“तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नही , कमाल ये है कि फ़िर भी तुम्हे यक़ीन नही", कवि दुष्यंत कुमार त्यागी की लेखनी से निकली क्रांतिकारी कविताओं और गजलों ने उन्हें बहुत कम समय में ही बुलंदियों पर पहुँचा दिया। लेकिन कभी भी किसी नेता , अभिनेता या जनप्रितिनिधि ने यह जानने की कोशिश नही की, कि आज़ाद भारत के इस क्रांतिकारी कवि ने जिस गाँव और जिस घर मे जन्म लिया वो किस हाल में है।