कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग यानी किसी कंपनी और किसानों के बीच लिखित करार, कंपनी खाद-बीज से लेकर तकनीक तक, सब कुछ किसान के लिए उपलब्ध कराती है, अपना पैसा लगाती है और किसान अपने खेत में कंपनी के लिए फसल उगाता है। अंत में जब उपज तैयार होती है तो किसान कॉन्ट्रैक्ट में पहले से तय कीमत पर कंपनी को अपनी उपज बेच देता है। सरकार के मुताबिक नया कानून किसानों को बुआई से पहले बिक्री की गारंटी देता है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग देश के किसानों के लिए कोई नया शब्द नहीं है। कानून बनने से पहले भी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा समेत दक्षिण राज्यों के कई छोटे-बड़े किसान कंपनियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करते आए हैं।