यूपी में वर्ष 1967 के चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनी। सरकार बनने के कुछ दिनों बाद पार्टी में बगावत हो गई। जिसके चलते वर्ष 1969 में मध्यावधि चुनाव कराया गया। इस चुनाव में कांग्रेस के राजा अजीत प्रताप सिंह को जीत हासिल हुई थी। वह कांग्रेस की साख बचाने में कामयाब हुए थे। अन्य छह सीटों पर दूसरे दलों के प्रत्याशियों को जीत मिली थी।
आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चार चुनाव के बाद ही कांग्रेस में बगावत हो गई। वर्ष 1967 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद सूबे में कांग्रेस की सरकार बनी। दो सालों के भीतर ही कांग्रेस के कुछ नेताओं ने बगावत का बिगुल फूंक दिया। जिसके चलते प्रदेश को पहली बार मध्यावधि चुनाव कराया गया। इस चुनाव में बेल्हा कांग्रेस को जनता ने नकार दिया। केवल प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ने वाले राजा अजीत प्रताप सिंह ने ही कांग्रेस की लाज बचाई।
उन्होंने कांटे की टक्कर में एसएसपी के देवीशरण को पांच हजार मतों से हराया। पांच विधानसभाओं पर समयुक्ता सोशलिस्ट पार्टी व पट्टी में भारतीय क्रांति दल के टिकट पर रामकिंकर को जीत हासिल हुई। कई चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर पट्टी से चुनाव जीत रहे रामकिंकर ने भी कांग्रेस में बगावत के बाद पाला बदल लिया था। वह भारतीय क्रांति दल में शामिल हो गए और कांग्रेस प्रत्याशी रहे जोखूलाल एलियास साठू को सात हजार अधिक मतों से हरा दिया।
यूपी में वर्ष 1967 के चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनी। सरकार बनने के कुछ दिनों बाद पार्टी में बगावत हो गई। जिसके चलते वर्ष 1969 में मध्यावधि चुनाव कराया गया। इस चुनाव में कांग्रेस के राजा अजीत प्रताप सिंह को जीत हासिल हुई थी। वह कांग्रेस की साख बचाने में कामयाब हुए थे। अन्य छह सीटों पर दूसरे दलों के प्रत्याशियों को जीत मिली थी।
आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चार चुनाव के बाद ही कांग्रेस में बगावत हो गई। वर्ष 1967 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद सूबे में कांग्रेस की सरकार बनी। दो सालों के भीतर ही कांग्रेस के कुछ नेताओं ने बगावत का बिगुल फूंक दिया। जिसके चलते प्रदेश को पहली बार मध्यावधि चुनाव कराया गया। इस चुनाव में बेल्हा कांग्रेस को जनता ने नकार दिया। केवल प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ने वाले राजा अजीत प्रताप सिंह ने ही कांग्रेस की लाज बचाई।
उन्होंने कांटे की टक्कर में एसएसपी के देवीशरण को पांच हजार मतों से हराया। पांच विधानसभाओं पर समयुक्ता सोशलिस्ट पार्टी व पट्टी में भारतीय क्रांति दल के टिकट पर रामकिंकर को जीत हासिल हुई। कई चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर पट्टी से चुनाव जीत रहे रामकिंकर ने भी कांग्रेस में बगावत के बाद पाला बदल लिया था। वह भारतीय क्रांति दल में शामिल हो गए और कांग्रेस प्रत्याशी रहे जोखूलाल एलियास साठू को सात हजार अधिक मतों से हरा दिया।