चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने बुधवार को अपनी वर्चुअल वीडियो शिखर वार्ता में अमेरिकी चुनौती का मिल कर मुकाबला करने का फिर इरादा जताया। लेकिन इस बैठक से उभरा सबसे अहम पहलू संभवतः यह है कि इन दोनों देशों ने एक नया वैश्विक वित्तीय ढांचा करने का फैसला किया है। क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति का कार्यालय) ने शिखर बैठक से तुरंत बाद इस बारे में ब्योरा जारी किया। उसमें कहा गया कि नई वित्त व्यवस्था का मकसद यह सुनिश्चित करना होगा कि अमेरिका उनके अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित ना कर सके।
अभी दुनिया की वित्तीय व्यवस्था स्विफ्ट सिस्टम से चलती है। इस सिस्टम का संचालन ब्रसेल्स से होता है। अमेरिकी प्रतिबंधों का निशाना बने देशों के लिए इस सिस्टम के जरिए कारोबार करना लगभग असंभव हो जाता है। रूस काफी समय से अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों को झेल रहा है।
अपनी मुद्राओं में होगा सेटेलमेंट
अब पुतिन और शी जिनपिंग में यह सहमति बनी है कि रूस और चीन आपसी कारोबार का सेटलमेंट अपनी मुद्राओं में करेंगे। शिखर वार्ता के बाद पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने रूसी वेबसाइट रशियाटुडे.कॉम को बताया- ‘एक स्वतंत्र वित्तीय ढांचा बने, इस बात पर खास ध्यान दिया गया। इस ढांचे का मकसद रूस और चीन के बीच व्यापार संबंधी सेवाएं देना होगा।’ पुतिन और शी में यह सहमति भी बनी कि दोनों देश अपने निवेशकों को एक-दूसरे के शेयर बाजारों में निवेश करने की सुविधा देंगे।
शिखर वार्ता शुरू होने से ठीक पहले क्रेमलिन के प्रेस सेक्रेटरी दिमित्री पेस्कोव ने साफ कहा था कि आर्थिक मुद्दे पुतिन और शी की बातचीत का प्रमुख एजेंडा होंगे। पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि रूस और चीन दोनों अंतरराष्ट्रीय कारोबार में डॉलर का इस्तेमाल खत्म करने के उपायों पर काफी समय से विचार कर रहे हैं। अब दोनों देशों ने पूरा आपसी कारोबार डॉलर से अलग रहते हुए करने का फैसला किया है।
म्यांमार ने स्वीकारी युवान
इस साल के आरंभ में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा था कि रूस और चीन को पश्चिमी नियंत्रण वाली भुगतान व्यवस्थाओं से अलग हो जाना चाहिए। उन्होंने तब आरोप लगाया था कि अमेरिका रूस और चीन के तकनीकी विकास में रुकावट डाल रहा है।
इस बीच बुधवार को ही चीनी मीडिया ने ये खबर दी कि म्यांमार ने चीनी मुद्रा युवान को सेटलमेंट की आधिकारिक मुद्रा के रूप में स्वीकार कर लिया है। चीन म्यांमार का सबसे बड़ा व्यापारिक हिस्सेदार है। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि युवान को व्यापार सेटलमेंट की आधिकारिक मुद्रा बना लेने से म्यांमार की वित्तीय दिक्कतें दूर जाएंगी। अमेरिकी प्रतिबंध के कारण म्यांमार के पास भी डॉलर की कमी है।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक बुधवार को हुई इन दोनों घटनाओं का मतलब है कि चीन ने अब विश्व व्यापार पर अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को तोड़ने को अपनी प्राथमिकता बना ली है। आपसी मुद्रा में व्यापार करने का वह ईरान के साथ पहले ही करार कर चुका है। इस तरह धीरे-धीरे वह अंतरराष्ट्रीय सेटलमेंट की समानांतर प्रणाली कायम करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
