कोरोना वायरस महामारी को लेकर यूट्यूब पर काफी वीडियो अपलोड की जा रही हैं। लोग इन वीडियो को खूब देख रहे हैं और पसंद कर रहे हैं। लेकिन कोरोना वायरस की सबसे ज्यादा देखे जानी वाली अंग्रजी वीडियो में हर चार में से एक वीडियो गलत है। यानी हर चौथी वीडियो में जो जानकारी साझा की जा रही है उसमें तथ्यात्मक गलती है।
26 मिनट के एक वायरल वीडियो को हटाने वाली कई वेबसाइटों के बाद किए गए एक अध्ययन में यह खुलासा किया गया है। कथित तौर पर इस वीडियो में बीमारी को 'प्लांडेमिक' बताया गया है। वीडियो में कहा गया था कि यह बीमारी एक साजिश थी जिससे लाभ पाने के लिए लोगों ने इसका प्रमोशन किया। नए अध्ययन के अनुसार, यूट्यूब पर कोरोना वायरस पर सबसे अधिक देखी जाने वाले वीडियो में से हर चौथी वीडियो तथ्यात्मक रूप से गलत है।
ओटावा विश्वविद्यालय के चिकित्सा संकाय में एक अध्ययन के प्रमुख लेखक हेइडी ओई-यी ली ने बताया कि आम जनता के पास स्वास्थ्य साक्षरता की अलग-अलग डिग्री हैं। जब हम भ्रामक सूचनाओं के उत्पन्न होने और फैलने की विशाल मात्रा और विविधता पर विचार करते हैं, तो इससे नुकसान की काफी संभावनाएं होती हैं
उन्होंने कहा कि यूट्यूब ने पिछले प्रकोपों के बाद से काफी तरक्की की है, अब इसकी पहुंच पहले से कहीं अधिक है। हमें यह मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण था कि क्या गलत सूचना व्यापक दर्शकों तक फैल रही थी।
शोधकर्ताओं ने 75 सबसे ज्यादा देखे जाने वाली अंग्रेजी वीडियो का पता लगाने के लिए कोरोना वायरस और कोविद-19 कीवर्ड का उपयोग। यह सभी वीडियो एक घंटे से भी कम अवधि की थीं। वीडियो के गैर-ऑडियो और गैर-दृश्य सामग्री को बाहर रखा।
उन्होंने कहा कि 69 वीडियो मानदंडों को पूरा करती हैं, और उन्हें एक साथ 257,804,146 बार देखा गया। इनका मूल्यांकन तथ्यों, गुणवत्ता, विश्वसनीयता और उपयोगिता पर किया गया था। अध्ययन में कहा गया है कि यूट्यूब की 25 फीसदी से अधिक अंग्रेजी वीडियो में गैर-तथ्यात्मक या भ्रामक जानकारी शामिल है, जो 62 मिलियन से अधिक यूजर तक पहुंच रही हैं।
कोरोना वायरस महामारी को लेकर यूट्यूब पर काफी वीडियो अपलोड की जा रही हैं। लोग इन वीडियो को खूब देख रहे हैं और पसंद कर रहे हैं। लेकिन कोरोना वायरस की सबसे ज्यादा देखे जानी वाली अंग्रजी वीडियो में हर चार में से एक वीडियो गलत है। यानी हर चौथी वीडियो में जो जानकारी साझा की जा रही है उसमें तथ्यात्मक गलती है।
26 मिनट के एक वायरल वीडियो को हटाने वाली कई वेबसाइटों के बाद किए गए एक अध्ययन में यह खुलासा किया गया है। कथित तौर पर इस वीडियो में बीमारी को 'प्लांडेमिक' बताया गया है। वीडियो में कहा गया था कि यह बीमारी एक साजिश थी जिससे लाभ पाने के लिए लोगों ने इसका प्रमोशन किया। नए अध्ययन के अनुसार, यूट्यूब पर कोरोना वायरस पर सबसे अधिक देखी जाने वाले वीडियो में से हर चौथी वीडियो तथ्यात्मक रूप से गलत है।
ओटावा विश्वविद्यालय के चिकित्सा संकाय में एक अध्ययन के प्रमुख लेखक हेइडी ओई-यी ली ने बताया कि आम जनता के पास स्वास्थ्य साक्षरता की अलग-अलग डिग्री हैं। जब हम भ्रामक सूचनाओं के उत्पन्न होने और फैलने की विशाल मात्रा और विविधता पर विचार करते हैं, तो इससे नुकसान की काफी संभावनाएं होती हैं
उन्होंने कहा कि यूट्यूब ने पिछले प्रकोपों के बाद से काफी तरक्की की है, अब इसकी पहुंच पहले से कहीं अधिक है। हमें यह मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण था कि क्या गलत सूचना व्यापक दर्शकों तक फैल रही थी।
शोधकर्ताओं ने 75 सबसे ज्यादा देखे जाने वाली अंग्रेजी वीडियो का पता लगाने के लिए कोरोना वायरस और कोविद-19 कीवर्ड का उपयोग। यह सभी वीडियो एक घंटे से भी कम अवधि की थीं। वीडियो के गैर-ऑडियो और गैर-दृश्य सामग्री को बाहर रखा।
उन्होंने कहा कि 69 वीडियो मानदंडों को पूरा करती हैं, और उन्हें एक साथ 257,804,146 बार देखा गया। इनका मूल्यांकन तथ्यों, गुणवत्ता, विश्वसनीयता और उपयोगिता पर किया गया था। अध्ययन में कहा गया है कि यूट्यूब की 25 फीसदी से अधिक अंग्रेजी वीडियो में गैर-तथ्यात्मक या भ्रामक जानकारी शामिल है, जो 62 मिलियन से अधिक यूजर तक पहुंच रही हैं।