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21 अगस्त, वो तारीख जब साल 2006 में बनारस के घाटों से वो धुनें हमेशा हमेशा के लिए खो गईं जो उस शहनाई से निकला करती थीं जिसे अपनी सांसे दिया करते थे उस्ताद बिस्मिल्ला खां। भारत के तीसरे संगीतकार जिन्हें सर्वोच्च नागरी सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। जिनकी शहनाई ने किसी कुटिया, महल, दरबार, मंदिर या मस्जिद का भेद भाव नहीं किया। आज उन्ही बिस्मिल्ला खां की पुण्यतिथि है।