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residents around the land opposite the Tower of London urged King Charles to buy the land back
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London: चीन का ऐसा डर, दूतावास परिसर की कल्पना से ही भयभीत हैं पास के निवासी
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लंदन
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 02 Dec 2022 04:14 PM IST
सार
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London: ये जमीन रॉयल मिंट कोर्ट के नाम से जानी जाती है। कभी 5.4 एकड़ की इस जमीन पर ब्रिटिश सिक्कों को ढालने का कारखाना था। 2010 में ब्रिटिश राजशाही ने इस जमीन को एक प्रॉपर्टी कंपनी को बेच दिया। उस कंपनी ने 2018 में ये जमीन चीन को बेच दी। अब चीन यहां करोड़ों डॉलर की लागत से अपना दूतावास बनाना चाहता है...
london china embassy royal mint court
- फोटो : Agency
यहां टॉवर ऑफ लंदन के सामने मौजूद जमीन के आसपास के निवासियों ने किंग चार्ल्स से गुजारिश की है कि वे उस जमीन को वापस खरीद लें। फिलहाल इस जमीन का मालिक चीन है। वह इस जमीन पर अपना राजनयिक परिसर बनाना चाहता है। लेकिन पास-पड़ोस के निवासियों को अंदेशा है कि कूटनीतिक कार्यों के आड़ में वहां संदिग्ध गतिविधियां होंगी।
ये जमीन रॉयल मिंट कोर्ट के नाम से जानी जाती है। कभी 5.4 एकड़ की इस जमीन पर ब्रिटिश सिक्कों को ढालने का कारखाना था। 2010 में ब्रिटिश राजशाही ने इस जमीन को एक प्रॉपर्टी कंपनी को बेच दिया। उस कंपनी ने 2018 में ये जमीन चीन को बेच दी। अब चीन यहां करोड़ों डॉलर की लागत से अपना दूतावास बनाना चाहता है।
इस जमीन के दूसरी तरफ टॉवर हैमलेट्स है, जिनमें ज्यादातर पूर्व सरकारी अधिकारी रहते हैं। ये इमारत 19वीं सदी में बनी थी। अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर चीन यहां अपना राजनयिक परिसर बनाने में सफल रहा, तो यह दुनिया में उसका सबसे बड़ा दूतावास परिसर होगा। दूतावास के अलावा चीन का यहां एक सांस्कृतिक केंद्र और बिजनेस सेंटर बनाने का भी इरादा है। इन सबको मिला कर यहां चीन के सैकड़ों कर्मचारी काम करेंगे।
जब ये जमीन ब्रिटिश राजशाही के पास थी, तब लगभग 30 वर्ष पहले उसने यहां कुछ अपार्टमेंट बनाए थे। ये अपार्टमेंट पुलिसकर्मियों और नर्सों आदि जैसी कर्मचारियों को आवास उपलब्ध कराने के लिए बनाए गए थे। 1989 में उस कार्य की शुरुआत के समय खुद महारानी एलिजाबेथ ने यहां आकर फोटो खिंचवाया था। जिन लोगों को आवास दिए गए, उन्हें 126 वर्ष की जमीन की लीज दी गई।
अब उन लीज होल्डर्स का कहना है कि चीन का परिसर बनने पर उनकी शांति में खलल पड़ेगी। रॉयल मिंट कोर्ट रेजिडेंट्स एसोसिएशन ने आशंका जताई है कि चीन यहां अपने नियम लागू करेगा या ब्रिटिश नियमों की अपने ढंग से व्याख्या करेगा। एसोसिएशन ने इन आरोपों की तरफ ध्यान खींचा है कि चीन विदेश स्थित अपने राजनयिक स्थलों का इस्तेमाल चीनी नागरिकों की निगरानी और उन्हें स्वदेश लौटने के लिए धमकाने के लिए करता रहा है।
एसोसिएशन ने अब किंग चार्ल्स को एक पत्र भेजा है। उसमें एसोसिएशन के अध्यक्ष डेविड लेक ने कहा है- ‘चीन सरकार को अत्यधिक और दूरगामी अधिकार दे दिए गए हैं। उनकी वजह से यहां कूटनीतिक हादसा हो सकता है।’ पर्यवेक्षकों के मुताबिक ऐसा एक हादसा इसी वर्ष अक्तूबर में ब्रिटेन के शहर मैनचेस्टर में हुआ था। वहां मौजूद चीनी वाणिज्य दूतावास ने हांगकांग के प्रदर्शनकारियों के प्लेकार्ड फड़वा दिए थे। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का कार्टून लिए एक प्रदर्शनकारी को घसीट कर वाणिज्य दूतावास के अंदर ले जाया गया। आरोप है कि वहां उसकी पिटाई की गई। फिलहाल मैनचेस्टर पुलिस उस घटना की जांच कर रही है।
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रॉयल मिन्ट कोर्ट के निवासियों का कहना है कि ऐसे ही अंदेशों से वे डरे हुए हैं। वहां 23 साल से रह रहे मार्क नाइगेट सीएनएन से कहा- ‘हम में भय समा गया है। लंदन के मध्य में यह रहने का सुंदर स्थल है। लेकिन अब हम इस सवाल से घिरे हैं कि चीन का परिसर बना, तो उससे हमारी जिंदगी किस रूप में प्रभावित होगी।’
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