काशी फिल्म महोत्सव की दूसरी संध्या काशी वासियों के लिए अविस्मरणीय रही। शिव की नगरी में सती, पार्वती और दुर्गा के स्वरूप में भाजपा सांसद, पद्मश्री, मशहूर अदाकारा हेमा मालिनी ने हर किसी को एकाकार किया। पौराणिक शास्त्रों में वर्णित शक्ति के स्वरूपों की मंच पर प्रस्तुति के लोग गवाह बने और अपने साथ अविस्मरणीय यादें लेकर लौटे। मंच पर हेमा मालिनी के भरतनाट्यम नृत्य में पिरोए नृत्य और भाव भंगिमाएं सम्मोहित करने वाली थीं। सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर का सभागार शाम से ही दर्शकों से भरना शुरू हो गया था। बरसात के कारण विलंब से शुरू हुई नृत्य नाटिका का मंचन देखने के लिए दर्शक दम साधे इंतजार करते रहे। हेमा मालिनी के नाट्य विहार कला केंद्र की टीम ने दुर्गा नृत्य नाटिका का शुभारंभ गणपति वंदना के बाद मां पार्वती के संवाद से किया। मंचित नृत्य नाटिका में सती के देह त्यागते ही शिव ने जैसे ही रौद्र रुप धारण किया तो उनके तांडव से पूरा हॉल गुंजायमान हो गया। देवलोक में भी हलचल मच जाती है। नृत्य नाटिका में शिव की तपस्या भंग होने, कामदेव के भस्म होने और रति को वरदान मिलने का प्रसंग बखूबी पेश किया गया। इसके बाद मां पार्वती की तपस्या से लेकर शिव व मां पार्वती के विवाह तक के प्रसंग को खूबसूरती से नृत्य में समेटा गया। अंतिम में मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप में मंच पर महाशक्ति बनकर आईं भाजपा सांसद हेमा मालिनी का रूप देख दर्शक भी नतमस्तक हो गए। हेमा मालिनी जब मां दुर्गा के रूप में अवतरित हुईं तो पूरा हाल उनके जयकारे से गूंजने लगा। दुर्गा सप्तशती पर आधारित नृत्य नाटिका में भरतनाट्यम शैली की भंगिमाएं थीं तो स्व. रविंद्र जैन के संगीत के साथ सुरेश वाडेकर, येसूदास और कविता कृष्णमूर्ति के स्वरों में संजोए गीत थे। प्रस्तुति के दौरान दर्शकों की उत्सुकता देखते ही बनीं। हेमा को करीब से देखने के लिए मंच तक दर्शक पहुंच गए और उन्हें मोबाइल व कैमरे में कैद करने की होड़ सी मच गई।
काशी फिल्म महोत्सव की दूसरी संध्या काशी वासियों के लिए अविस्मरणीय रही। शिव की नगरी में सती, पार्वती और दुर्गा के स्वरूप में भाजपा सांसद, पद्मश्री, मशहूर अदाकारा हेमा मालिनी ने हर किसी को एकाकार किया। पौराणिक शास्त्रों में वर्णित शक्ति के स्वरूपों की मंच पर प्रस्तुति के लोग गवाह बने और अपने साथ अविस्मरणीय यादें लेकर लौटे। मंच पर हेमा मालिनी के भरतनाट्यम नृत्य में पिरोए नृत्य और भाव भंगिमाएं सम्मोहित करने वाली थीं। सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर का सभागार शाम से ही दर्शकों से भरना शुरू हो गया था। बरसात के कारण विलंब से शुरू हुई नृत्य नाटिका का मंचन देखने के लिए दर्शक दम साधे इंतजार करते रहे। हेमा मालिनी के नाट्य विहार कला केंद्र की टीम ने दुर्गा नृत्य नाटिका का शुभारंभ गणपति वंदना के बाद मां पार्वती के संवाद से किया। मंचित नृत्य नाटिका में सती के देह त्यागते ही शिव ने जैसे ही रौद्र रुप धारण किया तो उनके तांडव से पूरा हॉल गुंजायमान हो गया। देवलोक में भी हलचल मच जाती है। नृत्य नाटिका में शिव की तपस्या भंग होने, कामदेव के भस्म होने और रति को वरदान मिलने का प्रसंग बखूबी पेश किया गया। इसके बाद मां पार्वती की तपस्या से लेकर शिव व मां पार्वती के विवाह तक के प्रसंग को खूबसूरती से नृत्य में समेटा गया। अंतिम में मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप में मंच पर महाशक्ति बनकर आईं भाजपा सांसद हेमा मालिनी का रूप देख दर्शक भी नतमस्तक हो गए। हेमा मालिनी जब मां दुर्गा के रूप में अवतरित हुईं तो पूरा हाल उनके जयकारे से गूंजने लगा। दुर्गा सप्तशती पर आधारित नृत्य नाटिका में भरतनाट्यम शैली की भंगिमाएं थीं तो स्व. रविंद्र जैन के संगीत के साथ सुरेश वाडेकर, येसूदास और कविता कृष्णमूर्ति के स्वरों में संजोए गीत थे। प्रस्तुति के दौरान दर्शकों की उत्सुकता देखते ही बनीं। हेमा को करीब से देखने के लिए मंच तक दर्शक पहुंच गए और उन्हें मोबाइल व कैमरे में कैद करने की होड़ सी मच गई।