कतर में फुटबॉल वर्ल्ड कप के लिए हो रहे निर्माण में लगे विदेशी मजदूरों के साथ दुर्व्यवहार का मामला एक फिर सुर्खियों में आया है। यूरोप के अधिकारियों और ट्रेड यूनियन नेताओं ने मांग की है कि कतर मजदूरों की सुरक्षा के लिए नए श्रम कानून लागू करे। इस बीच कतर की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पष्टीकरण देने की मुहिम छेड़ी है।
ब्रसेल्स के दौरे पर पहुंचे नए श्रम मंत्री
कतर के नए श्रम मंत्री अली बिन समिख अल-मारी ने इस महीने यूरोपियन यूनियन (ईयू) के मुख्यालय ब्रसेल्स का दौरा किया। उन्होंने वहां दावा किया कि कतर में अब सूरत बदल गई है और अब मजदूरों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। ब्रसेल्स में यूरोपियन ट्रेड यूनियन कॉन्फेडरेशन के अधिकारियों ने अल-मारी से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि कतर सरकार की कुछ अच्छी कोशिशों के बावजूद समस्याएं बनी हुई हैं।
कॉन्फेडरेशन के अधिकारियों ने कहा कि नए नियमों पर अमल कमजोर ढंग से हो रहा है। इसकी वजह से आव्रजक मजदूरों की मुश्किलें कायम हैं। उन्होंने कहा कि कॉन्फेडरेशन लगातार कतर में मजदूरों की स्थिति की निगरानी कर रहा है। उधर ईयू के रोजगार एवं सामाजिक अधिकार आयुक्त निकोलस श्मिट ने अल-मारी से बातचीत के दौरान कहा कि ईयू की चिंताएं अभी दूर नहीं हुई हैं। ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि कतर में श्रम कानून धीमी गति से लागू किए गए हैं। वहां अभी भी दुर्घटनाएं हो रही हैं, जो चिंता की बात है।
कतर में वर्ल्ड कप फुटबॉल के आयोजन में एक साल से भी कम समय बचा है। वहां इस बड़े आयोजन के लिए हो रहे निर्माण कार्यों के लिए विदेशों से मजदूर लगाए गए हैं। कतर की आबादी 27 लाख है। बताया जाता है कि लगभग 20 लाख आव्रजक मजदूर वर्ल्ड कप संबंधी निर्माण कार्यों में लगाए गए हैं। पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा था कि निर्माण कार्यों के दौरान मजदूरों की मौत की असली संख्या उससे अधिक हो सकती है, जितना कतर सरकार ने बताया है। कतर सरकार के मुताबिक पिछले साल 50 मजदूरों की मौत हुई।
275 डॉलर प्रति महीने न्यूनतम मजदूरी
मरे मजदूरों में ज्यादातर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के हैं। उनकी मौत कार्यस्थल पर हादसों या खराब हालत में काम करने की वजह से हुई बीमारियों की वजह से हुई है। मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशन ने कतर में आव्रजक मजदूरों की कामकाज की खराब स्थितियों पर कई रिपोर्टें जारी की हैँ। उनमें हालत सुधरने के सरकार की तरफ से किए गए दावों को गलत बताया गया है।
उधर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के कतर स्थित प्रमुख मैक्स टुनोन ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा- ‘कतर में जो श्रम सुधार पिछले कुछ वर्षों में लागू किए गए, उनका असर तो हुआ है, लेकिन ये असर पूरा नहीं है।’
अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं के बाद कतर ने उस प्रथा को खत्म करने का एलान किया था, जिसके तहत विदेश से आए मजदूरों के पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते थे। साथ ही न्यूनतम वेतन का नियम भी लागू किया गया। इसके तहत 275 डॉलर प्रति महीने न्यूनतम मजदूरी तय की गई। गैर सरकारी संगठनों ने इन कदमों का स्वागत किया है। लेकिन उनका दावा है कि कतर आव्रजक मजदूरों के लिए कामकाज की मानवीय स्थिति सुनिश्चित करने और उचित वेतन की गारंटी करने में नाकाम रहा है।