विस्तार
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने बुधवार को अपनी वर्चुअल वीडियो शिखर वार्ता में अमेरिकी चुनौती का मिल कर मुकाबला करने का फिर इरादा जताया। लेकिन इस बैठक से उभरा सबसे अहम पहलू संभवतः यह है कि इन दोनों देशों ने एक नया वैश्विक वित्तीय ढांचा करने का फैसला किया है। क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति का कार्यालय) ने शिखर बैठक से तुरंत बाद इस बारे में ब्योरा जारी किया। उसमें कहा गया कि नई वित्त व्यवस्था का मकसद यह सुनिश्चित करना होगा कि अमेरिका उनके अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित ना कर सके।
अभी दुनिया की वित्तीय व्यवस्था स्विफ्ट सिस्टम से चलती है। इस सिस्टम का संचालन ब्रसेल्स से होता है। अमेरिकी प्रतिबंधों का निशाना बने देशों के लिए इस सिस्टम के जरिए कारोबार करना लगभग असंभव हो जाता है। रूस काफी समय से अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों को झेल रहा है।
अपनी मुद्राओं में होगा सेटेलमेंट
अब पुतिन और शी जिनपिंग में यह सहमति बनी है कि रूस और चीन आपसी कारोबार का सेटलमेंट अपनी मुद्राओं में करेंगे। शिखर वार्ता के बाद पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने रूसी वेबसाइट रशियाटुडे.कॉम को बताया- ‘एक स्वतंत्र वित्तीय ढांचा बने, इस बात पर खास ध्यान दिया गया। इस ढांचे का मकसद रूस और चीन के बीच व्यापार संबंधी सेवाएं देना होगा।’ पुतिन और शी में यह सहमति भी बनी कि दोनों देश अपने निवेशकों को एक-दूसरे के शेयर बाजारों में निवेश करने की सुविधा देंगे।
शिखर वार्ता शुरू होने से ठीक पहले क्रेमलिन के प्रेस सेक्रेटरी दिमित्री पेस्कोव ने साफ कहा था कि आर्थिक मुद्दे पुतिन और शी की बातचीत का प्रमुख एजेंडा होंगे। पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि रूस और चीन दोनों अंतरराष्ट्रीय कारोबार में डॉलर का इस्तेमाल खत्म करने के उपायों पर काफी समय से विचार कर रहे हैं। अब दोनों देशों ने पूरा आपसी कारोबार डॉलर से अलग रहते हुए करने का फैसला किया है।
म्यांमार ने स्वीकारी युवान
इस साल के आरंभ में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा था कि रूस और चीन को पश्चिमी नियंत्रण वाली भुगतान व्यवस्थाओं से अलग हो जाना चाहिए। उन्होंने तब आरोप लगाया था कि अमेरिका रूस और चीन के तकनीकी विकास में रुकावट डाल रहा है।
इस बीच बुधवार को ही चीनी मीडिया ने ये खबर दी कि म्यांमार ने चीनी मुद्रा युवान को सेटलमेंट की आधिकारिक मुद्रा के रूप में स्वीकार कर लिया है। चीन म्यांमार का सबसे बड़ा व्यापारिक हिस्सेदार है। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि युवान को व्यापार सेटलमेंट की आधिकारिक मुद्रा बना लेने से म्यांमार की वित्तीय दिक्कतें दूर जाएंगी। अमेरिकी प्रतिबंध के कारण म्यांमार के पास भी डॉलर की कमी है।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक बुधवार को हुई इन दोनों घटनाओं का मतलब है कि चीन ने अब विश्व व्यापार पर अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को तोड़ने को अपनी प्राथमिकता बना ली है। आपसी मुद्रा में व्यापार करने का वह ईरान के साथ पहले ही करार कर चुका है। इस तरह धीरे-धीरे वह अंतरराष्ट्रीय सेटलमेंट की समानांतर प्रणाली कायम करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।