आलमी रुहानी तहरीक के संरक्षक मौलाना हसनुल हाशमी ने लोकसभा चुनाव के लिए सपा बसपा के गठबंधन पर कहा कि यह मुसलमानों के लिए खुशी की बात है। साथ ही कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा कौम को धोखा देने का काम किया।
मंगलवार को जारी बयान में मौलाना हसनुल हाशमी ने कहा कि देश में धर्मनिरपेक्षता की जड़ें आज भी बहुत मजबूत हैं जिन्हें कोई भी हिला नहीं सकता है। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट साबित करती है कि देश में मुसलमानों की जो भी हालत है उसके लिए सीधे तौर पर कांग्रेस पार्टी ही जिम्मदार है।
इतना ही नहीं मुसलमानों को तबाह करने वाले जितने दंगे कांग्रेस के दौर में हुए उतने तो भाजपा के दौर में भी नहीं हुए। उन्होंने कहा कि उन मुस्लिम नेताओं को शर्म आनी चाहिए जिन्होंने पीएम मोदी व भाजपा को बुरा भला कहने के अलावा कौम के लिए कुछ नहीं किया। साथ ही कहा कि बसपा व सपा का गठबंधन मायूस व निराशा के माहौल में आशा की एक किरण है और मुसलमानों को इसका महत्व समझना चाहिए। हाशमी ने यह भी कहा कि सांप्रदायिकता के चलते देश की अखंडता खतरे में है, मानवता व इंसानियत के परखच्चे उड़ रहे हैं इसलिए मुस्लिम सूझबूझ से काम लें और कौम को भटकाने वाले नेताओं से उन्हें सावधान रहना चाहिए।
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केंद्र सरकार की सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की घोषणा के बाद अब मुसलमानों को आरक्षण देने की मांग उठने लगी है। देवबंदी उलमा का कहना है कि आरक्षण की सबसे अधिक जरूरत मुसलमानों को है क्योंकि पूर्व में सच्चर कमेटी व रंगनाथ मिश्र की जांच रिपोर्ट से यह साबित हो चुका है कि मुसलमानों की हालत अनुसूचित जाति के लोगों से भी बदतर है।
ऑल इंडिया जमीयत राजपूत के अध्यक्ष मौलाना कारी मुस्तफा ने कहा कि केंद्र सरकार सोची समझी साजिश के तहत मुसलमानों को तीन तलाक जैसे मुद्दों में उलझा कर तरक्की के रास्ते से हटाने का काम कर रही है जबकि पूर्व में सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा की जांच रिपोर्ट से यह साफ हो चुका है कि मुल्क में रहने वाले मुसलमान की हालत दलितों से भी बदतर है।
सरकार को चाहिए कि कमेटी की सिफारिशों को लागू करते हुए मुसलमानों को भी आरक्षण दिया जाए। उन्होंने कहा कि जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं तो इस लिहाज से उन्हें मुसलमानों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए आरक्षण देना चाहिए। मौलाना मुस्तफा ने यह भी कहा कि सवर्णों के पास पहले से सब कुछ है उन्हें आरक्षण की जरूरत क्या है। आरक्षण की असल जरूरत मुसलमानों को है जिसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।