तुंगनाथ घाटी के पर्यटक गांव सारी में ऊषा-अनिरुद्ध विवाह का गढ़वाली में मंचन किया गया। पात्रों के जीवंत अभिनय ने दर्शकों को देर रात तक पांडाल में बैठने को मजबूर किया। गांव में 11 वर्ष बाद सात दिवसीय नाट्य मंचन हो रहा है जिसमें अलग-अलग कथाओं का गीत व संवाद के साथ हिंदी व गढ़वाली में मंचन किया जा रहा है।
महिला व युवक मंगल दल के सहयोग से आयोजित नाट्य मंचन के दूसरे दिन ऊषा-अनिरुद्ध विवाह लीला का गढ़वाली में मंचन किया गया। द्वापर में सौणितपुर के असुरराज वाणासुर की पुत्री ऊषा ने सपने में एक सुंदर युवक को देखा और वह उससे प्रेम करने लगी। ऊषा ने यह बात अपनी चित्रकार सहेली चित्रलेखा को बताई। चित्रलेखा ने ऊषा के कहे अनुसार चित्र बताया तो वह द्वारिका नरेश श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध को होता है। इसके बाद चित्रलेखा अपनी शक्तियों से अनिरुद्ध का हरण कर उसे सोणितपुर ले आती है। जहां ऊषा-अनिरुद्ध का गंधर्व विवाह होता है। जब वाणासुर को यह बात पता चलती है तो वह अपनी बेटी पर नाराज होता है और शक्तियों से अनिरुद्ध को बांध लेता है। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण और वाणासुर युुुद्ध का मंचन भी किया गया। ऊषा और अनिरुद्ध के पात्रों द्वारा गढ़वाली में गीत व संवाद के साथ अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा।
इस मौके पर ग्राम प्रधान मनोरमा देवी, मुख्य अतिथि जिला पंचायत सदस्य रीना बिष्ट, विशिष्ट अतिथि सरपंच मुरली सिंह नेगी, पीएस नेगी, योगेंद्र सिंह, रनदीप हरी, सोनू, मनोज नेगी, धमेंद्र भट्ट, भरत नेगी, रणजीत सिंह नेगी, जसपाल सिंह नेगी, उपाध्यक्ष दीवान सिंह नेगी, गजपाल सिंह भट्ट, दिलवर सिंह नेगी आदि मौजूद थे।