वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Nilesh Kumar
Updated Sun, 17 Nov 2019 03:49 PM IST
यूरोपीय संघ ने वित्तीय कार्रवाई कार्य बल यानी कि एफएटीएफ की कार्य योजना लागू करने के लिए पाकिस्तान को तकनीकी सहायता मुहैया कराने की पेशकश की है। पाकिस्तान ने इस कार्य योजना को लागू करने के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा तकनीकी मदद की पेशकश का स्वागत किया है।
पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ-पाकिस्तान संयुक्त आयोग के 10वें सत्र के समापन के बाद जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में दोनों ही पक्षों ने पाकिस्तान द्वारा एफएटीएफ की कार्य योजनाओं को लागू करने के महत्व पर जोर दिया। वैश्विक आतंकी वित्तीय लेन-देन पर नजर रखने वाले एफएटीएफ ने पिछले महीने पाकिस्तान को 'ग्रे' सूची यानी निगरानी सूची में ही अगले साल फरवरी तक के लिए रखा है।
दरअसल आतंकी गतिविधि के लिए धनशोधन और धन मुहैया कराने के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा पर्याप्त कार्रवाई नहीं किए जाने पर यह कदम उठाया गया था। मालूम हो कि पाकिस्तान को पिछले साल जून में एफएटीएफ ने निगरानी सूची में डाला था और इस संबंध में एक कार्य योजना भी दी थी, जिसे अक्टूबर 2019 तक पूरा करना था और ऐसा नहीं करने पर पाकिस्तान के ईरान और उत्तर कोरिया के साथ काली सूची में पहुंचने की संभावना थी।
यूरोपीय संघ ने वित्तीय कार्रवाई कार्य बल यानी कि एफएटीएफ की कार्य योजना लागू करने के लिए पाकिस्तान को तकनीकी सहायता मुहैया कराने की पेशकश की है। पाकिस्तान ने इस कार्य योजना को लागू करने के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा तकनीकी मदद की पेशकश का स्वागत किया है।
पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ-पाकिस्तान संयुक्त आयोग के 10वें सत्र के समापन के बाद जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में दोनों ही पक्षों ने पाकिस्तान द्वारा एफएटीएफ की कार्य योजनाओं को लागू करने के महत्व पर जोर दिया। वैश्विक आतंकी वित्तीय लेन-देन पर नजर रखने वाले एफएटीएफ ने पिछले महीने पाकिस्तान को 'ग्रे' सूची यानी निगरानी सूची में ही अगले साल फरवरी तक के लिए रखा है।
दरअसल आतंकी गतिविधि के लिए धनशोधन और धन मुहैया कराने के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा पर्याप्त कार्रवाई नहीं किए जाने पर यह कदम उठाया गया था। मालूम हो कि पाकिस्तान को पिछले साल जून में एफएटीएफ ने निगरानी सूची में डाला था और इस संबंध में एक कार्य योजना भी दी थी, जिसे अक्टूबर 2019 तक पूरा करना था और ऐसा नहीं करने पर पाकिस्तान के ईरान और उत्तर कोरिया के साथ काली सूची में पहुंचने की संभावना थी।