विस्तार
कतर में फुटबॉल वर्ल्ड कप के लिए हो रहे निर्माण में लगे विदेशी मजदूरों के साथ दुर्व्यवहार का मामला एक फिर सुर्खियों में आया है। यूरोप के अधिकारियों और ट्रेड यूनियन नेताओं ने मांग की है कि कतर मजदूरों की सुरक्षा के लिए नए श्रम कानून लागू करे। इस बीच कतर की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पष्टीकरण देने की मुहिम छेड़ी है।
ब्रसेल्स के दौरे पर पहुंचे नए श्रम मंत्री
कतर के नए श्रम मंत्री अली बिन समिख अल-मारी ने इस महीने यूरोपियन यूनियन (ईयू) के मुख्यालय ब्रसेल्स का दौरा किया। उन्होंने वहां दावा किया कि कतर में अब सूरत बदल गई है और अब मजदूरों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। ब्रसेल्स में यूरोपियन ट्रेड यूनियन कॉन्फेडरेशन के अधिकारियों ने अल-मारी से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि कतर सरकार की कुछ अच्छी कोशिशों के बावजूद समस्याएं बनी हुई हैं।
कॉन्फेडरेशन के अधिकारियों ने कहा कि नए नियमों पर अमल कमजोर ढंग से हो रहा है। इसकी वजह से आव्रजक मजदूरों की मुश्किलें कायम हैं। उन्होंने कहा कि कॉन्फेडरेशन लगातार कतर में मजदूरों की स्थिति की निगरानी कर रहा है। उधर ईयू के रोजगार एवं सामाजिक अधिकार आयुक्त निकोलस श्मिट ने अल-मारी से बातचीत के दौरान कहा कि ईयू की चिंताएं अभी दूर नहीं हुई हैं। ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि कतर में श्रम कानून धीमी गति से लागू किए गए हैं। वहां अभी भी दुर्घटनाएं हो रही हैं, जो चिंता की बात है।
कतर में वर्ल्ड कप फुटबॉल के आयोजन में एक साल से भी कम समय बचा है। वहां इस बड़े आयोजन के लिए हो रहे निर्माण कार्यों के लिए विदेशों से मजदूर लगाए गए हैं। कतर की आबादी 27 लाख है। बताया जाता है कि लगभग 20 लाख आव्रजक मजदूर वर्ल्ड कप संबंधी निर्माण कार्यों में लगाए गए हैं। पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा था कि निर्माण कार्यों के दौरान मजदूरों की मौत की असली संख्या उससे अधिक हो सकती है, जितना कतर सरकार ने बताया है। कतर सरकार के मुताबिक पिछले साल 50 मजदूरों की मौत हुई।
275 डॉलर प्रति महीने न्यूनतम मजदूरी
मरे मजदूरों में ज्यादातर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के हैं। उनकी मौत कार्यस्थल पर हादसों या खराब हालत में काम करने की वजह से हुई बीमारियों की वजह से हुई है। मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशन ने कतर में आव्रजक मजदूरों की कामकाज की खराब स्थितियों पर कई रिपोर्टें जारी की हैँ। उनमें हालत सुधरने के सरकार की तरफ से किए गए दावों को गलत बताया गया है।
उधर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के कतर स्थित प्रमुख मैक्स टुनोन ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा- ‘कतर में जो श्रम सुधार पिछले कुछ वर्षों में लागू किए गए, उनका असर तो हुआ है, लेकिन ये असर पूरा नहीं है।’
अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं के बाद कतर ने उस प्रथा को खत्म करने का एलान किया था, जिसके तहत विदेश से आए मजदूरों के पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते थे। साथ ही न्यूनतम वेतन का नियम भी लागू किया गया। इसके तहत 275 डॉलर प्रति महीने न्यूनतम मजदूरी तय की गई। गैर सरकारी संगठनों ने इन कदमों का स्वागत किया है। लेकिन उनका दावा है कि कतर आव्रजक मजदूरों के लिए कामकाज की मानवीय स्थिति सुनिश्चित करने और उचित वेतन की गारंटी करने में नाकाम रहा है।