उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी के भाई अरुण कुमार को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर मिली नियुक्ति विवाद में घिर गई है। कपिलवस्तु के सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में मिली नियुक्ति की आलोचना करते हुए अरुण के ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र की जांच की मांग की है।
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के अनुसार, नियुक्ति के लिए 150 लोगों ने आवेदन किया था। उनमें मेरिट के आधार पर अरुण कुमार दूसरे स्थान पर थे, जबकि साक्षात्कार, शैक्षणिक व अन्य अंकों के आधार पर प्रथम स्थान पर पहुंच गए। इस कारण उनका चयन किया गया। इस नियुक्ति के लिए शनिवार को सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अरुण को बधाई दी। इसके बाद से ही वह विपक्ष के निशाने पर आ गए। आप सांसद संजय सिंह, पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर व उनकी पत्नी आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर समेत प्रदेश के कई विपक्षी नेताओं ने उनकी नियुक्ति पर सवाल खड़े कर दिए।
नूतन ठाकुर ने राज्यपाल समेत अन्य को भेजे शिकायती पत्र में आरोप लगाया गया कि डॉ. अरुण कुमार शिक्षा मंत्री के भाई होने के साथ ही राजस्थान की वनस्थली विद्यापीठ के मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर थे। ऐसे में उन्हें ईडब्लूएस प्रमाणपत्र मिलना प्रथमदृष्टया जांच का विषय है। उधर, कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे के अनुसार, ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्ति हुई है। प्रमाणपत्र फर्जी होगा तो नियुक्ति निरस्त की जाएगी।
प्रशासन ने सही बताया ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र
जिला प्रशासन ने अरुण के ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र को सही ठहराया है। इटावा के तहसीलदार अरविंद कुमार के अनुसार, सामान्य वर्ग के आवेदक की वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम हो, शहरी क्षेत्र में उसका 1000 वर्गफुट से अधिक क्षेत्रफल का मकान न हो और उसके नाम पांच एकड़ से कम जमीन हो तो उसे ईडब्ल्यूएस कोटे में प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है।
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी के भाई अरुण कुमार का ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र पर्याप्त दस्तावेज के आधार पर बनाया गया है। यदि किसी की शिकायत आएगी तो जांच कराई जाएगी। - दीपक मीणा, जिलाधिकारी, सिद्धार्थनगर
विस्तार
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी के भाई अरुण कुमार को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर मिली नियुक्ति विवाद में घिर गई है। कपिलवस्तु के सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में मिली नियुक्ति की आलोचना करते हुए अरुण के ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र की जांच की मांग की है।
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के अनुसार, नियुक्ति के लिए 150 लोगों ने आवेदन किया था। उनमें मेरिट के आधार पर अरुण कुमार दूसरे स्थान पर थे, जबकि साक्षात्कार, शैक्षणिक व अन्य अंकों के आधार पर प्रथम स्थान पर पहुंच गए। इस कारण उनका चयन किया गया। इस नियुक्ति के लिए शनिवार को सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अरुण को बधाई दी। इसके बाद से ही वह विपक्ष के निशाने पर आ गए। आप सांसद संजय सिंह, पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर व उनकी पत्नी आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर समेत प्रदेश के कई विपक्षी नेताओं ने उनकी नियुक्ति पर सवाल खड़े कर दिए।
नूतन ठाकुर ने राज्यपाल समेत अन्य को भेजे शिकायती पत्र में आरोप लगाया गया कि डॉ. अरुण कुमार शिक्षा मंत्री के भाई होने के साथ ही राजस्थान की वनस्थली विद्यापीठ के मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर थे। ऐसे में उन्हें ईडब्लूएस प्रमाणपत्र मिलना प्रथमदृष्टया जांच का विषय है। उधर, कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे के अनुसार, ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्ति हुई है। प्रमाणपत्र फर्जी होगा तो नियुक्ति निरस्त की जाएगी।
प्रशासन ने सही बताया ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र
जिला प्रशासन ने अरुण के ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र को सही ठहराया है। इटावा के तहसीलदार अरविंद कुमार के अनुसार, सामान्य वर्ग के आवेदक की वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम हो, शहरी क्षेत्र में उसका 1000 वर्गफुट से अधिक क्षेत्रफल का मकान न हो और उसके नाम पांच एकड़ से कम जमीन हो तो उसे ईडब्ल्यूएस कोटे में प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है।
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी के भाई अरुण कुमार का ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र पर्याप्त दस्तावेज के आधार पर बनाया गया है। यदि किसी की शिकायत आएगी तो जांच कराई जाएगी।
- दीपक मीणा, जिलाधिकारी, सिद्धार्थनगर