शाहजहांपुर। खुदा की इबादत का पवित्र महीना रमजान चांद दिखने के साथ ही शुरू हो गया, शनिवार को पहला रोजा है। हर साल इसकी तैयारियों कई दिन पहले से शुरू हो जाती थी, लेकिन इस बार कोरोना माहमारी के चलते सबकुछ फीका है। संक्रमण फैलने का खतरा बना होने के कारण लोगों ने घरों से निकलने में संकोच किया, जरूरत का सामान के लिए कुछ लोग ही बाजार पहुंचे। जिससे बाजार में भी भीड़ काफी कम रही।
रमजान के महीने में मुस्लिम समाज के लोग एक महीने तक रोजा रखते हैं। इसमें सहरी के समय खाने-पीने के बाद पूरा दिन भूखे-प्यासे रहकर इबादत में बिताया जाता है और शाम को इफ्तार के समय रोजा खोलते हैं। जिसमें खजूर, सेवई और दूध से बने पकवान, फल आदि खाए जाते हैं। लॉकडाउन के चलते इस बार बाजारों में फलों के ठेले नदारद रहे, वहीं सेंवई की दुकानें भी कम नजर आई। लोगों की सहूलियत के प्रशासन की ओर से फलों व सब्जी की बिक्री मोहल्लों में जाकर बेचने की छूट दी गई, जिससे खरीदारी की जा सके।
खजूर और सेंवई की हुई खरीदारी
लॉकडाउन के बीच शुक्रवार को ठेले वाले शहर के गली-मोहल्लों में फल, सब्जी और सेवइयां लेकर पहुंचे। जिनसे लोगों ने खरीदारी की। अंटा मोहल्ले में कई लोग ठेले पर खरीदारी करते हुए मिले। इसी तरह से तारीन टिकली में सेवइयां खरीदने के लिए लोग ठेला घेरकर खड़े हो गए। तारीन टिकली में ठेले लेकर पहुंचे शफीक ने बताया कि सेंवई 60 रुपये किलो है।
लॉकडाउन में फलों के दाम हुए कम
फल विक्रेता वसीम ने बताया कि वह बहादुरगंज में ठेला लगाते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से इस बार उन्हें मोहल्लों में जाकर बिक्री करनी पड़ रहीं हैं। अच्छी बात है कि फलों के दाम पिछले साल की अपेक्षा कम हैं। किमिया का खजूर 160 रुपये में 600 ग्राम का पैकेज बिक रहा है। ईरानी खजूर 140 रुपये प्रति किलो है। संतरा 40, खरबूज 35, तरबूज 20, सेब 80, पपीता 30, अंगूर 40, केला 40 रुपये में बिक रहा है।
घर में रहकर ही नमाज पढ़ें : शहर काजी
शाहजहांपुर। शहर काजी सैयद मसूद हसन ने मुस्लिम समाज के लोगों से घर में रहकर ही पांच वक्त की नमाज, तरावीह और जुमे की नमाज अदा करने की अपील की है। साथ ही कहा कि कोई इफ्तार पार्टी न करें, घरों में रहकर इबादत की जाए। उन्होंने कहा कि इंसान का जीवन बहुत कीमती है इसलिए अप दूने और दूसरों के जीवन की हिफाजत करना हमारा फर्ज है। कहा कि सरकार ने लॉग डाउन के जो नियम बनाए हैं उसका पूरी तरह से पालन करें तभी हमको रोने जैसी महामारी से जीत सकते हैं।
शाहजहांपुर। खुदा की इबादत का पवित्र महीना रमजान चांद दिखने के साथ ही शुरू हो गया, शनिवार को पहला रोजा है। हर साल इसकी तैयारियों कई दिन पहले से शुरू हो जाती थी, लेकिन इस बार कोरोना माहमारी के चलते सबकुछ फीका है। संक्रमण फैलने का खतरा बना होने के कारण लोगों ने घरों से निकलने में संकोच किया, जरूरत का सामान के लिए कुछ लोग ही बाजार पहुंचे। जिससे बाजार में भी भीड़ काफी कम रही।
रमजान के महीने में मुस्लिम समाज के लोग एक महीने तक रोजा रखते हैं। इसमें सहरी के समय खाने-पीने के बाद पूरा दिन भूखे-प्यासे रहकर इबादत में बिताया जाता है और शाम को इफ्तार के समय रोजा खोलते हैं। जिसमें खजूर, सेवई और दूध से बने पकवान, फल आदि खाए जाते हैं। लॉकडाउन के चलते इस बार बाजारों में फलों के ठेले नदारद रहे, वहीं सेंवई की दुकानें भी कम नजर आई। लोगों की सहूलियत के प्रशासन की ओर से फलों व सब्जी की बिक्री मोहल्लों में जाकर बेचने की छूट दी गई, जिससे खरीदारी की जा सके।
खजूर और सेंवई की हुई खरीदारी
लॉकडाउन के बीच शुक्रवार को ठेले वाले शहर के गली-मोहल्लों में फल, सब्जी और सेवइयां लेकर पहुंचे। जिनसे लोगों ने खरीदारी की। अंटा मोहल्ले में कई लोग ठेले पर खरीदारी करते हुए मिले। इसी तरह से तारीन टिकली में सेवइयां खरीदने के लिए लोग ठेला घेरकर खड़े हो गए। तारीन टिकली में ठेले लेकर पहुंचे शफीक ने बताया कि सेंवई 60 रुपये किलो है।
लॉकडाउन में फलों के दाम हुए कम
फल विक्रेता वसीम ने बताया कि वह बहादुरगंज में ठेला लगाते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से इस बार उन्हें मोहल्लों में जाकर बिक्री करनी पड़ रहीं हैं। अच्छी बात है कि फलों के दाम पिछले साल की अपेक्षा कम हैं। किमिया का खजूर 160 रुपये में 600 ग्राम का पैकेज बिक रहा है। ईरानी खजूर 140 रुपये प्रति किलो है। संतरा 40, खरबूज 35, तरबूज 20, सेब 80, पपीता 30, अंगूर 40, केला 40 रुपये में बिक रहा है।
घर में रहकर ही नमाज पढ़ें : शहर काजी
शाहजहांपुर। शहर काजी सैयद मसूद हसन ने मुस्लिम समाज के लोगों से घर में रहकर ही पांच वक्त की नमाज, तरावीह और जुमे की नमाज अदा करने की अपील की है। साथ ही कहा कि कोई इफ्तार पार्टी न करें, घरों में रहकर इबादत की जाए। उन्होंने कहा कि इंसान का जीवन बहुत कीमती है इसलिए अप दूने और दूसरों के जीवन की हिफाजत करना हमारा फर्ज है। कहा कि सरकार ने लॉग डाउन के जो नियम बनाए हैं उसका पूरी तरह से पालन करें तभी हमको रोने जैसी महामारी से जीत सकते हैं।