यूरोपीय संघ ने बड़ी डिजिटल कंपनियों पर लगाम कसने के लिए बहुप्रतिक्षित दो कानूनों का मसौदा जारी कर दिया है। इससे साफ है कि गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों की मुसीबत सिर्फ अमेरिका में ही नहीं, बल्कि सिर्फ यूरोप में भी बढ़ने वाली है।
ईयू के प्रस्तावित कानूनों का मकसद अफरातफरी के बीच व्यवस्था कायम करना बतायाहै। ये कानून डिजिटल मार्केट्स एक्ट (डीएमए) और डिजिटल सर्विसेज एक्ट (डीएसए) के नाम से लागू होंगे।
माना जा रहा है इससे बहुराष्ट्रीय डिजिटल कंपनियों के वर्चस्व पर नियंत्रण लगेगा। कंपनियां कंटेट का क्रम कैसे तैयार करती हैं इस पर पारदर्शिता बरतनी होगी। इसके साथ ही विज्ञापन नीति क्या है और किसी कंटेट को किस आधार पर हटाती हैं ये जानकारी देनी होगी।
वैकल्पिक कंपनियों को उभरने का मौका मिलेगा
डिजिटल मार्केटिंग एक्ट से बड़ी कंपनियों को मजबूर किया जाएगा कि वे वैकल्पिक कंपनियों को भी बाजार में उभरने दें। मतलब बाजार में अपने दबदबे का प्रयोग कर नई कंपनियों के रास्ते में रोड़ा न अटकाएं। इसके लिए कई तरह की गतिविधियों पर पाबंदी लगाई जाएगी।
जो गतिविधि ऑफलाइन जुर्म, वो ऑनलाइन भी जुर्म
इन कानूनों का मदसद डिजिटल कंपनियों को पूरे ईयू क्षेत्र में एक जैसे नियम लागू करने के लिए मजबूर करना है। यूरोप फिट फॉर डिजिटल एज नाम की विशेष एजेंसी ने ये मसौदा तैयार किया है। एजेंसी की कार्यकारी उपाध्यक्ष मार्गरेट वेस्टेगर ने कहा कि मसौदों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यूजर्स को ऑनलाइन सुरक्षित और सेवाओं के अनेक विकल्प उपलब्ध हो सकें। लोगों का कंटेट और विज्ञापन पर भरोसा कायम रहे।
टर्नओवर का दस फीसदी तक जुर्माना
अब बड़ी कंपनियां जिन कारोबारियों के डाटा को होस्ट करती हैं, उस डाटा का वे उन्हीं कारोबारियों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं कर सकेंगी। साथ ही वे अपनी सेवाओं को अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों की सेवाओं के ऊपर रखना अब गैरकानूनी होगा। इन नियमों उल्लंघन करने पर कंपनियों पर उनके टर्नओवर का दस फीसदी तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा।
यूरोपीय संघ ने बड़ी डिजिटल कंपनियों पर लगाम कसने के लिए बहुप्रतिक्षित दो कानूनों का मसौदा जारी कर दिया है। इससे साफ है कि गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों की मुसीबत सिर्फ अमेरिका में ही नहीं, बल्कि सिर्फ यूरोप में भी बढ़ने वाली है।
ईयू के प्रस्तावित कानूनों का मकसद अफरातफरी के बीच व्यवस्था कायम करना बतायाहै। ये कानून डिजिटल मार्केट्स एक्ट (डीएमए) और डिजिटल सर्विसेज एक्ट (डीएसए) के नाम से लागू होंगे।
माना जा रहा है इससे बहुराष्ट्रीय डिजिटल कंपनियों के वर्चस्व पर नियंत्रण लगेगा। कंपनियां कंटेट का क्रम कैसे तैयार करती हैं इस पर पारदर्शिता बरतनी होगी। इसके साथ ही विज्ञापन नीति क्या है और किसी कंटेट को किस आधार पर हटाती हैं ये जानकारी देनी होगी।
वैकल्पिक कंपनियों को उभरने का मौका मिलेगा
डिजिटल मार्केटिंग एक्ट से बड़ी कंपनियों को मजबूर किया जाएगा कि वे वैकल्पिक कंपनियों को भी बाजार में उभरने दें। मतलब बाजार में अपने दबदबे का प्रयोग कर नई कंपनियों के रास्ते में रोड़ा न अटकाएं। इसके लिए कई तरह की गतिविधियों पर पाबंदी लगाई जाएगी।
जो गतिविधि ऑफलाइन जुर्म, वो ऑनलाइन भी जुर्म
इन कानूनों का मदसद डिजिटल कंपनियों को पूरे ईयू क्षेत्र में एक जैसे नियम लागू करने के लिए मजबूर करना है। यूरोप फिट फॉर डिजिटल एज नाम की विशेष एजेंसी ने ये मसौदा तैयार किया है। एजेंसी की कार्यकारी उपाध्यक्ष मार्गरेट वेस्टेगर ने कहा कि मसौदों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यूजर्स को ऑनलाइन सुरक्षित और सेवाओं के अनेक विकल्प उपलब्ध हो सकें। लोगों का कंटेट और विज्ञापन पर भरोसा कायम रहे।
टर्नओवर का दस फीसदी तक जुर्माना
अब बड़ी कंपनियां जिन कारोबारियों के डाटा को होस्ट करती हैं, उस डाटा का वे उन्हीं कारोबारियों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं कर सकेंगी। साथ ही वे अपनी सेवाओं को अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों की सेवाओं के ऊपर रखना अब गैरकानूनी होगा। इन नियमों उल्लंघन करने पर कंपनियों पर उनके टर्नओवर का दस फीसदी तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा।