बेसिक शिक्षा विभाग में आयकर की चोरी करने के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ है। 32 साल से जो समिति अध्यापकों को कर्ज बांटकर आयकर में छूट दिलाती थी, वह अब अबैधानिक संस्था घोषित कर दी गई है। आयकर विभाग की नोटिस आने के बाद चकराए अफसरों को गाइडलाइन याद आई और आयकर में छूट देने से हाथ खड़ा कर दिया है।
बेसिक शिक्षा विभाग में लेखा विभाग की मिलीभगत से वेतनभोगी समिति से हाउसिंग लोन लेने वाले शिक्षकों को 32 वर्षों से आयकर की छूट दी जा रही थी। 1987 में गठित बेसिक शिक्षा परिषद वेतन भोगी सहकारी समिति का सदस्य बनकर हाउसिंग लोन लेने वाले शिक्षकों के ब्याज की रकम को आयकर से छूट दी जाती थी। 32 साल से लेखा विभाग के इस खेल का खुलासा उस समय हुआ, जब जिला आयकर अधिकारी पीसी मिश्रा ने वित्त एवं लेखाधिकारी को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण तलब किया। फिर क्या था, लेखा विभाग ने जब गाइड लाइन देखी, तो आंख खुली और आनन-फानन में पत्र जारी कर हाउसिंग लोन लेने वाले शिक्षकों को इस वर्ष आयकर में छूट देने से हाथ खड़ा कर दिया है। फिलहाल लेखा विभाग की इस पहल से उन शिक्षकों की नींद उड़ गई, जिन्होंने समिति से हाउसिंग लोन लेकर आयकर की कटौती से बचना चाह रहे थे। अब देखना यह है कि आयकर विभाग पूर्व में लाभ ले चुके शिक्षकों और अधिकारियों पर क्या कार्रवाई करता है। ऐसा माना जा रहा है कि आयकर की इस जद में दर्जनों अफसर और हजारों शिक्षकों पर गाज गिर सकती है।
बेसिक शिक्षा विभाग में आयकर की चोरी करने वाले शिक्षकों का यह कोई नया कारनामा नहीं है। इसके पूर्व जिले के 317 अध्यापकों ने कैंसर रोगी का फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर आयकर की कटौती करने वालों पर जुर्माने के साथ वसूली की गई थी।
आयकर की नोटिस मिलने के बाद जांच में यह खुलासा हुआ कि वेतन भोगी समिति वैधानिक संस्था नहीं है। ऐसे में समिति से कर्ज लेने वालों को आयकर में छूट नहीं दी जा सकती है। मेरे लिए तो जिला बिल्कुल नया है। फिलहाल आयकर विभाग को निर्णय से अवगत करा दिया गया है।
रमेश सिंह, वित्त एवं लेखाधिकारी, बीएसए
बेसिक शिक्षा विभाग में आयकर की चोरी करने के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ है। 32 साल से जो समिति अध्यापकों को कर्ज बांटकर आयकर में छूट दिलाती थी, वह अब अबैधानिक संस्था घोषित कर दी गई है। आयकर विभाग की नोटिस आने के बाद चकराए अफसरों को गाइडलाइन याद आई और आयकर में छूट देने से हाथ खड़ा कर दिया है।
बेसिक शिक्षा विभाग में लेखा विभाग की मिलीभगत से वेतनभोगी समिति से हाउसिंग लोन लेने वाले शिक्षकों को 32 वर्षों से आयकर की छूट दी जा रही थी। 1987 में गठित बेसिक शिक्षा परिषद वेतन भोगी सहकारी समिति का सदस्य बनकर हाउसिंग लोन लेने वाले शिक्षकों के ब्याज की रकम को आयकर से छूट दी जाती थी। 32 साल से लेखा विभाग के इस खेल का खुलासा उस समय हुआ, जब जिला आयकर अधिकारी पीसी मिश्रा ने वित्त एवं लेखाधिकारी को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण तलब किया। फिर क्या था, लेखा विभाग ने जब गाइड लाइन देखी, तो आंख खुली और आनन-फानन में पत्र जारी कर हाउसिंग लोन लेने वाले शिक्षकों को इस वर्ष आयकर में छूट देने से हाथ खड़ा कर दिया है। फिलहाल लेखा विभाग की इस पहल से उन शिक्षकों की नींद उड़ गई, जिन्होंने समिति से हाउसिंग लोन लेकर आयकर की कटौती से बचना चाह रहे थे। अब देखना यह है कि आयकर विभाग पूर्व में लाभ ले चुके शिक्षकों और अधिकारियों पर क्या कार्रवाई करता है। ऐसा माना जा रहा है कि आयकर की इस जद में दर्जनों अफसर और हजारों शिक्षकों पर गाज गिर सकती है।
बेसिक शिक्षा विभाग में आयकर की चोरी करने वाले शिक्षकों का यह कोई नया कारनामा नहीं है। इसके पूर्व जिले के 317 अध्यापकों ने कैंसर रोगी का फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर आयकर की कटौती करने वालों पर जुर्माने के साथ वसूली की गई थी।
आयकर की नोटिस मिलने के बाद जांच में यह खुलासा हुआ कि वेतन भोगी समिति वैधानिक संस्था नहीं है। ऐसे में समिति से कर्ज लेने वालों को आयकर में छूट नहीं दी जा सकती है। मेरे लिए तो जिला बिल्कुल नया है। फिलहाल आयकर विभाग को निर्णय से अवगत करा दिया गया है।
रमेश सिंह, वित्त एवं लेखाधिकारी, बीएसए