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Eunuchs offered ancestors in Kashi Mahamandaleshwar said- 'After 300 years eunuchs started a new tradition'
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काशी में किन्नरों ने किया पितरों का तर्पण: महामंडलेश्वर बोलीं- '300 साल के बाद किन्नरों ने शुरू की नई परंपरा'
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी
Published by: किरन रौतेला
Updated Wed, 07 Dec 2022 11:51 AM IST
सार
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किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि इतिहास में पहली बार महाभारत काल के शिखंडी द्वारा पिंडदान किए जाने के करीब 300 साल के बाद किन्नरों ने अपने पूर्वजों का पिंडदान कर के एक नई परम्परा की शुरूआत की थी। इसी कड़ी में मंगलवार को काशी यह आयोजन कर रहे हैं।
काशी में किन्नरों ने किया पितरों का तर्पण
- फोटो : अमर उजाला
काशी के पिशाचमोचन स्थित विमल तीर्थ पर मंगलवार को किन्नरों के ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों के पिंडदान और श्राद्धकर्म का आयोजन हुआ। किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के सान्निध्य में मोक्ष नगरी काशी पहुंचे किन्नरों ने पिशाच मोचन के मुन्ना गुरु की आचार्यत्व में विधि-विधान से अपने पितरों को याद कर उन्हें तर्पित किया।
किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि इतिहास में पहली बार महाभारत काल के शिखंडी द्वारा पिंडदान किए जाने के करीब 300 साल के बाद किन्नरों ने अपने पूर्वजों का पिंडदान कर के एक नई परम्परा की शुरूआत की थी। इसी कड़ी में मंगलवार को काशी यह आयोजन कर रहे हैं। अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके मोक्ष की प्राप्ति के लिए सारे किन्नरों ने पूरे विधि-विधान के साथ तर्पण किया और साथ ही साथ अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इस दौरान प्रमुख रूप से आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, महामंडलेश्वर भवानी माँ, महामंडलेश्वर पवित्रा माँ, महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी माँ, महंत कल्यानी नंद गिरी महामंडलेश्वर शिवप्रिया माँ, महंत ऋषिदास, महामंडलेश्वर कनकेश्वरी माँ सहित किन्नर अखाड़ा के सभी महामंडलेश्वर और महंत उपस्थित रहे।
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