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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 64 साल से चले रहे मुकदमें में बड़ा फैसला सुनाया है। न्यायालय ने शंकराचार्य स्वरूपानन्द सरस्वती और स्वामी वासुदेवानन्द दोनों को ही ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य नहीं माना है। न्यायालय ने स्वामी वासुदेवानन्द को छत्र चंवर दण्ड, सिंहासन और शंकराचार्य पदनाम का उपयोग न करने का भी आदेश सुनाया है। न्यायालय ने उन्हें सन्यासी भी नहीं माना है।