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किसानों की तकलीफों को समझने का हर कोई दावा तो करता है । लेकिन कोई भी उसके लिए कदम नहीं उठाता । अपने हक की लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ती है । ऐसा ही एक परिवार 16 दिनों से अपने हक के लिए धरने पर बैठा था । लेकिन प्रशासन की आंखे तब खुली जब उस परिवार के एक सदस्य की मौत हो गई ।