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people forced to sell daughters due to hunger and drought in afghanistan, un warns of food crisis
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अफगानिस्तान: भूखमरी के कारण लोग बेटियों को बेचने को मजबूर, संयुक्त राष्ट्र ने दी है खाद्य संकट की चेतावनी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: प्रतिभा ज्योति
Updated Wed, 27 Oct 2021 01:43 PM IST
सार
पश्चिमी अफगानिस्तान की रहने वाली फाहिमा का रो-रो कर बुरा हाल है क्योंकि भूख से बचने के लिए उसके पति ने अपनी दो छोटी बेटियों को शादी के लिए बेच दिया है। इस सौदे और अपने भविष्य से बेखबर, उसकी छह साल और 18 महीने की बेटियां विस्थापित लोगों के लिए बने मिट्टी-ईंट और तिरपाल के अपने आश्रयस्थल में बैठी हुई हैं। सौदे के मुताबिक माता-पिता बच्चियों के थोड़ी बड़े होने पर उन्हें लड़के के घरवालों को सौंप देंगे
अफगानिस्तान की महिलाएं और बच्चे (फाइल फोटो)
- फोटो : PTI
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अफगानिस्तान सबसे खराब भूख संकट का सामना कर रहा है। लोग अब तक भोजन खरीदने के लिए अपनी संपत्ति और जानवरों को बेच कर किसी तरह जी रहे थे, लेकिन देश की बदहाली और सूखे ने अब उन्हें अपना पेट भरने के लिए बच्चों को भी बेचने पर मजबूर कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फाहिमा जैसे कई माता-पिता हैं जो तालिबान राज, सूखे और कोरोना के कारण अफगानिस्तान के बद से बदतर होते जा रहे हालात में अपनी बेटियों को बेचने के लिए मजबूर हो गए हैं।
भूख से बेहाल लोग गोद की बच्चियों से लेकर आठ से दस साल तक की बच्चियों को शादी के लिए बेच रहे हैं। बीते सोमवार को ही वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अफगानिस्तान की आधी से ज्यादा आबादी यानी करीब ढाई करोड़ लोगों को अगले महीने नवंबर से लोग गंभीर भूखमरी का शिकार होना पड़ेगा।
बाल विवाह बढ़ गए
अफगानिस्तान में बाल विवाह की प्रथा सदियों से चली आ रही है, लेकिन हिंसा और तनावग्रस्त इस देश में गरीबी ने कई परिवारों को लड़कियों को पहले ही शादी के लिए बेचने के लिए मजबूर कर दिया है, ताकि वे कुछ दिनों क लिए अपने खाने-पीने का इंतजाम कर सकें।
लोग शोक और शर्म में डूबे
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पश्चिमी प्रांत बदघिस की राजधानी काला-ए-नौ शहर में जो सूखे से सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में से एक है वहां लोग शर्म और शोक में डूबे हैं। विस्थापित लोगों के शिविर के नेताओं का कहना है कि 2018 के अकाल के दौरान युवा लड़कियों की शादी करने की संख्या में इजाफा शुरू हुआ और इस साल बारिश नहीं होने से यह फिर बढ़ गया है।
बदघिस प्रांत के तालिबान के अंतरिम गवर्नर मौलवी अब्दुल सत्तार ने अपने बयान में कहा "ये बाल विवाह आर्थिक समस्याओं के कारण हो रहे हैं।" वहीं सूखा प्रभावित बड़गी के बाहरी शिविरों में भी बाल विवाह बढ़ने की खबरें है। देश के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात के बाहर भी बाल विवाह के कारण कई अभिभावकों को अपने हृदय कठोर करना पड़ रहा है।
लोगों को बचाने की कोशिश शुरू करने का दावा
