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रामपुर विधानसभा सीट को आजम खां के किला के रूप में जाना जाता है, क्योंकि वो यहां से 10 बार निर्वाचित हुए हैं। अपनी दस पारियों में वो छह बार सपा की टिकट पर तो चार मर्तबा अन्य दलों के टिकट पर निर्वाचित हुए हैं। अब हुए कुल 19 चुनावों में से छह बार कांग्रेस के खाते में यह सीट गई है। इस सीट पर सिर्फ बार 1957 में निर्दलीय प्रत्याशी को जीत हासिल हुई है।
इस विधानसभा सीट पर पहली बार विधानसभा का चुनाव 1952 में हुआ था जब कांग्रेस के फजलुल हक निर्वाचित हुए थे। 1957 के चुनाव में निर्दलीय असलम खां ने जीत हासिल की। वो इस सीट से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले अकेले प्रत्याशी हैं। 1962 के चुनाव में कांग्रेस की किश्वर आरा बेगम ने जीत हासिल की। 1967 के विधानसभा चुनाव में स्वतंत्र पार्टी के अख्तर अली खां ने इस सीट से जीत हासिल की।
इसके बाद हुए लगातार तीन चुनावों में बाजी कांग्रेस के हाथ में रही। 1980 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से पहली बार आजम खां ने जीत हासिल की थी। उस वक्त वो जनता पार्टी (एस) के प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे थे। 1985 में आजम खां लोकदल के टिकट पर इस सीट से निर्वाचित हुए।
1989 के विधानसभा चुनाव में फिर आजम खां विजयी रहे। उस वक्त वो जनता दल के प्रतयाशी थे। 1991 में आजम खां फिर से जनता पार्टी की टिकट पर निर्वाचित हुए। 1993 में पहली बार आजम खां सपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। हालांकि 1996 का चुनाव वो कांग्रेस के अफरोज अली खां के मुकाबले चुनाव हार गए थे।