पाकिस्तान में शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के बीच आर-पार के मुकाबले की जमीन तैयार हो गई है। इमरान खान शुक्रवार (20 मई) को ‘इस्लामाबाद के लिए लंबा कूच’ के कार्यक्रम का एलान कर देंगे। खान ने ये जानकारी वकीलों की एक सभा को संबोधित करते हुए दी। वहां उन्होंने आवाम से ‘पाकिस्तान को आजाद कराने’ की लड़ाई में शामिल होने का आह्वान किया।
शहबाज शरीफ की सरकार इमरान खान के इस कार्यक्रम से चिंतित रही है। इस लॉन्ग मार्च से निपटने के उपायों पर अपने बड़े भाई और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से विचार-विमर्श करने इसी महीने प्रधानमंत्री शरीफ अपने वरिष्ठ मंत्रियों के साथ लंदन गए थे। समझा जाता है कि वहां हुई चर्चाओं के दौरान ये राय बनी थी कि पीटीआई को ये कार्यक्रम आयोजित करने की कतई इजाजत नहीं दी जा सकती। लंदन से लौटने के बाद शरीफ सरकार में मंत्री और नवाज शरीफ की बेटी मरियम औरंगजेब ने इस बात का संकेत दिया था। सरकार की तरफ से कहा गया था कि जरूरत पड़ी तो इमरान खान को गिरफ्तार भी किया जाएगा।
हिंसा की आशंका
वकीलों की सभा में इमरान खान ने कहा कि पीटीआई देश को अमेरिकी गुलामी से मुक्त कराने के लिए संघर्ष कर रही है। उन्होंने अपना ये इल्जाम दोहराया कि मौजूदा सरकार को ‘अमेरिकी साजिश’ के तहत सत्ता में लाया गया है। उन्होंने कहा- ‘हम इस बात को स्वीकार नहीं कर सकते कि डाकू और लूटेरे सरकार में बैठे रहें। हम अपने बच्चों के लिए इस देश को आजाद कराएंगे।’ विश्लेषकों के मुताबिक इमरान खान और उनके समर्थकों के लड़ाकू तेवर को देखते हुए ये अंदेशा असली है कि लॉन्ग मार्च के दौरान हिंसा हो सकती है। उस दौरान राजधानी में अफरातफरी फैलने का भय भी है।
पर्यवेक्षकों ने इस बात पर गौर किया है कि लाहौर में बुधवार को हुई बैठक में बड़ी संख्या में वकील शामिल हुए। पूरा हॉल खचाखच भरा रहा। 10 अप्रैल को सत्ता से बाहर होने के बाद इमरान खान लगातार देश के अलग-अलग हिस्सों में जन सभाएं करते रहे हैं। उनमें रिकॉर्ड भीड़ इकट्ठी होती रही है। बुधवार को संकेत मिला कि खान के लिए समर्थन सिर्फ आमजन में नहीं, बल्कि बुद्धिजीवी समुदाय में भी है। इससे सरकार की चिंता बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।
इमरान ने जरदारी को बताया पाकिस्तान की सबसे बड़ी बीमारी
पर्यवेक्षकों के मुताबिक इमरान खान ने प्रधानमंत्री रहते हुए ही भाषा मर्यादा तोड़ दी थी। उसके बाद से वे लगभग गाली की भाषा में अपने विरोधियों को संबोधित कर रहे हैँ। बुधवार को उन्होंने कहा- ‘देश के सबसे बड़े चोर और माफिया इकट्ठे हो गए हैं। लेकिन ईश्वर की कृपा से कौम उनके खिलाफ जाग खड़ी हुई है।’ इसी तरह उन्होंने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता आसिफ अली जरदारी को पाकिस्तान की सबसे बड़ी बीमारी बताया। इमरान के इस लहजे ने आबादी के एक बड़े हिस्से की भावनाएं भड़का दी हैं। इमरान खान के समर्थक भी वैसी ही भाषा बोल रहे हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि ऐसे में इस्लामाबाद में इमरान के समर्थकों के हिंसा पर उतर आने के अंदेशे को खारिज नहीं किया जा सकता।