गंभीर भूखमरी से जूझ रहे लोगों के सामने चुनौती इसलिए बढ़ गई है क्योंकि पहले से ही 20 साल के गृहयुद्ध से उभरने के लिए संघर्ष कर रहे लोगों के सामने सूखे का संकट भी खड़ा हो गया है। उनके पास अब खाने के लिए कुछ नहीं बचा है। देश के पश्चिम में, हजारों गरीब परिवार पहले ही अपना सबकुछ बेच कर बड़े शहरों में अस्थायी शिविरों में आश्रय और सहायता की तलाश में भाग आए हैं। मानवीय संकट के बारे में पूछे जाने पर तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने रविवार को एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी को बताया, "हम अपने लोगों को मौजूदा स्थिति से बाहर निकालने और उनकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। वैश्विक मानवीय सहायता भी हम तक पहुंचने लगी है। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की चेतावनी क्या है
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी) के कार्यकारी निदेशक डेविड बेस्ली ने अपने बयान में कहा कि, "इस सर्दी में, लाखों अफगानी भुखमरी या पलायन के लिए मजबूर होंगे। उनके मुताबिक यह संकट यमन या सीरिया की तुलना में बड़ा और कांगो की खाद्य असुरक्षा आपातकाल से भी बदतर होगा। बेस्ली ने अपने बयान में कहा, "अफगानिस्तान अभी दुनिया के सबसे खराब मानवीय संकटों से जूझ रहा है, क्योंकि यहां खाद्य सुरक्षा पूरी तरह ध्वस्त हो गई है।" यहां तबाही की उलटी गिनती शुरू हो गई है और अगर हम अब भी कुछ नहीं करते हैं तो बड़ी आपदा आ सकती है।
दो में से एक अफगानी को भोजन का संकट
डब्ल्यूएफपी और यूएन फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) की ओर से जारी बयान के अनुसार, दो अफगानों में से एक को भोजन का "संकट" या "आपातकालीन" कमी का सामना करना पड़ रहा है। एफएओ ने अफगानिस्तान के लिए तत्काल 11.4 मिलियन डॉलर और 2022 में कृषि सीजन के लिए और 200 मिलियन डॉलर की मांग की है।
अगस्त में, अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया और एक अंतरिम सरकार बनाने और स्थिरता बहाल करने की घोषणा की। लेकिन सरकार गठन के बाद भी तालिबान को अभी भी कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण गंभीर आर्थिक संकट और दाएश आतंकवादी समूह के हमलों और जलवायु परिवर्तन का सामना करना पड़ रहा है। जबकि तालिबान राज ने पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था को पूरी तरह हिला कर रख दिया है क्योंकि यह देश पूरी तरह से विदेशी सहायता पर बहुत अधिक निर्भर थी। पश्चिमी देशों ने उसे सहायता रोक दी और विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भुगतान रोक दिया है।
विस्तार
अफगानिस्तान सबसे खराब भूख संकट का सामना कर रहा है। लोग अब तक भोजन खरीदने के लिए अपनी संपत्ति और जानवरों को बेच कर किसी तरह जी रहे थे, लेकिन देश की बदहाली और सूखे ने अब उन्हें अपना पेट भरने के लिए बच्चों को भी बेचने पर मजबूर कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फाहिमा जैसे कई माता-पिता हैं जो तालिबान राज, सूखे और कोरोना के कारण अफगानिस्तान के बद से बदतर होते जा रहे हालात में अपनी बेटियों को बेचने के लिए मजबूर हो गए हैं।
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भूख से बेहाल लोग गोद की बच्चियों से लेकर आठ से दस साल तक की बच्चियों को शादी के लिए बेच रहे हैं। बीते सोमवार को ही वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अफगानिस्तान की आधी से ज्यादा आबादी यानी करीब ढाई करोड़ लोगों को अगले महीने नवंबर से लोग गंभीर भूखमरी का शिकार होना पड़ेगा।
बाल विवाह बढ़ गए
अफगानिस्तान में बाल विवाह की प्रथा सदियों से चली आ रही है, लेकिन हिंसा और तनावग्रस्त इस देश में गरीबी ने कई परिवारों को लड़कियों को पहले ही शादी के लिए बेचने के लिए मजबूर कर दिया है, ताकि वे कुछ दिनों क लिए अपने खाने-पीने का इंतजाम कर सकें।
अफगानिस्तान में महिला
- फोटो : pixabay
लोग शोक और शर्म में डूबे
