अमेरिका ने लोकतांत्रिक देशों का एक गठबंधन बनाया है ताकि रूस को यूक्रेन पर हमले की कीमत चुकाने के लिए विवश किया जा सके। इस गठबंधन में दक्षिण कोरिया और जापान भी हैं। बाइडन जानते हैं कि चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं का जवाब देने के लिए उन्हें इन देशों के साथ संबंध मजबूत करने होंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन दक्षिण कोरिया और जापान की छह दिनों की यात्रा पर गुरुवार को रवाना हो गये हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति का पद ग्रहण करने के बाद बाइडन की यह पहली एशिया यात्रा है। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के नेताओं के साथ संबंधों को मजबूत करना है, वहीं चीन को यह संदेश देना भी है कि यूक्रेन पर रूस के हमले को देखते हुए बीजिंग को प्रशांत क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को विराम देना चाहिए।
अमेरिका ने लोकतांत्रिक देशों का एक गठबंधन बनाया है ताकि रूस को यूक्रेन पर हमले की कीमत चुकाने के लिए विवश किया जा सके। इस गठबंधन में दक्षिण कोरिया और जापान भी हैं। बाइडन जानते हैं कि चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं का जवाब देने के लिए उन्हें इन देशों के साथ संबंध मजबूत करने होंगे।
अमेरिकी कूटनीति के जानकारों के मुताबिक यात्रा के दौरान उनका ध्यान दक्षिण कोरिया और जापान के बीच एकजुटता कायम करने पर केंद्रित रहेगा। इन दोनों को अमेरिकी खेमे का देश समझा जाता है। जापान और दक्षिण कोरिया में 80 हजार से ज्यादा अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। लेकिन इन दोनों देशों के आपसी रिश्ते तनावपूर्ण हैं। इस तनाव का संबंध 1910 से दूसरे विश्व युद्ध तक दक्षिण कोरिया में जापानी सैनिकों के कथित अत्याचार से है। दक्षिण कोरिया उस अत्याचार के बदले जापान से माफी और मुआवजे की मांग करता रहा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक चीन के उदय ने एशिया प्रशांत क्षेत्र को अमेरिका की प्राथमिकता बना दिया है। कुछ ही रोज पहले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा था कि चीन का उदय 21वीं सदी का सबसे बड़ा भू-राजनीतिक इम्तिहान है। इस बीच उत्तर कोरिया ने भी लगातार मिसाइल परीक्षण कर इस क्षेत्र में चिंताएं बढ़ा रखी हैं। इसे देखते हुए अमेरिकी रणनीतिकारों में आम राय बनी है कि जापान और दक्षिण कोरिया की एकजुटता बेहद जरूरी है।
जापान और दक्षिण कोरिया दोनों देशों में काम करने का अनुभव रखने वाले पूर्व अमेरिकी राजनयिक इवांस रिवेरे ने कहा है- ‘अगर जापान और दक्षिण करिया आपस में लगातार बात नहीं करते हैं, अगर वे आपस में सहयोग नहीं करते हैं, तो अमेरिका के लिए चीन और उत्तर कोरिया से निपटने की रणनीति को लागू करना कठिन हो जाएगा।’
बाइडन प्रशासन ने कहा है कि इन दोनों देशों में रिश्ते सुधरने की आज जितनी संभावना है, उतनी पहले कभी नहीं थी। प्रशासन के अधिकारियों ने ध्यान दिलाया है कि जापान और दक्षिण कोरिया दोनों जगह सत्ता नए नेतृत्व के हाथों में है। जापान में फुमियो किशिदा पिछले साल के आखिर में प्रधानमंत्री बने थे। दक्षिण कोरिया में यून सुक यिओल ने कुछ ही हफ्ते पहले नए राष्ट्रपति का पद संभाला है। इससे आशा है कि बाइडन को दोनों देशों को आपसी रिश्ते में एक नई शुरुआत के लिए प्रेरित करना आसान हो जाएगा।
लेकिन टोक्यो स्थित थिंक टैंक- द कैनॉन इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल स्टडीज में वरिष्ठ शोधकर्ता कोहतारो इतो ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से कहा- राष्ट्रपति यून ने नजरिया बदलने का संकेत दिया है। फिर भी बाइडन की यात्रा के दौरान कोई बड़ी सफलता मिलेगी, इसकी संभावना कम है। इसकी वजह दोनों देशों में उग्र राष्ट्रवादी मतदाताओं की बड़ी संख्या है, जिन्हें मौजूदा सरकारें नाराज नहीं करना चाहेंगी।
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