विस्तार
पाकिस्तान में शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के बीच आर-पार के मुकाबले की जमीन तैयार हो गई है। इमरान खान शुक्रवार (20 मई) को ‘इस्लामाबाद के लिए लंबा कूच’ के कार्यक्रम का एलान कर देंगे। खान ने ये जानकारी वकीलों की एक सभा को संबोधित करते हुए दी। वहां उन्होंने आवाम से ‘पाकिस्तान को आजाद कराने’ की लड़ाई में शामिल होने का आह्वान किया।
शहबाज शरीफ की सरकार इमरान खान के इस कार्यक्रम से चिंतित रही है। इस लॉन्ग मार्च से निपटने के उपायों पर अपने बड़े भाई और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से विचार-विमर्श करने इसी महीने प्रधानमंत्री शरीफ अपने वरिष्ठ मंत्रियों के साथ लंदन गए थे। समझा जाता है कि वहां हुई चर्चाओं के दौरान ये राय बनी थी कि पीटीआई को ये कार्यक्रम आयोजित करने की कतई इजाजत नहीं दी जा सकती। लंदन से लौटने के बाद शरीफ सरकार में मंत्री और नवाज शरीफ की बेटी मरियम औरंगजेब ने इस बात का संकेत दिया था। सरकार की तरफ से कहा गया था कि जरूरत पड़ी तो इमरान खान को गिरफ्तार भी किया जाएगा।
हिंसा की आशंका
वकीलों की सभा में इमरान खान ने कहा कि पीटीआई देश को अमेरिकी गुलामी से मुक्त कराने के लिए संघर्ष कर रही है। उन्होंने अपना ये इल्जाम दोहराया कि मौजूदा सरकार को ‘अमेरिकी साजिश’ के तहत सत्ता में लाया गया है। उन्होंने कहा- ‘हम इस बात को स्वीकार नहीं कर सकते कि डाकू और लूटेरे सरकार में बैठे रहें। हम अपने बच्चों के लिए इस देश को आजाद कराएंगे।’ विश्लेषकों के मुताबिक इमरान खान और उनके समर्थकों के लड़ाकू तेवर को देखते हुए ये अंदेशा असली है कि लॉन्ग मार्च के दौरान हिंसा हो सकती है। उस दौरान राजधानी में अफरातफरी फैलने का भय भी है।
पर्यवेक्षकों ने इस बात पर गौर किया है कि लाहौर में बुधवार को हुई बैठक में बड़ी संख्या में वकील शामिल हुए। पूरा हॉल खचाखच भरा रहा। 10 अप्रैल को सत्ता से बाहर होने के बाद इमरान खान लगातार देश के अलग-अलग हिस्सों में जन सभाएं करते रहे हैं। उनमें रिकॉर्ड भीड़ इकट्ठी होती रही है। बुधवार को संकेत मिला कि खान के लिए समर्थन सिर्फ आमजन में नहीं, बल्कि बुद्धिजीवी समुदाय में भी है। इससे सरकार की चिंता बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।
इमरान ने जरदारी को बताया पाकिस्तान की सबसे बड़ी बीमारी
पर्यवेक्षकों के मुताबिक इमरान खान ने प्रधानमंत्री रहते हुए ही भाषा मर्यादा तोड़ दी थी। उसके बाद से वे लगभग गाली की भाषा में अपने विरोधियों को संबोधित कर रहे हैँ। बुधवार को उन्होंने कहा- ‘देश के सबसे बड़े चोर और माफिया इकट्ठे हो गए हैं। लेकिन ईश्वर की कृपा से कौम उनके खिलाफ जाग खड़ी हुई है।’ इसी तरह उन्होंने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता आसिफ अली जरदारी को पाकिस्तान की सबसे बड़ी बीमारी बताया। इमरान के इस लहजे ने आबादी के एक बड़े हिस्से की भावनाएं भड़का दी हैं। इमरान खान के समर्थक भी वैसी ही भाषा बोल रहे हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि ऐसे में इस्लामाबाद में इमरान के समर्थकों के हिंसा पर उतर आने के अंदेशे को खारिज नहीं किया जा सकता।