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पश्चिमी प्रांत बदघिस की राजधानी काला-ए-नौ शहर में जो सूखे से सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में से एक है वहां लोग शर्म और शोक में डूबे हैं। विस्थापित लोगों के शिविर के नेताओं का कहना है कि 2018 के अकाल के दौरान युवा लड़कियों की शादी करने की संख्या में इजाफा शुरू हुआ और इस साल बारिश नहीं होने से यह फिर बढ़ गया है।
बदघिस प्रांत के तालिबान के अंतरिम गवर्नर मौलवी अब्दुल सत्तार ने अपने बयान में कहा "ये बाल विवाह आर्थिक समस्याओं के कारण हो रहे हैं।" वहीं सूखा प्रभावित बड़गी के बाहरी शिविरों में भी बाल विवाह बढ़ने की खबरें है। देश के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात के बाहर भी बाल विवाह के कारण कई अभिभावकों को अपने हृदय कठोर करना पड़ रहा है।
लोगों को बचाने की कोशिश शुरू करने का दावा
गंभीर भूखमरी से जूझ रहे लोगों के सामने चुनौती इसलिए बढ़ गई है क्योंकि पहले से ही 20 साल के गृहयुद्ध से उभरने के लिए संघर्ष कर रहे लोगों के सामने सूखे का संकट भी खड़ा हो गया है। उनके पास अब खाने के लिए कुछ नहीं बचा है। देश के पश्चिम में, हजारों गरीब परिवार पहले ही अपना सबकुछ बेच कर बड़े शहरों में अस्थायी शिविरों में आश्रय और सहायता की तलाश में भाग आए हैं। मानवीय संकट के बारे में पूछे जाने पर तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने रविवार को एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी को बताया, "हम अपने लोगों को मौजूदा स्थिति से बाहर निकालने और उनकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। वैश्विक मानवीय सहायता भी हम तक पहुंचने लगी है।
अफगान नागरिक
- फोटो : PTI
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की चेतावनी क्या है
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी) के कार्यकारी निदेशक डेविड बेस्ली ने अपने बयान में कहा कि, "इस सर्दी में, लाखों अफगानी भुखमरी या पलायन के लिए मजबूर होंगे। उनके मुताबिक यह संकट यमन या सीरिया की तुलना में बड़ा और कांगो की खाद्य असुरक्षा आपातकाल से भी बदतर होगा। बेस्ली ने अपने बयान में कहा, "अफगानिस्तान अभी दुनिया के सबसे खराब मानवीय संकटों से जूझ रहा है, क्योंकि यहां खाद्य सुरक्षा पूरी तरह ध्वस्त हो गई है।" यहां तबाही की उलटी गिनती शुरू हो गई है और अगर हम अब भी कुछ नहीं करते हैं तो बड़ी आपदा आ सकती है।
दो में से एक अफगानी को भोजन का संकट
डब्ल्यूएफपी और यूएन फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) की ओर से जारी बयान के अनुसार, दो अफगानों में से एक को भोजन का "संकट" या "आपातकालीन" कमी का सामना करना पड़ रहा है। एफएओ ने अफगानिस्तान के लिए तत्काल 11.4 मिलियन डॉलर और 2022 में कृषि सीजन के लिए और 200 मिलियन डॉलर की मांग की है।
अगस्त में, अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया और एक अंतरिम सरकार बनाने और स्थिरता बहाल करने की घोषणा की। लेकिन सरकार गठन के बाद भी तालिबान को अभी भी कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण गंभीर आर्थिक संकट और दाएश आतंकवादी समूह के हमलों और जलवायु परिवर्तन का सामना करना पड़ रहा है। जबकि तालिबान राज ने पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था को पूरी तरह हिला कर रख दिया है क्योंकि यह देश पूरी तरह से विदेशी सहायता पर बहुत अधिक निर्भर थी। पश्चिमी देशों ने उसे सहायता रोक दी और विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भुगतान रोक दिया है।
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